phoolkumar
October 20th, 2013, 11:41 AM
बुलेट राजा के डायलाग "रूठा तो ये", "भूखा तो ये" की तर्ज पर:
अपने ही धर्म पे वीरता/घमंड/क्रोध दिखाया तो क्या दिखाया, वीरता/घमंड/क्रोध तो वो होते है जो अपने धर्म/देश को मिटाने वालों के विजय रथों और पताकाओं को थाम दें, और वो होते हैं ‘जाट’
जो समुद्र-मंथन के जहर को पी नीलकंठ कहलाये तो
जाटों के पूर्वज शिवजी भगवान
जो दुर्दांत खुनी योद्धा से धर्म-प्रचारक बने तो
अशोक-दी-ग्रेट
जो मोरध्वज की पताका लहरा जम्बू-द्वीप थमा दे तो
भगवान कार्तिकेय
जो अलेक्सजैंडर (सिकन्दर) के विजय रथ को चेता दे, और उसे आंधी से तूफ़ान बना भारत से भगोड़ा बना दे तो
क्रमश: राजा पोरस व् सिन्धी जाट
जो अंग्रेजों के राज के कभी ना छुपने वाले सूरज को छिपा दे तो
महाराजा रणजीत सिंह लोहागढ़
जिसका नाम सुनते ही दुश्मनों को अल्लाह याद आ जाए तो
जाट अफलातून महाराजा सूरजमल
जो भगवान से भी खेत जुतवा दे तो
जाट धन्ना भगत
जो खाप जैसे विश्व के सबसे बड़े सोशल इंजिनियर सिस्टम को प्रफुल्लित कर दे तो
महाराजा हर्षवर्धन सिंह बैंस
जो गोवर्धन पर्वत को ऊँगली पे उठा इंद्र का अभिमान तोड़ दे तो
भरतपुर कुल के पूर्वज श्री कृष्णा
जो समाज में पुरुष-महिला शिक्षा के प्रकाश हेतु खापलैंड की हर दस-कोष पे गुरुकुल खुलवा दे तो
खाप
जो अपने घायल भाइयों (मराठों) की मरह्म्म-पट्टी के लिए अहमदशाह अब्दाली से दुश्मनी मोल ले तो
जाट अफलातून महाराजा सूरजमल
जिसके रहते अंग्रेज पंजाब में घुस तक ना पायें तो
शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह
जो पृथ्वीराज के खून का बदला ले मोहम्मद गौरी की गर्दन उतार ले तो
खोखर जाट
सोमनाथ के मंदिर की लूट को महमूद गजनवी के जबाड़े से निकाल लाये व् जिसके दर पे ‘बाबर’ भी शीश नवाए तो
सर्वखाप
जो औरंगजेब के पंजों से हिन्दू धर्म का अस्तित्व बचाने हेतु सर्वप्रथम अपनी कुर्बानी दे तो
समरवीर ज्योति गोकुला जी महाराज
जो औरंगजेब का अभिमान चूर कर दे तो
राजाराम जी
जो दिल्ली में अंग्रेजों को शांति-संधि के लिए मजबूर कर सफेद झंडे उठवा दे तो
वल्लभगढ नरेश नाहर सिंह
जिसका क्रोध जब दिल्ली पे टूटे तो दिल्ली को हराकर, लाल किले के किवाड़ नजराने के लिए उतार लाये तो
महराजा जवाहर सिंह सिनसिनवार
जो हिन्दू-सिख धर्म की बेटियों से कोला पूजवाने वालों की रियासत कलानौर की बोर निकाल दे तो
दादा धौला सिंह जी (गठ्वाला खाप नेतृत्व)
जो मुस्लिम-हिन्दू किसान एकता की पताका उठा गाँधी-नेहरु-जिन्ना के सपनों को जीते-जी साकार ना होने दे तो
रहबर-ए-हिन्द सर छोटूराम
जो नेता जी की आज़ाद हिन्द फ़ौज को विदेश में शून्य से तैयार करवा दे तो
मुरसन नरेश महेन्द्र प्रताप
जो अंग्रेजों के बहरे कानों को गूंजा दे और जेल सुधार कानून लगवा दे तो
शहीद-ए-आज़म भगत सिंह
जो फ़ोर्ब्स मैगज़ीन (2008) में विश्व के टॉप दस व्यापारियों (इकलौता गैर-बनिया) में नाम करवा दे तो
कुशलपाल सिंह (DLF)…………………बाकी अगली बार
विशेष: इस स्लाइड को कोई समाज में आपसी खुंदक निकालने या इतराने का जरिया ना बनाए, यह सिर्फ जाट-वीरों के जौहर को एक पट्टल पर दर्शाने हेतु बनाई गई है|
और इनमें से किसी ने किसी की पत्नी नहीं हरी, माओं के गले नहीं रेते, चोरी से किसी का भोजन नहीं खाया सिर्फ धर्म/देश और अपने भाइयों-बहनों की रक्षा और उद्दार किया
Phool Kumar Malik
अपने ही धर्म पे वीरता/घमंड/क्रोध दिखाया तो क्या दिखाया, वीरता/घमंड/क्रोध तो वो होते है जो अपने धर्म/देश को मिटाने वालों के विजय रथों और पताकाओं को थाम दें, और वो होते हैं ‘जाट’
जो समुद्र-मंथन के जहर को पी नीलकंठ कहलाये तो
जाटों के पूर्वज शिवजी भगवान
जो दुर्दांत खुनी योद्धा से धर्म-प्रचारक बने तो
अशोक-दी-ग्रेट
जो मोरध्वज की पताका लहरा जम्बू-द्वीप थमा दे तो
भगवान कार्तिकेय
जो अलेक्सजैंडर (सिकन्दर) के विजय रथ को चेता दे, और उसे आंधी से तूफ़ान बना भारत से भगोड़ा बना दे तो
क्रमश: राजा पोरस व् सिन्धी जाट
जो अंग्रेजों के राज के कभी ना छुपने वाले सूरज को छिपा दे तो
महाराजा रणजीत सिंह लोहागढ़
जिसका नाम सुनते ही दुश्मनों को अल्लाह याद आ जाए तो
जाट अफलातून महाराजा सूरजमल
जो भगवान से भी खेत जुतवा दे तो
जाट धन्ना भगत
जो खाप जैसे विश्व के सबसे बड़े सोशल इंजिनियर सिस्टम को प्रफुल्लित कर दे तो
महाराजा हर्षवर्धन सिंह बैंस
जो गोवर्धन पर्वत को ऊँगली पे उठा इंद्र का अभिमान तोड़ दे तो
भरतपुर कुल के पूर्वज श्री कृष्णा
जो समाज में पुरुष-महिला शिक्षा के प्रकाश हेतु खापलैंड की हर दस-कोष पे गुरुकुल खुलवा दे तो
खाप
जो अपने घायल भाइयों (मराठों) की मरह्म्म-पट्टी के लिए अहमदशाह अब्दाली से दुश्मनी मोल ले तो
जाट अफलातून महाराजा सूरजमल
जिसके रहते अंग्रेज पंजाब में घुस तक ना पायें तो
शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह
जो पृथ्वीराज के खून का बदला ले मोहम्मद गौरी की गर्दन उतार ले तो
खोखर जाट
सोमनाथ के मंदिर की लूट को महमूद गजनवी के जबाड़े से निकाल लाये व् जिसके दर पे ‘बाबर’ भी शीश नवाए तो
सर्वखाप
जो औरंगजेब के पंजों से हिन्दू धर्म का अस्तित्व बचाने हेतु सर्वप्रथम अपनी कुर्बानी दे तो
समरवीर ज्योति गोकुला जी महाराज
जो औरंगजेब का अभिमान चूर कर दे तो
राजाराम जी
जो दिल्ली में अंग्रेजों को शांति-संधि के लिए मजबूर कर सफेद झंडे उठवा दे तो
वल्लभगढ नरेश नाहर सिंह
जिसका क्रोध जब दिल्ली पे टूटे तो दिल्ली को हराकर, लाल किले के किवाड़ नजराने के लिए उतार लाये तो
महराजा जवाहर सिंह सिनसिनवार
जो हिन्दू-सिख धर्म की बेटियों से कोला पूजवाने वालों की रियासत कलानौर की बोर निकाल दे तो
दादा धौला सिंह जी (गठ्वाला खाप नेतृत्व)
जो मुस्लिम-हिन्दू किसान एकता की पताका उठा गाँधी-नेहरु-जिन्ना के सपनों को जीते-जी साकार ना होने दे तो
रहबर-ए-हिन्द सर छोटूराम
जो नेता जी की आज़ाद हिन्द फ़ौज को विदेश में शून्य से तैयार करवा दे तो
मुरसन नरेश महेन्द्र प्रताप
जो अंग्रेजों के बहरे कानों को गूंजा दे और जेल सुधार कानून लगवा दे तो
शहीद-ए-आज़म भगत सिंह
जो फ़ोर्ब्स मैगज़ीन (2008) में विश्व के टॉप दस व्यापारियों (इकलौता गैर-बनिया) में नाम करवा दे तो
कुशलपाल सिंह (DLF)…………………बाकी अगली बार
विशेष: इस स्लाइड को कोई समाज में आपसी खुंदक निकालने या इतराने का जरिया ना बनाए, यह सिर्फ जाट-वीरों के जौहर को एक पट्टल पर दर्शाने हेतु बनाई गई है|
और इनमें से किसी ने किसी की पत्नी नहीं हरी, माओं के गले नहीं रेते, चोरी से किसी का भोजन नहीं खाया सिर्फ धर्म/देश और अपने भाइयों-बहनों की रक्षा और उद्दार किया
Phool Kumar Malik