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View Full Version : भारत का अगला पी एम नरेन्द्र मोदी ?



sivach
June 10th, 2013, 02:19 PM
भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को 2014 के चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष चुन लिया है और 2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति, उम्मीदवारों का चुनाव और महत्वपूर्ण कामो के लिये कार्यकर्ताओ का चयन आदि में नरेन्द्र मोदी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहेगी | भाजपा के इस फैसले से ये जाहीर होता है कि मोदी भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार है | भाजपा के इस निर्णय से कांग्रेस विरोधी पार्टियों के एकजूट होने सम्भावना बढ़ गयी | जयललिता ने मोदी को बधाई देकर इसके संकेत दे दिए है| सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों पर चलने वाली पार्टियां जरूर भाजपा से दूर हो जाएँगी| जदयू (जनता दल यूनाइटेड) निश्चित रूप से भाजपा से दूर जायेगी जिसका खामियाजा जदयू को भी उठाना पड़ेगा |

देश की वर्तमान परिश्तिथियों में कांगेस का सत्ता से जाना देश और समाज के हित में है और वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में इस देश की बागडोर संभालने की क्षमता नही है| एक राजनेता और नौकरशाह के बीच का फर्क स्पष्ट रूप से झलकता है| एक लोक कथा सब ने सुनी होगा "गीदड को शेर की खाल पहना देने से वो जंगल का राजा नहीं बन सकता" | देश चलाने के लिये एक अच्छा कुशल शासक होना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी कुशल शासक दिखाई देना भी जरूरी है और मोदी में दोनों ही खूबिया है|

नरेन्द्र मोदी के विरोधियों के पास गोधरा कांड के अलावा मोदी की खिलाफत करने के किये कुछ भी नहीं है| गुजरात में समय रहते दंगे नहीं रोक पाना मोदी की नाकामी रही है जिसका दाग उनके दामन पर आज भी दिखाई देता है | लेकिन क्या एक प्रशासनिक चूक / नाकामी की वजह से उन्हें देश का प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया जा सकता? मोदी विरोधियो को आत्मचिंतन की जरूर करना चाहिए कांग्रेस के शासन काल में हजारों दंगे हुए इस देश में, क्या किसी भी कांग्रेसी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का राजनैतिक जीवन खत्म किया कांग्रेस ने|

भिन्न संप्रदायों के बीच दंगे होने मानवीय मूल्यों और मानवता पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है और निंदनीय है| राहुल गाँधी के पूज्य पिता श्री राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री काल में 1984 के सिख विरोधी दंगे और 1987 के मेरठ मलियाना दंगे हुए और इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री काल में 1980 के मुरादाबाद के दंगे हुए और मेरठ व मुरादाबाद के दंगो के वक्त उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकारे थी| 1980 के मुरादाबाद दंगे तीन सप्ताह (21 दिन) से भी ज्यादा दिन तक चले | क्या ये सवाल कांग्रेस नहीं पूछा जाना चाहिए कि उसने 21 दिनों तक क्या किया ?

क्या नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भावी भाजपा सरकार में इस देश का भविष्य निहित है? विचार मंथन कीजिए आखिर सवाल हमारे कीमती मताधिकार (वोट) के सही उपयोग और देश की उन्नति से जुड़ा है|

ssgoyat
June 10th, 2013, 02:34 PM
ye lo kallo baat.... khind gaya rayta BJP ka



Link: http://timesofindia.indiatimes.com/india/LK-Advani-resigns-from-all-positions-in-BJP/articleshow/20519578.cms

NEW DELHI: A day after Narendra Modi became the BJP's campaign committee chief, senior party leader L K Advani resigned from all top party posts - the national executive, parliamentary board and the election committee. The senior leader sent a letter to BJP president Rajnath Singh informing him of his resignation.

Advani had skipped the BJP executive meet in Goa held over the weekend.

The BJP leadership on Sunday had appointed Narendra Modi as the chairman of its national election committee in a significant step towards complete compliance with the pressure from the cadre to declare the Gujarat CM the saffron candidate for prime ministership.

The decision came in the face of resistance of stalwart L K Advani and marks Modi's emergence as BJP's pre-eminent leader at the expense of the former deputy PM and many others.

Some of Advani's unhappy colleagues chose to disguise their sullenness, but the senior leader stayed away from the national executive amid signs of his unhappiness with the big leg-up for Modi.

Although an unprecedented event considering the unflinching regularity with which former deputy PM would attend party meets, his absence did not deter the leadership from acquiescing into the clamour from the cadre for Modi to be anointed as the party's spearhead for the 2014 battle.

In a conspicuous departure from the routine, none of the speakers mentioned Advani. Modi expressed his gratitude to seniors who mentored him, but refrained from naming names. The omission of Advani from the proceedings looked even glaring against the backdrop of slogans and drumbeats celebrating leadership's embrace of cadre's hope that Modi would be the new talisman delivering them next year the trophy which Advani had failed to bag in 2009.

Besides taking the party out of the long and still-lingering shadow of Atal Bihari Vajpayee and Advani and enshrining the role of cadre pressure as a major factor in Sangh Parivar's decision-making, the big boost for Modi also heralds his rise as principal challenger to the Congress - in fact the entire "secular" end of the political establishment.

vicky84
June 10th, 2013, 02:52 PM
Toot foot ho gayi hai.. lets see what happens next. Rumors swirling around that party members will convince LK Advani to reconsider his decision.

sivach
June 10th, 2013, 03:04 PM
श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी के राजनैतिक जीवन का पतन उस दिन शुरू हो गया था जिस दिन पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर जाकर जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताया था | सर्वमान्य छवि बनाने के चक्कर में अपनी भी खो दी और कहावत चिरतार्थ हो गई "चौबे जी चले थे छब्बे जी बनने लौटे दुबे जी बनकर" | पार्टी के अंदर की राजनीति और स्तिथी तो पार्टी के नेता ही ज्यादा बेहतर जानते होंगे लेकिन आडवाणी के इस कदम से उनकी ही छवि पर असर पड़ेगा | बड़े बडेरे कहा करें "अपनी इज्ज़त अपने हाथ में हो " हर समय बोलने का नहीं होता है कभी कभार चुप भी रहना पड़ता है अपनी और परिवार इज्ज़त की खातिर|

आडवाणी का ये कदम भाजपा को कुछ ना कुछ चोट तो जरुर पहुँचायेगा |

rskankara
June 10th, 2013, 03:08 PM
आडवाणी ने कहा है कि पार्टी अपने रास्ते से भटक गई है। जिस पार्टी के लिए देश सर्वोपरि था, वहां अब कुछ लोगों के व्यक्तिगत एजेंडे चलाए जा रहे हैं। राजनाथ सिंह उन्हें मनाने के लिए पृथ्वीराज रोड स्थित उनके निवास पहुंचे थे, लेकिन वह नहीं माने।

VirJ
June 10th, 2013, 03:23 PM
भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को 2014 के चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष चुन लिया है और 2014 के लोकसभा चुनाव की रणनीति, उम्मीदवारों का चुनाव और महत्वपूर्ण कामो के लिये कार्यकर्ताओ का चयन आदि में नरेन्द्र मोदी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहेगी | भाजपा के इस फैसले से ये जाहीर होता है कि मोदी भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार है | भाजपा के इस निर्णय से कांग्रेस विरोधी पार्टियों के एकजूट होने सम्भावना बढ़ गयी | जयललिता ने मोदी को बधाई देकर इसके संकेत दे दिए है| सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों पर चलने वाली पार्टियां जरूर भाजपा से दूर हो जाएँगी| जदयू (जनता दल यूनाइटेड) निश्चित रूप से भाजपा से दूर जायेगी जिसका खामियाजा जदयू को भी उठाना पड़ेगा |

देश की वर्तमान परिश्तिथियों में कांगेस का सत्ता से जाना देश और समाज के हित में है और वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में इस देश की बागडोर संभालने की क्षमता नही है| एक राजनेता और नौकरशाह के बीच का फर्क स्पष्ट रूप से झलकता है| एक लोक कथा सब ने सुनी होगा "गीदड को शेर की खाल पहना देने से वो जंगल का राजा नहीं बन सकता" | देश चलाने के लिये एक अच्छा कुशल शासक होना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी कुशल शासक दिखाई देना भी जरूरी है और मोदी में दोनों ही खूबिया है|

नरेन्द्र मोदी के विरोधियों के पास गोधरा कांड के अलावा मोदी की खिलाफत करने के किये कुछ भी नहीं है| गुजरात में समय रहते दंगे नहीं रोक पाना मोदी की नाकामी रही है जिसका दाग उनके दामन पर आज भी दिखाई देता है | लेकिन क्या एक प्रशासनिक चूक / नाकामी की वजह से उन्हें देश का प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया जा सकता? मोदी विरोधियो को आत्मचिंतन की जरूर करना चाहिए कांग्रेस के शासन काल में हजारों दंगे हुए इस देश में, क्या किसी भी कांग्रेसी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का राजनैतिक जीवन खत्म किया कांग्रेस ने|

भिन्न संप्रदायों के बीच दंगे होने मानवीय मूल्यों और मानवता पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है और निंदनीय है| राहुल गाँधी के पूज्य पिता श्री राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री काल में 1984 के सिख विरोधी दंगे और 1987 के मेरठ मलियाना दंगे हुए और इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री काल में 1980 के मुरादाबाद के दंगे हुए और मेरठ व मुरादाबाद के दंगो के वक्त उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकारे थी| 1980 के मुरादाबाद दंगे तीन सप्ताह (21 दिन) से भी ज्यादा दिन तक चले | क्या ये सवाल कांग्रेस नहीं पूछा जाना चाहिए कि उसने 21 दिनों तक क्या किया ?

क्या नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भावी भाजपा सरकार में इस देश का भविष्य निहित है? विचार मंथन कीजिए आखिर सवाल हमारे कीमती मताधिकार (वोट) के सही उपयोग और देश की उन्नति से जुड़ा है|

भाई आपकी बात ठीक हे लेकिन मुझे नही लगता के नरेन्दर मोदी के नाम से ही भाजपा बहुमत प्राप्त कर लेगी और मुझे अभी ये भी नही लगता के मोदी ही pm पद के उम्मीदवार होंगे. अभी तो बहोट राजनीति होनी बाकी हे बहोट संमीकरण बदलेंगे. कुछ दल भाजपा के साथ आएँगे कुछ छोड़ के जाएँगे. मेरा अनुमान हे के मोदी से केवल कुछ ही सीटों का लाभ होगा. दूर दराज के इलाक़ों मे मोदी का सीमित ही असर हे. इस कांग्रेस से छुटकारा तो सब चाहते हे लेकिन ये दीमक की तरह ऐसे चिपक गयी हे के इसको निकलना इतना आसान भी नही हे

vicky84
June 10th, 2013, 03:36 PM
I think Advani is tallest leader in BJP. BJP will fall apart without Advani. Modi can't do much without his support. I think negotiations will be required within BJP. BJP humiliated Advani in Goa meet by not considering his views. Compromise would have been better alternate. That is as Advani suggested, appoint modi as a member of election campaign committee but not the chairman.

rajpaldular
June 10th, 2013, 03:43 PM
अब लालकृष्ण आडवाणी को कौन समझाए कि “कन्यादान” करने की आयु में “दूल्हा” बनने की इच्छा रखना गलत बात है !

desijat
June 10th, 2013, 08:26 PM
भाजपा के इस निर्णय से कांग्रेस विरोधी पार्टियों के एकजूट होने सम्भावना बढ़ गयी |

या यूँ कहे मोदी विरोधी दल भी एक जुट होने मैं जुट गए है ?

desijat
June 10th, 2013, 08:41 PM
I think Advani is tallest leader in BJP. BJP will fall apart without Advani. Modi can't do much without his support. I think negotiations will be required within BJP. BJP humiliated Advani in Goa meet by not considering his views. Compromise would have been better alternate. That is as Advani suggested, appoint modi as a member of election campaign committee but not the chairman.

Atish,
The politics behind this is deeper than imagined. Rajnath is shooting on Modi's shoulder to test BJP. As for Modi becoming PM I will say मोदी प्रधान मंत्री बना तब जानिए जब शपथ ग्रहण हो जाये

RavinderSura
June 10th, 2013, 09:00 PM
मोदी को पीएम का दावेदार बनने की इतनी जल्दी क्यों लगी हैं ? वैसे अब तक गुजरात के एलावा जहा भी चुनाव हुए हैं वाहा मोदी का कुछ खास जलवा नजर नहीं आया | मोदी की कोई स्पीच सुन लो उसमे गुजरात व गुजरती की बात मिलेगी जबकि हर राज्य के अपने क्षेत्रीय नेता हैं हर राज्य का अपना वजूद हैं | आडवाणी ने शिवराज के बारे मे जो कहा वो कुछ गलत नहीं कहा , असल मे गुजरात तो हमेशा से ही हरियाणा पंजाब महाराष्ट्र के साथ नंबर एक की दौड़ मे रहा हैं |असली सुधार देखा जाए तो फिर नितीश का हैं जिसने बिहार को माइनस से उठा कर ज़ीरो पर ला दिया , जिस कारण आज गुड़गाँव जैसे शहरों मे वाक्य मे लेबर की समस्या हैं , इस बार फसल के वक़्त बिहारी लेबर की भारी समस्या थी | मोदी पिछले लोक सभा चुनाव मे सोनीपत आए थे उस स्पीच मे मोदी ने बड़ी अजीब बात कहीं की मैंने आज गुजरात का इतना विकास कर दिया हैं की आज सब यही चाहते हैं की अपनी लड़की का रिश्ता भी गुजरात करे | कभी दिल्ली मे भाषण देते हैं की आज देश मे लोग दूध कपड़ा सब्जी आदि सब कुछ गुजरात का ही बरत रहे हैं परंतु मोदी कभी यह नहीं बताते की देश के लिए शहीद होने वालों मे गुजरात का क्या योगदान हैं ? गुजरात का आदमी बनियागिरी बहुत अच्छी तरह से जनता हैं , उन्हे पता हैं की अपनी मार्केटिंग कैसे करनी हैं , एक गुजराती बनिया आज़ादी से पहले आया था अब तक लोगो को सोते उठाते बैठते नजर आता हैं और अब ये एक नया आ गया | गुजरात एक अच्छा बनिया तो पैदा कर सकता हैं परंतु असली योद्धा नहीं | मोदी गुजरात गुजराती की बात करे तो लोग उसे राष्ट्रभक्त बताते हैं , यदि हम हमारे जाटलैंड और जाट की बात करे तो लोग हम पर जातिवाद की तोहमत लगते हैं !

swaich
June 10th, 2013, 09:53 PM
Democracy deserves better. A strong opposition is a pre-requisite of a functioning democratic country. To be honest, many times in the recent past, BJP has shot its own foot and has fallen short of whats expected of its responsibilities as India's second biggest party. One wishes things shouldnt have come to such a point that the patriarch had to leave the party. Truly an opportunity missed by BJP to move into high gear when elections are around the corner. The Congress would be chuckling to itself; its task made a little less difficult.

desijat
June 10th, 2013, 10:05 PM
The Congress would be chuckling to itself; its task made a little less difficult.

People often blame AAP to be Congress's team B but I believe it is BJP itself that is Congress's team B. No one helps Congress win more than they themselves.

malikdeepak1
June 10th, 2013, 10:26 PM
Such internal politics will hit BJP hard. There is very little time left for the elections and they are indulged in fights among themselves. First Sushma, now Advani, next will be allies. Their main problem is that these people can't arrive at a consensus when they sit together.

akshaymalik84
June 10th, 2013, 11:01 PM
Bloody hypocrites..........


BJP was formed by Advani.......so what.......Congress was led by Gandhi, patel,Shastri etc......great leaders......and now.........move on.......

desijat
June 10th, 2013, 11:35 PM
Gandhi Patel Shastri are dead, not Advani
Bloody hypocrites..........


BJP was formed by Advani.......so what.......Congress was led by Gandhi, patel,Shastri etc......great leaders......and now.........move on.......

malikdeepak1
June 11th, 2013, 12:28 AM
Gandhi Patel Shastri are dead, not Advani

Advani is very old. He should give way to new leaders like Vajpayee did. Vajpayee might have gone off the politics related to health concerns, but he did the right thing to move on. Advani has influence in BJP and he should use it to keep the party intact and not the other way round. Its election time. Khonsde bajaye te nuksaan faltu hovega eeb.

desijat
June 11th, 2013, 01:33 AM
https://pbs.twimg.com/media/BMbHOwoCUAA3XHB.jpg:large


FUNNY AND SHAMEFUL - Modi's troll on Twitter are spreading this

vicky84
June 11th, 2013, 03:10 AM
Democracy deserves better. A strong opposition is a pre-requisite of a functioning democratic country. To be honest, many times in the recent past, BJP has shot its own foot and has fallen short of whats expected of its responsibilities as India's second biggest party. One wishes things shouldnt have come to such a point that the patriarch had to leave the party. Truly an opportunity missed by BJP to move into high gear when elections are around the corner. The Congress would be chuckling to itself; its task made a little less difficult.
Agree. A strong opposition is always a pre-requisite of a functioning democractic country. Rift in BJP would result in a weaker national party. Regional parties would do better. So we cannot see a stable government at the centre and country would struggle more than now.

Samarkadian
June 11th, 2013, 07:52 AM
अब लालकृष्ण आडवाणी को कौन समझाए कि “कन्यादान” करने की आयु में “दूल्हा” बनने की इच्छा रखना गलत बात है !

मियाँ , दुल्हन लाये अडवानी और सुहाग रात मनाये मोदी , ये भी कोई अच्छी बात नहीं !

rajpaldular
June 11th, 2013, 10:10 AM
लालकृष्ण आडवाणी का त्यागपत्र नहीं अपितु इतिहास की पुनरावृत्ति है।

इतिहास के अनछुए पन्नों को पलट कर देखें तो पाएंगे कि १९४७ के ऐसे ही द्वंद्व में आज नेहरू की जगह आडवाणी और मोदी की जगह सरदार पटेल खड़े हैं।

बस राजनाथ जी, आप स्वयं को गांधी मत बनने देना।

rajpaldular
June 11th, 2013, 11:00 AM
सुनने में आ रहा है कि विश्व की चौथी धनवान महिला सोनिया ने आडवाणी को ५ हज़ार करोड़ दिए हैं। सोनिया को पता है कि मोदी के पी एम पद की शपथ से पहले ही इटली भागना पड़ेगा।
ये सौदा बहुत पहले ही हो चुका था।
राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ नहीं चाहती कि एक राष्ट्रवादी एवं हिंदुत्ववादी इस देश का प्रधानमंत्री बनें।
सऊदी अरब, अमेरिका और ना जाने कौन-कौन मोदी के विरोध में पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं?
सोने में सुगंध का काम कर रहा है अपना बिकाऊ भांड मीडिया।

sivach
June 11th, 2013, 11:09 AM
मियाँ , दुल्हन लाये अडवानी और सुहाग रात मनाये मोदी , ये भी कोई अच्छी बात नहीं !

आडवाणी भाजपा के भीष्म माने जाते है जो सिर्फ दुल्हन ला सकते है | पहले बाजपेयी का नंबर लगा और इस बार मोदी का लग सकता है |

rajpaldular
June 11th, 2013, 01:03 PM
आडवाणी भाजपा के भीष्म माने जाते है जो सिर्फ दुल्हन ला सकते है | पहले बाजपेयी का नंबर लगा और इस बार मोदी का लग सकता है |


Well said friend.

Prikshit
June 11th, 2013, 03:08 PM
श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी के राजनैतिक जीवन का पतन उस दिन शुरू हो गया था जिस दिन पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर जाकर जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताया था | सर्वमान्य छवि बनाने के चक्कर में अपनी भी खो दी और कहावत चिरतार्थ हो गई "चौबे जी चले थे छब्बे जी बनने लौटे दुबे जी बनकर" | पार्टी के अंदर की राजनीति और स्तिथी तो पार्टी के नेता ही ज्यादा बेहतर जानते होंगे लेकिन आडवाणी के इस कदम से उनकी ही छवि पर असर पड़ेगा | बड़े बडेरे कहा करें "अपनी इज्ज़त अपने हाथ में हो " हर समय बोलने का नहीं होता है कभी कभार चुप भी रहना पड़ता है अपनी और परिवार इज्ज़त की खातिर|

आडवाणी का ये कदम भाजपा को कुछ ना कुछ चोट तो जरुर पहुँचायेगा |

Exactly, difference between Modi and advani grew post Jinnah incident. Advani is Modi maker, but now things have changed and Advani must understand the situation. This was not expected from a leader of such stature.