rajpaldular
July 30th, 2013, 03:51 PM
इतिहास की एक सत्य घटना, सभी तथाकथित सेकुलर हिंदुओं के लिए -
जब महमूद गजनवी ने भगवान शिव के सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था तब उसे एक पुजारी ने ही ईनाम के लोभ में बताया था कि मन्दिर में किस स्थान किपर तना सोना रखा है?
जब वो सब कुछ लूटकर ले जाने लगा तब उस पुजारी ने कहा कि - "मेरा ईनाम।''
महमूद गजनवी ने कहा - ''तेरा इनाम, अभी देता हूँ तेरा ईनाम।''
ऐसा कह मकर हमूद गजनवी ने म्यान से अपनी तलवार निकाली और कहा कि - "तेरे जैसे अपने ही धर्म के गद्दारों को ईनाम नही अपितु कार्य सिद्ध हो जाने के पश्चात उनका सिर कलम किया जाता है क्योंकि जो मनुष्य अपने धर्म का नही हुआ वो मेरे अथवा किसी ओर के धर्म का क्या होगा?''
और इतना कहकर महमूद गजनवी ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
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देखा जाए तो इतिहास की इस घटना को जानने के पश्चात महमूद गजनवी के प्रति तनिक से सम्मान का भाव जागृत होता है और सोचने पर विवश होना पड़ता है कि हमारा वास्तविक शत्रु कौन है, बाहरी अथवा फिर हमारे घर के भीतर र ही छुपे हुए गद्दार, जिनके कारण बाहरी लोग हमें रौंदने में सफल हो जाते हैं?
देखा जाए तो भारत में सरकारें चलाने वाले ये अखिलेश यादव, मुल्ला+यम, पिग्विजय सिंह अलियास डॉग विजय सिंह, शरद पवार, करूणानिधि, कम्युनिस्ट, लालू यादव, नितीश कुमार, मायावती, ममता बैनर्जी आदि आदि हैं तो हिंदू ही परन्तु कार्य सारे हिंदू-विरोधी और मुस्लिम-समर्थन के कर रहे हैं तो दोष किसका ?
हमारे देश में जनसंख्या हिंदुओं की सर्वाधिक है परन्तु झूठे सेकुलरिज्म के नाम पर स्वयं अपने हिंदू धर्म को नीचा दिखाने वाले और दूसरे धर्म के तलवे चाटने वाले हैं तो सेकुलर हिंदू ही, यदि अपना ही सिक्का खोटा है तो फिर दूसरे पर दोष कैसे दें ?
भगवान की ओर से यह अंतिम अवसर है, सारे हिंदुओं के लिए कि वे सभी एकजुट हो जाएँ जात-पात से ऊपर उठें और नरेंद्र मोदी को जिताकर अपने हिंदू धर्म को समाप्त होने से बचा लें अन्यथा इसके पश्चात हमारे धर्म और संस्कृति का सर्वनाश सुनिश्चित है क्योंकि उसके पश्चात हिंदू जनसँख्या बहुत शीघ्र भारत में अल्पसंख्यक होने वाली है और आज जो अल्पसंख्यक हैं वे बहुसंख्यक होने वाले हैं और उसके पश्चात वे इस सेकुलरिज्म को वैसे ही वायु में उड़ा देंगे जैसे कि उन्होनें कश्मीर, धूम्रलोचन पाकिस्तान, रक्तबीज बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ईराक, ईरान, खाड़ी के देश तथा विश्व के पचास से अधिक देशों में किया है।
जब महमूद गजनवी ने भगवान शिव के सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था तब उसे एक पुजारी ने ही ईनाम के लोभ में बताया था कि मन्दिर में किस स्थान किपर तना सोना रखा है?
जब वो सब कुछ लूटकर ले जाने लगा तब उस पुजारी ने कहा कि - "मेरा ईनाम।''
महमूद गजनवी ने कहा - ''तेरा इनाम, अभी देता हूँ तेरा ईनाम।''
ऐसा कह मकर हमूद गजनवी ने म्यान से अपनी तलवार निकाली और कहा कि - "तेरे जैसे अपने ही धर्म के गद्दारों को ईनाम नही अपितु कार्य सिद्ध हो जाने के पश्चात उनका सिर कलम किया जाता है क्योंकि जो मनुष्य अपने धर्म का नही हुआ वो मेरे अथवा किसी ओर के धर्म का क्या होगा?''
और इतना कहकर महमूद गजनवी ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
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देखा जाए तो इतिहास की इस घटना को जानने के पश्चात महमूद गजनवी के प्रति तनिक से सम्मान का भाव जागृत होता है और सोचने पर विवश होना पड़ता है कि हमारा वास्तविक शत्रु कौन है, बाहरी अथवा फिर हमारे घर के भीतर र ही छुपे हुए गद्दार, जिनके कारण बाहरी लोग हमें रौंदने में सफल हो जाते हैं?
देखा जाए तो भारत में सरकारें चलाने वाले ये अखिलेश यादव, मुल्ला+यम, पिग्विजय सिंह अलियास डॉग विजय सिंह, शरद पवार, करूणानिधि, कम्युनिस्ट, लालू यादव, नितीश कुमार, मायावती, ममता बैनर्जी आदि आदि हैं तो हिंदू ही परन्तु कार्य सारे हिंदू-विरोधी और मुस्लिम-समर्थन के कर रहे हैं तो दोष किसका ?
हमारे देश में जनसंख्या हिंदुओं की सर्वाधिक है परन्तु झूठे सेकुलरिज्म के नाम पर स्वयं अपने हिंदू धर्म को नीचा दिखाने वाले और दूसरे धर्म के तलवे चाटने वाले हैं तो सेकुलर हिंदू ही, यदि अपना ही सिक्का खोटा है तो फिर दूसरे पर दोष कैसे दें ?
भगवान की ओर से यह अंतिम अवसर है, सारे हिंदुओं के लिए कि वे सभी एकजुट हो जाएँ जात-पात से ऊपर उठें और नरेंद्र मोदी को जिताकर अपने हिंदू धर्म को समाप्त होने से बचा लें अन्यथा इसके पश्चात हमारे धर्म और संस्कृति का सर्वनाश सुनिश्चित है क्योंकि उसके पश्चात हिंदू जनसँख्या बहुत शीघ्र भारत में अल्पसंख्यक होने वाली है और आज जो अल्पसंख्यक हैं वे बहुसंख्यक होने वाले हैं और उसके पश्चात वे इस सेकुलरिज्म को वैसे ही वायु में उड़ा देंगे जैसे कि उन्होनें कश्मीर, धूम्रलोचन पाकिस्तान, रक्तबीज बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ईराक, ईरान, खाड़ी के देश तथा विश्व के पचास से अधिक देशों में किया है।