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View Full Version : हिंदुत्व, मुस्लिमत्व, सूअर और कट्टरवादित&#



phoolkumar
February 1st, 2014, 03:31 PM
हिंदुत्व, मुस्लिमत्व, सूअर और कट्टरवादिता:

कट्टरवादिता एक इंसान को किस हद तक कुंध, विकृत, अँधा, अपनी ही मान्यताओं के विपरीत व् आराध्यों के विरुद्ध जा खड़ा होने वाला बना देती है इसका जीता-जागता उदाहरण है सूअर के बहाने एक समुदाय विशेष को गाली देना या सूअर शब्द को उनके ऊपर तिरस्कार की भांति प्रस्तुत करना| और जो इसको ऐसे प्रस्तुत करते हैं वो इस कट्टरवादिता रुपी मानसिकता का कुप्रभाव है कि वो यह भी देख...ना भूल जाते हैं कि यही सूअर तुम्हारे ही सर्व-आराध्य जगतेश्वर श्री हरी विष्णु भगवान का तीसरा अवतार हुआ था, यानि वराह अवतार| जो इस पंथ के होते हुए भी यह नहीं जानते वो जाएँ और पहले विंष्णु-पुराण ग्रन्थ के तृतीय अवतार की कथा पढ़ें और फिर पकड़ें अपना माथा और सोचें कि आगे से तुम लोगों को सूअर शब्द और इस जानवर को अपने गर्न्थों-पुराणों की मान्यताओं के अनुसार पूजना चाहिए या समाज में कट्टरवाद के चलते विखंडन फैलाने हेतु गाली व् तिरस्कार के रूप में प्रयोग करना चाहिए?

सम्भवत: जब इस शब्द और जानवर दोनों को विष्णु भगवान से सीधा-सीधा जुड़ा पाओगे तो इसको गाली की तरह प्रयोग करने से कम-से-कम जरूर बचना चाहोगे! इसलिए सभ्य बनो, और किसी का विरोध भी करना है तो उसके सभ्य तरीके ढूंढो| ऐसे कबीलाई प्रजाति की भांति अंध हो कर अपने-आपको हास्य का पात्र बनने से बचाओ|

जाटलैंड पर क्यों लाई गई यह पोस्ट: वैसे तो इस पोस्ट का जाटलैंड वेबसाइट से सीधा-सीधा कोई नाता नहीं कह सकता, लेकिन इसको यहाँ लाना इसलिए जरूरी था ताकि इसको अपने स्तर पर परख कर जाट जाति के कुछ युवक उनके बुजुर्गों जैसे कि चौधरी सर छोटूराम, चौधरी चरण सिंह, चौधरी ताऊ देवीलाल, चौधरी बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के दिए गैर-धार्मिक पथ पे चलने से पथभ्रष्ट ना हों| हमारे बुजुर्गों ने अगर हिन्दू-मुस्लिम व् सिख जाट की एकता-समरसता व् अखंडता की राह दिखाई थी, तो वो यूँ ही नहीं दिखाई थी| और ये कट्टरवाद वालों को जब अपने बनाये-रचे-गाये ग्रंथों की मान-मर्यादा का ही ख्याल नहीं तो आपका क्या ख्याल रखेंगे ये और क्या मार्ग प्रशस्त करेंगे किसी का?

भटकाव और भंवर में फंसा के छोड़ देंगे, जैसे कि मुज़फ्फरनगर में छोड़ा| पूरा मामला जो असली मैदान छिड़ने से पहले हिन्दू-बनाम-मुस्लिम दिखाया व् गाया गया वो कैसे बाद में जाट-बनाम-मुस्लिम बना के बाकी सारे तथाकथित कट्टर किनारे हो लिए, वर्ना क्या इनमें से एक भी इसपे आवाज ना उठाता कि इस मामले को तमाम मीडिया में जाट-बनाम-मुस्लिम क्यों बना दिया गया अब जबकि शुरू में यह हिन्दू-बनाम-मुस्लिम था?

इसलिए इस कट्टरवाद में पड़, उस असली धर्मनिरपेक्षता को मत त्यागो जिसका बीज 1857 में बहादुरशाह जफ़र व् खापों के समझौतों से शुरू हो, मुज़फ्फरनगर ना होने तक निरंतर बहता आ रहा था| इसी में अन्नपूर्णा जाति का यथार्थवादी भविष्य निहीत है| - Phool Kumar Malik

deshi-jat
February 2nd, 2014, 12:38 AM
Does dog also fit in same category? A dog was companion of Pandav's in their journey to heaven. But now days its name is used to abuse or to show disrespect, particularly in Hindi movies


हिंदुत्व, मुस्लिमत्व, सूअर और कट्टरवादिता:

कट्टरवादिता एक इंसान को किस हद तक कुंध, विकृत, अँधा, अपनी ही मान्यताओं के विपरीत व् आराध्यों के विरुद्ध जा खड़ा होने वाला बना देती है इसका जीता-जागता उदाहरण है सूअर के बहाने एक समुदाय विशेष को गाली देना या सूअर शब्द को उनके ऊपर तिरस्कार की भांति प्रस्तुत करना| और जो इसको ऐसे प्रस्तुत करते हैं वो इस कट्टरवादिता रुपी मानसिकता का कुप्रभाव है कि वो यह भी देख...ना भूल जाते हैं कि यही सूअर तुम्हारे ही सर्व-आराध्य जगतेश्वर श्री हरी विष्णु भगवान का तीसरा अवतार हुआ था, यानि वराह अवतार| जो इस पंथ के होते हुए भी यह नहीं जानते वो जाएँ और पहले विंष्णु-पुराण ग्रन्थ के तृतीय अवतार की कथा पढ़ें और फिर पकड़ें अपना माथा और सोचें कि आगे से तुम लोगों को सूअर शब्द और इस जानवर को अपने गर्न्थों-पुराणों की मान्यताओं के अनुसार पूजना चाहिए या समाज में कट्टरवाद के चलते विखंडन फैलाने हेतु गाली व् तिरस्कार के रूप में प्रयोग करना चाहिए?

सम्भवत: जब इस शब्द और जानवर दोनों को विष्णु भगवान से सीधा-सीधा जुड़ा पाओगे तो इसको गाली की तरह प्रयोग करने से कम-से-कम जरूर बचना चाहोगे! इसलिए सभ्य बनो, और किसी का विरोध भी करना है तो उसके सभ्य तरीके ढूंढो| ऐसे कबीलाई प्रजाति की भांति अंध हो कर अपने-आपको हास्य का पात्र बनने से बचाओ|
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phoolkumar
February 2nd, 2014, 02:21 AM
campanion aur incarnation (avatar) mein fark hota hai!


Does dog also fit in same category? A dog was companion of Pandav's in their journey to heaven. But now days its name is used to abuse or to show disrespect, particularly in Hindi movies

deshi-jat
February 2nd, 2014, 10:23 AM
यो के पल्ला-झाड़ स्पष्टीकरण दिया ?


campanion aur incarnation (avatar) mein fark hota hai!

DrRajpalSingh
February 2nd, 2014, 10:34 AM
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जाटलैंड पर क्यों लाई गई यह पोस्ट: वैसे तो इस पोस्ट का जाटलैंड वेबसाइट से सीधा-सीधा कोई नाता नहीं कह सकता, लेकिन इसको यहाँ लाना इसलिए जरूरी था ताकि इसको अपने स्तर पर परख कर जाट जाति के कुछ युवक उनके बुजुर्गों जैसे कि चौधरी सर छोटूराम, चौधरी चरण सिंह, चौधरी ताऊ देवीलाल, चौधरी बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के दिए गैर-धार्मिक पथ पे चलने से पथभ्रष्ट ना हों| - Phool Kumar Malik

Did the great Jats really misled people by advising tolerance in social relationship !

phoolkumar
February 2nd, 2014, 12:12 PM
You would be having some reason behind it, please bring that on front and I shall put my bite then!


Did the great Jats really misled people by advising tolerance in social relationship !

rekhasmriti
February 3rd, 2014, 10:37 PM
"इसको गाली की तरह प्रयोग करने से कम-से-कम जरूर बचना चाहोगे! इसलिए सभ्य बनो, और किसी का विरोध भी करना है तो उसके सभ्य तरीके ढूंढो"

I always favor all that stuff which directly or indirectly teach some good . In other words " Objective " acha hona chahiye , chahe " Logic " logic less ho .