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View Full Version : सेकुलर बुद्धिजीवी गैंग का नकाब !!!!



rajpaldular
May 8th, 2014, 12:02 PM
श्रीनगर में एक मुस्लिम महिला संगठन है जिसका नाम है “दुख्तरान-ए-मिल्लत”, जो मुस्लिम महिलाओं को इस्लामिक परम्पराओं और ड्रेस कोड को सख्ती से लागू करवाने के लिये कुख्यात है चाहे इस “पवित्र कार्य”(?) के लिये हिंसा का ही सहारा क्यों न लेना पड़े। उनका दावा है कि यह मुस्लिम महिलाओं के भले के लिये है, दुख्तरान-ए-मिल्लत की स्वयंभू अध्यक्षा हैं आसिया अन्दराबी, जिसे कई बार देशद्रोही गतिविधियों, जेहादी गुटों द्वारा भारी मात्रा में पैसा प्राप्त करने, और आतंकवादी संगठनों की मदद के लिये कई बार जेल हुई। अमेरिका की खुफ़िया एजेंसियों की एक रिपोर्ट के अनुसार दुख्तरान-ए-मिल्लत 1995 में बीबीसी के दफ़्तर में हुए पार्सल बम विस्फ़ोट के लिये भी दोषी पाई गई है। आसिया अन्दराबी को पोटा के तहत गिरफ़्तार किया जा चुका है और उसे हवाला के जरिये भारी मात्रा में पैसा प्राप्त होता रहा है। मैडम अन्दराबी भारत के खिलाफ़ जब-तब जहर उगलती रहती हैं। इतनी भूमिका बाँधने का असली मकसद सेकुलरों, कांग्रेसियों, नकली हिन्दुओं, नपुंसक हिन्दुओं, तटस्थ हिन्दुओं को सिर्फ़ यह बताना है कि इस “महान महिला” का एक बार भी नार्को टेस्ट नहीं किया गया। कभी भी जीटीवी या NDTV ने इसके बारे में कोई खबर नहीं दी। इसके विपरीत कई महिला संगठनों ने इसका इंटरव्यू लिया और कहा गया कि यह “इस्लामी महिलाओं का क्रांतिकारी रूप”(?) है।

कश्मीर में भारत के झण्डे जलाते और उग्र प्रदर्शन करते युवक भारत के सेकुलरों के लिये “भ्रमित युवा” हैं जिन्हें समझने(?) की जरुरत है, जबकि अमरनाथ भूमि के लिये जम्मू में प्रदर्शन करते युवक “उग्र, हिंसक और भाजपा के गुण्डे” हैं, ये है इनका असली चेहरा… जैसे ही एक साध्वी सिर्फ़ शंका के आधार पर पकड़ाई, मानो सारे चैनलों और अखबारों को काम मिल गया, जाँच एजेंसियाँ और ATS अचानक प्रभावशाली हो गये, तुरन्त नारको टेस्ट का आदेश दिया गया, कोई सबूत न मिला तो “मकोका” लगा दिया गया ताकि आसानी से छुटकारा न हो सके और न्यायालय को गच्चा दिया जा सके, साध्वी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा, लेकिन महान सेकुलर लोकतन्त्र का एक भी महिला संगठन उसके पक्ष में आवाज उठाने आगे नहीं आया। भले ही कोई साध्वी को निर्दोष बताने के पक्ष में सामने न आता, लेकिन एक “महिला” के सम्मान बचाने, उसे अपने दैनिक धार्मिक कार्य सम्पन्न करवाने, और सतत एक महिला कांस्टेबल साथ रखने जैसी मामूली माँगें तक उठाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। जबकि यही महिला संगठन और गिरिजा व्यास के नेतृत्व में महिला आयोग, देश के किसी भी कोने में किसी अल्पसंख्यक महिला पर हो रहे अत्याचार पर जरा-जरा सी बात पर आसमान सिर पर उठा लेते हैं। नारको टेस्ट के दौरान साध्वी पूरा सहयोग देती हैं, लेकिन फ़िर भी ATS चार-चार बार नारको टेस्ट करवाती है, ये सब क्या है? मजे की बात तो यह है कि यही महिला आयोग राखी सावन्त जैसी “आईटम गर्ल” के पक्ष में तुरन्त आवाज उठाता रहा है, जबकि वह अपनी पब्लिसिटी के लिये वह सारी “हरकतें” कर रही थी।

मानवाधिकार आयोग नाम का “बिजूका” तो चुपचाप बैठा ही है, मार्क्सवादियों के मुँह में भी दही जम गया है, वाचाल अमर सिंह भी अज्ञातवास में चले गये हैं, जबकि यही लोग अफ़जल की फ़ाँसी बचाने के लिये जी-जान एक किये हुए हैं, भले ही सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया है। प्रज्ञा का असली दोष यह है कि वह “भगवा” वस्त्र पहनती है, जो कि कांग्रेस और वामपंथियों को बिलकुल नहीं सुहाता है। सरकार की “सुरक्षा” लिस्ट में वह इसलिये नहीं आती क्योंकि “540 विशिष्ट” (सांसद) लोगों जिनमें से दो तिहाई पर हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, धोखाधड़ी के मामले चल रहे हैं, इनकी “सुरक्षा और सम्मान” बरकरार रखना ज्यादा जरूरी है।

सबसे पहले ATS की RDX वाली “थ्योरी” पिटी, फ़िर हैदराबाद पुलिस ने यह कहकर केस की हवा निकाल दी कि मालेगाँव और हैदराबाद की मक्का मस्जिद विस्फ़ोट में आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। जिस मोटरसाइकल के आधार पर यह केस खड़ा किया जा रहा है वह प्रज्ञा ने कई साल पहले ही बेच दी थी। आपको याद होगा जब शंकराचार्य को गिरफ़्तार किया गया था तब भी मीडिया और पुलिस ने उन पर रेप, मर्डर, धोखाधड़ी और औरतखोरी के आरोप लगाये थे, कहाँ गये वे आरोप, क्या हुआ उस केस का आज तक किसी को पता नहीं, लेकिन हिन्दू गुरुओं की छवि बिगाड़ने का काम तो सतत जारी है ही… कांची के बाद कंधमाल में भी “हिन्दू आतंकवाद” की कहानियाँ गढ़ी गईं, एक बुजुर्ग स्वामी की हत्या को सिरे से भुलाकर मीडिया सिर्फ़ नन के बलात्कार को ही प्रचारित करता रहा और “बटला हाऊस की गैंग” इससे बहुत खुश हुई होगी। बहुसंख्यकों की भावनाओं का अपमान करने वाले देश और उसके नेताओं का चरित्र इससे उजागर होता है, और वह भी सिर्फ़ अपने चुनावी फ़ायदे के लिये। कुल मिलाकर इनका एक ही काम रह गया है, “भगवा ब्रिगेड” को बदनाम करो, हिन्दुओं को “आतंकवादी” चित्रित करो, चिल्ला-चिल्ला कर भारत की संस्कृति और संस्कारों को पिछड़ा, दकियानूसी और बर्बर बताओ, कारण सिर्फ़ एक ही है कि “हिन्दू” सहिष्णु(?) है, और देखना यही है कि आखिर कब तक यह सहिष्णु बना रहता है।

बांग्लादेश से घुसपैठ जारी है, रामसेतु को तोड़ने के लिये नित नये हलफ़नामे सुप्रीम कोर्ट में दिये जा रहे हैं, बटला हाउस के आरोपियों को एक विश्वविद्यालय खुलेआम मदद दे रहा है, लेकिन जीटीवी और NDTV को एक नया फ़ैशन सूझा है “हिन्दू आतंकवाद”। जयपुर या मुम्बई के विस्फ़ोटों के बाद किसी मौलवी को पकड़ा गया या किसी मुस्लिम धर्मगुरु को हिरासत में लिया गया? किसी चैनल ने “हरा आतंकवाद” नाम से कोई सीरीज चलाई? “उनका” कहना होता है कि “धर्म को आतंकवाद” से नहीं जोड़ना चाहिये, उन्हीं लालुओं और मुलायमों के लिये सिमी निर्दोष है जिसके “मोनो” में ही AK47 राइफ़ल दर्शाई गई है। लेकिन जब प्रज्ञा कहती हैं कि पुलिस उन्हें बुरी तरह पीट रही है और टॉर्चर कर रही है तब किसी के मुँह से बोल नहीं फ़ूटता। जब पप्पू यादव, शहाबुद्दीन और तेलगी जैसे लोगों तक को जेल में “सभी सुविधायें” उपलब्ध हैं, तो क्या प्रज्ञा उनसे भी बुरी है? क्या प्रज्ञा ने आसिया अन्दराबी की तरह मासूम महिलाओं पर एसिड फ़ेंका है? या प्रज्ञा ने देश के कोई राज चुराकर पाकिस्तान को बेचे हैं? ये सब तब हो रहा है जबकि एक “महिला”(?) ही इस देश की सर्वेसर्वा है।

अब देखते हैं कि क्यों हिन्दू “हिजड़े” कहलाते हैं –
1) 3 लाख से अधिक हिन्दू कश्मीर से “धर्म” के नाम पर भगा दिये जाते हैं, लेकिन एक भी हिन्दू उठकर यह नहीं कहता कि बस बहुत हो चुका, मैं सारे “शैतानों” को सबक सिखाने का प्रण लेता हूँ।

2) कश्मीर घाटी में 500 से अधिक मंदिर सरेआम तोड़े जाते हैं, कोई कश्मीरी हिन्दू “हिन्दू आतंकवाद” नहीं दिखाता।

3) डोडा और पुलवामा छोटे-छोटे बच्चों तक को चाकुओं से रेता जाता है, लेकिन एक भी हिन्दू संगठन उनके विरोध में आगे नहीं आता। एक संगठन ने “मानव बम” बनाने की पहल की थी, एक भी हिन्दू युवक आगे नहीं आया।

राममनोहर लोहिया ने कहा था कि भारत के तीन महान स्वप्न हैं – राम, शिव और कृष्ण। मुस्लिम आक्रांताओं ने तो हजारों मन्दिर तोड़े ही, आज की स्थिति में भी राम जन्मभूमि में रामलला अस्थाई टेंट में धूप-पानी में खड़े हैं, जरा गूगल पर जाईये और देखिये किस तरह काशी में विश्वनाथ मन्दिर चारों तरफ़ से मस्जिद से घिर चुका है, पुराने विश्वनाथ मन्दिर के खंभों को बड़ी सफ़ाई खुलेआम यह दर्शाते हुए घेरा गया है कि देखो ऐ हिन्दुओं, यह पहले तुम्हारा मन्दिर था, अब यह मस्जिद बनने जा रही है। कोई हिन्दू संगठन “आतंकवादी” बना? नहीं। जो काम गजनी, गोरी और अब्दाली भी न कर पाये, मुस्लिम वोटों के लिये यह सरकार कर चुकी है। कांग्रेस, सेकुलर और वामपंथी एक खतरनाक खेल खेल रहे हैं, और उन्हें अन्दाजा नहीं है कि वे भारत का क्या नुकसान करने जा रहे हैं। देखना यह है कि आखिर कब हिन्दुओं के सब्र का बाँध टूटता है, लेकिन एक बात तो तय है कि “सुनामी” चेतावनी देकर नहीं आती, वह अचानक किसी एक “झटके” से आती है और सब कुछ बहा ले जाती है…(सन्दर्भ – तरुण विजय का इंडिया टाइम्स पर अंग्रेजी में छपा यह लेख)

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dndeswal
May 22nd, 2014, 06:31 PM
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Francois Gautier is a French journalist and a well-known Indologist who often writes articles in English. He often writes articles on India, some of which are also available at his web-page. His article on Kashmir titled “Kashmir and Democracy” makes an interested reading –

http://www.francoisgautier.com/kashmir-and-democracy/

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deveshdahiya
May 23rd, 2014, 02:17 PM
Good article. Now we have Modi government and we hope that he will keep a check on all anti-national elements.