PDA

View Full Version : पौराणिक धार्मिक गर्न्थों की मूल कृतियों &#



phoolkumar
November 16th, 2013, 12:00 AM
पौराणिक धार्मिक गर्न्थों की मूल कृतियों में छेड़छाड़ करके नए सिरे से टी. वी. सीरियल बनाने का दौर:

(आजकल स्टार प्लस पर आ रहे "महाभारत" सीरियल के निर्देशक सिद्दार्थ आनंद के लिए एक सुझाव)

स्वास्तिक पिक्चर्स के बैनर तले सिद्धार्थ तिवारी द्वारा कृत व् सिद्धार्थ आनंद द्वारा निर्देशित स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले टी. वी. सीरियल "महाभारत" का 15 नवंबर 2013 को प्रसारित हुए एपिसोड में गुरु द्रोण द्वारा एकलव्य से गुरु-दक्षिणा में अंगूठा मांग लेने वाले हादसे पर अर्जुन को दी गई सफाई देखी|

अच्छा प्रयास लगा और बी. आर. चौपड़ा द्वारा निर्देशित समकक्ष अध्याय से कहीं बेहतर भी| जहां बी. आर. चौपड़ा निर्देशित महाभारत में एकलव्य का अगूंठा मांगने के पीछे एकलव्य का शुद्र जाति से होना दिखाया गया था, आज वाले सिद्धार्थ द्वारा निर्देशित एपिसोड में उस तथ्य को बदल कर एकलव्य का अंगूठा मांग लेने के पीछे कारण दिया गया कि एकलव्य मगध देश यानि कुरु-राजवंश के दुश्मन देश से था और वह अपनी विद्या का हस्तिनापुर के विरुद्ध उपयोग करने वाला था इसलिए गुरु द्रोण ने इस भय से उसका अंगूठा ले लिया कि कहीं उनकी दी हुई विद्या को एकलव्य उनकी निष्ठाबद्ध राज्य के विरुद्ध प्रयोग ना कर दे|

हालाँकि सिद्धार्थ जी ने अच्छा प्रयास किया कि जिस बात के पीछे महाभारत की मूल प्रति में एकलव्य के वर्ण और जाति को कारण बताया गया था, उन्होंने इसको एडिट करके मगध और हस्तिनापुर की दुश्मनी पर डलवा दिया| लेकिन कमी आप भी छोड़ गए सिद्दार्थ जी, क्योंकि जब एकलव्य गुरु द्रोण को दक्षिणा में कुछ भी देने का वचन ले चुका था तो गुरु द्रोण दक्षिणा में उससे यही वचन ले लेते कि एकलव्य जीवन में उनके द्वारा दी गई विद्या (गुरु द्रोण की मूर्ती बना के एकलव्य ने जो विद्या अर्जित करी) का कभी भी हस्तिनापुर राज्य के विरुद्ध उपयोग नहीं करेगा और करेगा तो उसको श्राप रहेगा कि उसकी सारी विद्याएँ नष्ट हो जाएँगी? मेरे ख्याल से इससे उसका अंगूठा कटवाने की जरूरत ही नहीं पड़ती, नहीं?

खैर शायद आपके बाद अभी एक-दो और निर्देशकों को वक्त लगेगा इस स्तर की एडिटिंग तक पहुँचने में| वैसे देखें सिद्धार्थ जी उस वक्त क्या एडिटिंग लाते हैं उनकी सीरीज में, जब कुरुक्षेत्र के मैदान में एकलव्य दुर्योधन की तरफ से युद्ध लड़ने आता है, गुरु द्रोण की निष्ठाबद्ध हस्तिनापुर राज्य के अर्जुन के विरुद्ध| उम्मीद है कि जिस भय से उसका अंगूठा लिया गया उस भय को सच होने से द्रोण पूर्णत: रोक पाएं, इसपे आप कुछ बढ़िया सी एडिटिंग करके पेश करेंगे|

वैसे मेरा सुझाव बुरा नहीं कि एकलव्य द्वारा हस्तिनापुर पर आक्रमण करने के भय को खत्म करने हेतु उसका अँगूठा मांगने की बजाये उससे गुरु दक्षिणा में वचन लिया जाता कि वो हस्तिनापुर के विरुद्ध किसी युद्ध या षड्यंत्र में प्रतिभागी नहीं होगा|

वैसे पता नहीं कि आशाराम बापू जैसों के कुकृत्यों से सीख के अथवा किसी और वजह से आपने श्री कृष्णा के बचपन और उनकी रासलीलाओं का तो पूरा किस्सा ही गायब कर रखा है आप वाले प्रारूप वाली महाभारत से| और माद्री का पांडु के साथ ही मर जाने के पीछे, जहां पहले की महाभारतों और प्राचीन मूल कृतियों में सती-प्रथा को कारण बताया गया था उसको भी नहीं दिखाया|

मतलब आप लोग पुराणों की मूल कृतियों में बदलाव तो ला रहे हो पर सम्पूर्ण बदलाव से अभी भी हिचक रहे हो|

वैसे क्या पुराणों की मूल कृतियों के साथ ऐसी छेड़छाड़ धर्मसंगत है? कहीं आप ऐसी छेड़छाड़ करके इनको काल्पनिक होने की बहस पे मुहर तो नहीं लगा रहे, कि जो चाहे इनको जैसे एडिट कर ले, क्योंकि ये काल्पनिक चीजें हैं? – Phool Kumar Malik