PDA

View Full Version : "सलोमण" की सुभकामनाएँ



ravinderjeet
August 20th, 2013, 01:48 PM
"सलोमण" और किते नि कहंदे होंगे इह त्यौहार ने । पर जट्टां की बात न्यारी स । जट्टों का एक भोत बड्डा त्यौहार । ऊँ ते जट्टों के सारे त्यौहार परकृति तें सम्बन्ध राखें सें पर यु कति रिश्ते पे आधारित स । ऊँ तें भाम्नां ने इह खातर भी किहे देवी-देवता की कहानी घड राखी होगी ,पर हामने ना सुनी स । सभ ताहीं इह प्रगाढ़ संबंधों पे आधारित त्यौहार "सलोमण" की सुभकामनाएँ । एक छोटी सी रचना पर्स्तुत स :-


"सलोमण "


आया सलोमण का त्यौहार ,
पड़ें मिन्ह की फुहार ,
बेबे चाली बीरा के द्वार ,
भाई-भाण का यु प्यार ,
आया सलोमण का त्यौहार ॥


किते धानां की सें लार ,
खेताँ फेल्या हर्या -भर्या प्यार ,
किते डांगराँ की सें डार ,
सामण की फुहार ,
आया सलोमण का त्यौहार ॥


बेबे पोंहची ले के पोंहची ,
भाई स्वागत ने से तयार ,
भाई-भतीजे जुग-जुग जीवें ,
सदा सुखी रहवे परिवार ,
आया सलोमण का त्यौहार ॥


बीरा आपणा धरम निभाइये ,
भीड़ पड़ी में आइये ,
दुश्मन का जीणा करे दुशवार ,
यु भाई भाण का प्यार ,
आया सलोमण का त्यौहार ॥


बेबे ने तिलां का नि कति लोभ ,
बीरा का बन्या रहवे यु रोब ,
बीरा दोनु हाथ कमाइये ,
बीरा भीड़ पड़ी में आइये ,
बीरा भाई-भाण का प्यार ,
बीरा आया सलोमण का त्यौहार ॥ ---------रवि "अतृप्त"

SandeepSirohi
August 20th, 2013, 01:54 PM
म्हारे यहाँ "सलूने" भी कह्या करते है इसने |