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View Full Version : जाट एकता की आवश्यकता???????



abhisheklakda
March 5th, 2014, 12:01 AM
जाट भाईयोँ राम राम, आज कल जब जाट आपस मेँ एकता की बात करते है। जाटलैंड मेँ अपने घटते प्रभाव को बढ़ाने की बात करते है तो कुछ लोगोँ को ये बात हजम नहीँ होती। कुछ जाटोँ पर भी इनका प्रभाव पड़ा हुआ है और वे भी अपने ही जाट भाईयोँ के खिलाफ मोर्चा खोल देते है। और अपनी तुच्छ मानसिकता का प्रदर्शन यँहा गालियाँ देकर करते है। मैँ उनसे पूछना चाहता हूँ कि अगर हम जाट राष्ट्रवाद की बात करते है तो इसमेँ गलत क्या है? अगर हम अपनी जाट कौम के अधिकारोँ , अपनी जाट संस्कृति को बचाने की बात करते है तो इसमेँ गलत क्या है? दोस्तोँ इस देश मेँ जब कोई हिन्दू राष्ट्रवाद की बात कर दूसरे धर्मोँ के प्रति घृणा फैलाता है तो ठीक है? जब मराठा राष्ट्रवाद के नाम पर उत्तर भारतियोँ को मारा जाता है, तो ठीक है? लेकिन जब जाट राष्ट्रवाद के नाम पर सभी धर्मोँ के जाटोँ की एकता की बात की जाती है, जब किसानोँ की बात की जाती है, जब जाट एकता की बात की जाती है तो ये ब्राह्मणवादी भड़क उठते है। और कुछ जाट भाई भी इनके बहकावे मेँ आकर अपने जाट भाईयोँ को माँ बहन की गालिया देने लग जाते है। पर भाईयोँ अब जागने का वक्त आ गया है । ऐसे लोगोँ को सबक सिखाने का वक्त आ गया है। और सबसे पहले अपने जाट भाईयोँ मेँ सुधार लाना है। अगर हम सुधर गये, एक हो गये तो मित्रो फिर वो दिन दूर नहीँ जब इस देश मेँ जाटनीति चलेगी , किसान नीति चलेगी।

धन्यवाद
चौधरी अभिषेक लाकड़ा

vairesatendra
March 5th, 2014, 02:30 PM
Jat ekta me Hamare netao se zyada hamari soch aade aati h...Koi kehta h m UP ka Jat hu, kehta h, m Haryana ka Jat hu, koi kehta h, me to Delhi ka Jat hu, koi kehta h m Rajasthan k Jat hu...Isilye tarah se Jat vibhbhin rajyo me bant kar reh gaya h.

Rajyon ki bat bhi chhod dijiye, ek hi rajya me Jat district-wise bhi banta hua h. Tu Shamli ka Jat h, Tu Mathura ka Jat h, Tu Agra ka Jat h, Tu Bharatput ka Jat h...and so on.

Jato ko rajyo aur janpado ki seema se upar uth kar khud ko Jat kehna hoga.