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kuldeeppunia25
June 3rd, 2013, 11:29 AM
बेटा अफसर बना तो परिजनों ने रिश्ता तोड़ा, पर बेटे ने उसी लड़की के साथ लिए फेरे

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रेवाड़ी. बेटा अफसर बन गया तो परिजनों ने दहेज के लोभ में पहले से तय रिश्ता तोड़ दिया लेकिन बेटे ने रिश्तों की डोर टूटने न दी।

उसने उसी लड़की को जीवन संगिनी बनाया, जिसका रिश्ता उसके माता-पिता ठुकरा चुके थे। वह भी परिवार के खिलाफ जाकर और बिना किसी दहेज के। राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) में चयनित हो चुके अजरुन सिंह ने गांव मायण नांगल की युवती के साथ 29 मई को फेरे लिए। बारात में उसके चार-पांच दोस्त ही शामिल थे।

आरएएस में चयन के बाद अजरुन के माता-पिता ने अपनी डिमांड बढ़ा दी। लड़की वाले जब 12 दिन पहले लगन लेकर पंहुचे तो उसे लेने से इनकार कर दिया। तय रिश्ता टूटने से उदास लड़की के परिजन घर लौटे तो एक फोन आया, रिश्ता नहीं टूटा है। तैयारी रखो, बारात लेकर आ रहा हूं। यह अर्जुन की आवाज थी।

परिजनों ने लौटा दिया था लगन

अलवर के किशनगढ़ निवासी लक्ष्मण सिंह के बेटे अर्जुन सिंह का रिश्ता साल पहले रेवाड़ी के सोहनलाल की बेटी पूनम से हुआ था। पूनम जेबीटी शिक्षक थी तो अर्जुन आरएएस की तैयारी कर रहा था। करीब दो माह पहले अर्जुन का आरएएस क्लियर हो गया।

बेटा अफसर बना तो उसके परिजनों ने दहेज की डिमांड रख दी। 12 दिन पहले लड़की वाले जब लगन लेकर किशनगढ़ पहुंचे तो डिमांड पूरी नहीं होने पर लगन वापस कर दिया गया। अर्जुन ने माता-पिता को समझाया लेकिन जब वे नहीं माने तो उसने घर छोड़ दिया।

इस पर माता-पिता ने लड़की के परिजनों के खिलाफ बेटे को अगवा करने का केस दर्ज करा दिया। पुलिस पहुंची तो अर्जुन ने बयान दिया कि उसे पूनम से शादी करनी है। लिहाजा इस परिवार को तंग न करे। अर्जुन ने फिर अपने माता-पिता को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने तो उसने पूनम से विवाह कर लिया।

दहेज के लोभ में बिगड़े-बने रिश्ते


सफलता-असफलता की वजह से अपनी भावनाओं इच्छाओं को नहीं बदलना चाहिए। सपने एक बार लिए जाते हैं। फैसला सही था, उस पर बने रहना जरूरी था। किसी न किसी को आगे आना था। -

अर्जून सिंह (भास्कर से फोन पर कहा)