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View Full Version : जाट बनाम परिवारवाद।



abhisheklakda
February 25th, 2014, 11:35 PM
राम राम जाट भाइयोँ।
इस लेख मेँ जाट राजनीति के बारे मेँ बात करूंगा। मेरा आपसे निवेदन है कि आप इसे पूरा पढ़ेँ और अपने सुझाव जरूर देँ। जैसा कि आप सब जानते हैँ कि जाट प्राचीन काल से ही स्वतंत्र विचारोँ वाले और लोकतांत्रिक
रहे हैं। जब पूरा भारत गुलामी की बेड़ियो मे जकड़ा हुआ था तब भी जाटोँ की स्वतंत्रता मेँ कोई सीधा हस्तक्षेप
नही था, चाहे वो मुगलो का शासन ही क्योँ ना रहा हो।
परन्तु आज के जाट समाज को देखकर कोई ये नहीँ कह सकता कि हम लोकतांत्रिक रह हो। आप जरा सोचिए कि अगर सर छोटू राम जी अपने किसी सगे संबंद्धि को अपना राजनी उत्तराधिकार सौँप कर जाते तो मुझे
नही लगता कि उनके सगे संबंद्धि से सफल कोई राजनीतिज्ञ होता।
अगर चौ. चरण सिँह लोकदल का भार चौ. देवीलाल को न सौंपकर अपने पुत्र अजीत सिँह को सौँप देते
तो इसमेँ कोई शक की बात नहीँ कि अजित सिँह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होते।
पर इन दोनोँ महापुरुषोँ ने ऐसा नहीँ किया। अगर ये ऐसा करते तो हरयाणा मेँ बंसीलाल, देवीलाल जैसे
जाट नेता मुख्यमंत्री ना होते।
अजित सिँह UP के मुख्यमंत्री होते। महेन्द्र सिँह टिकैत जैसा महान नेता ना होते। क्योँकि इनके पुत्र पुत्रियाँ ही नेता होते।
पर उन्होनेँ ऐसा नहीँ किया क्योँकि उ जाट जाती से प्यार था और वे सच्चे सिपाही थे जाट कौम के। हर एक
जाट को अपना सगा संबद्धि मा थे। उनको प्यार था हम सब से।
परन्तु आज के जाट नेताओँ को तो देखिए वे अपने बच्चोँ के सिवाय किसी को अपना नहीँ मान केवल अपने स्वार्थ को सिद्ध करते है। और अपने स्वार्थ के लिए पुरी जाट जाति के हितोँ को बली चढ़ा देते है। जाट के नाम पर छलते ह पूरे जाट समाज को।
मैँ पूछना चाहता हूँ इन समाज के ठेकेदारोँ से कि तुम हमे अपना मानते भी हो या नहीँ ।
क्या तुम्हे कोई जाट योग्य नजर नहीँ आता।
मित्रोँ हमारे देश मे तीन जाट पार्टियाँ है INLD, RLD, अकाली दल । ये तीनोँ हि पार्टियाँ जाट के नाम पर vote
पाती है । पर जाटोँ के लिए इन पार्टियोँ ने कुछ नहीँ किया केवल जाटोँ के नाम पर सत्ता का सुख भोगते रहे।
पूरी जाट जाती की भावना से खिलवाड़ करते रहे।
मैँ पूछना चाहता हूँ कि चौ. देवीलाल को अपने पुत्र के अलावा कोई और जाट नजर नही आया मुख्यमंत्री बना
के लिए। ये चौ. देवीलाल ही थे जिन्होने मुलायम को मुख्यमंत्री बनवा कर UP मेँ जाट राजनीति का अन्त कर
दिया। अब मान्यवर चौटाला जी है जो अपने बेटोँ और पौत्रोँ के राजनीतिक भविष्य को चमकाने मे लगे हुए है।
इनको जाटोँ से कोई लेना देना नहीँ है।
प्रकाश सिंह बादल भी ऐसे ही है वे चाहते तो और जाट नेताओँ को भी आगे ला सकते थे। पर पुत्र मोह ?
और अजित सिँह कि तो छोड़ ही दे उनको तो लालच इतना है कि किसी प्रकार आशा ही छोड़ दो।
जितना ये नेता दोषी है उससे ज्यादा हम खुद दोषी है जो इनके पिछलग्गु बने हुए है। और पूरी जाट जाति को गर्त मे ले जा रहे है।
भावनावोँ मे राजनीतिक विवेक खो दिया। अगर कोई नयी पीढ़ी का जाट नेता उभरता भी है तो उसकी टाँग खीँचने मे पूरी ऊर्जा लगा देते है।
पूरा जाट समाज राजनीतिक दासता मे जकड़ा हुआ है। एसे मे मुझे नहीँ लगता कि कोई भी जाटोँ को लोकतांत्रि
कहेगा।
पर मैँ इतना जरूर कहना चांहूगा कि जिस जाट जाति का इतिहास इतना गौरवशाली रहा है उसको धूमिल ना होने दे।
ताश को छोड अपने समाज के बारे मे सोचे।
हमेँ नया इतिहास लिखना है। सर छोटूराम,चौ. चरण सिँह जैसे नेता बनाने है।
जाटोँ मे प्रतिभा की कोई कमी नहीँ है प राजनीतिक दासता छोड़ना होगा।
इन परिवारोँ के पीछे भागने से कुछ नहीँ होगा।
आखिर मे मैँ बस इतना कहूगा कि मेरे युवा जाट भाईयोँ जागोँ।
हम जाट है, और जाट कुछ भी कर सकता है। जिस प्रकार राजा जवाहर सिँह ने कम उम्र मेँ अपने
पहले अभियान मे दिल्ली को रौँद दिया था उसी प्रकार से हमे भी अपनी नेतृत्व शक्ति को पहचानते हुए
नया इतिहास रचना है।
धन्यवाद्
चौ. अभिषेक लाकड़ा