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View Full Version : हमारी असली ताकत !



raka
December 5th, 2014, 09:17 PM
https://scontent-a-dfw.xx.fbcdn.net/hphotos-xap1/v/t1.0-9/q81/s720x720/1779194_10202625329268539_598741096172447875_n.jpg ?oh=4617e02cff7bb1b41da1bcf1c4d5f520&oe=551F80FA
" तुम अगर बिछड़े रहो तो चंद कतरे ही फकत
तुम अगर मिल जाओ तो बिफरा हुआ तूफान हो "

हमारे देश मे जाति आधार पर जनगणना आखिरी बार 1931 मे हुई थी | उस वक़्त भारत मे जाटों की आबादी इस प्रकार थी -1) पंजाब - 73% , 2) राजस्थान - 12% , 3) यू.पी - 9.2% , 4) जम्मू कश्मीर - 2% , 5) बलोचिस्तान - 1.2% , 6) एनडबल्यूएफ़पी (NWFP)-1% , 7) बॉम्बे प्रेसीडेंसी - 0.7% , 8) दिल्ली - 0.6% , 9) सीपी & बार - 0.3% , 10) अजमेर & मारवाड़ - 0.3%
जिसमे हिन्दू जाट - 47% , सिख जाट - 20% , मुस्लिम जाट - 33%

कुछ लोग जिनकी आबादी देश मे मुट्ठी भर हैं वह लोग जाट व अन्य दूसरी किसान व दलित जातियों को धर्म के नाम पर बाँट कर उनके साथ भेड़ बकरियों की तरह बर्ताव करते हुए अपने स्वार्थो के लिए इस्तेमाल किया करते | चौधरी छोटूराम शहरी लोगो की इस चाल को भली भांति समझ गए थे इसलिए उन्होने अलग-अलग पंथो धर्मो मे बंटे जाटों को एक किया , उनको उनकी शक्ति का एहसास दिलाया | जाटिज्म का नारा सबसे पहले चौधरी छोटूराम ने दिया था | सन 1929 मे अखिल भारतीय जाट महासभा के आगरा अधिवेशन मे चौधरी छोटूराम ने पहली बार कहा था " राज करेगा जाट " | पंजाब एसम्ब्ली मे इस बात पर काफी हल्ला हुआ | चौधरी छोटूराम ने इस पर जवाब देते हुए कहा था की लोकतन्त्र का सिद्धांत हैं की " जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी " और मैंने जिस सभा मे यह बात कही थी वाहा 25-30 हजार लोगो की भीड़ थी जिसमे 90% जाट थे | पंजाब मे 73% जाटों के साथ साथ चौधरी छोटूराम ने दलित व दूसरी किसान जातियों के हितों का भी पूरा ख्याल रखा | चौधरी छोटूराम ने कृषक जातियों को लेकर अजगर ( अहीर जाट गूजर राजपूत ) का निर्माण किया | चौधरी छोटूराम की असली ताकत अजगर थे | चौधरी छोटूराम ने बड़ी सफलता के साथ किसान व जातिगत आधार पर राजनीति की , ये दोनों एक ही धुरी के बड़े और छोटे चक्र हैं | इसी नीति को आगे चल कर चौधरी देवी लाल ने भी अपनाया , उन्होने महा-अजगर का पुनः निर्माण किया (मुसलमान - अहीर जाट गूजर राजपूत ) और जिसके दम पर केंद्र की सत्ता तक गए |

पंजाब मे चौधरी छोटूराम ने सर सिकंदर हयात खान और बाद मे सर खिजर तिवाना के साथ हिन्दू - मुस्लिम जाट किसानो कि एकता को मजबूत बनाए रखा | यह एकता इतनी मजबूत थी कि जिन्नाह को पंजाब मे पैर जमाने मुश्किल हो रखे थे | एक बार तो जिन्नाह को एक मुस्लिम जाट विधायक ने टका सा जवाब दे दिया था कि पहले हम जाट हैं और बाद मे मुस्लिम और हम जाटों का नेता हैं चौधरी छोटूराम | चौधरी छोटूराम कि मुस्लिम जाटों से यह एकता हिन्दुओ के ठेकेदारों को सुहा नहीं रही थी , जिसकी जलन मे हिन्दुओ के अखबार चौधरी छोटूराम को हिटलर छोटूखान लिख कर उन्हे अपमानित करने कि कोशिश करते |

जैसी हिन्दू - मुस्लिम किसानो कि एकता पंजाब मे थी वैसी ही एकता बंगाल मे कृषक प्रजा पार्टी के फजलूल हक बनाए हये थे | वाइसरोय के कहने से फजलूल हक जिन्नाह की मुस्लिम लीग मे शामिल हो गए परंतु कुछ दिनो बाद ही वे मुस्लिम लीग से अलग हो गए | 1941 मे मुस्लिम लीग से अलग हो कर फजलूल हक़ कोग्रेस के सहयोग से सरकार बनाना चाहते थे परंतु काँग्रेस ने शर्त रखी कि सरकार बनते ही वे पहला फैसला जेल मे बंद क्रांतिकारियों कि रिहाई का लेंगे | इस पर फजलूल हक ने कहा कि कृषक प्रजा पार्टी सबसे पहला फैसला किसानो के हक मे लेगी | कॉंग्रेस से बात सिरे न चढ़ने पर फजलूल हक ने डॉक्टर श्यामा प्रशाद मुखर्जी के साथ मिल कर सरकार बनाई | सरकार मे श्यामा प्रशाद मुखर्जी वित्त मंत्री बने | फजलूल हक़ ने अपनी वकालत डॉक्टर श्यामा प्रशाद मुखर्जी के पिता कलकत्ता के नामी वकील सर आशुतोष के सहायक के रूप मे शुरू की थी | वित्त मंत्री श्यामा प्रशाद मुखर्जी अक्सर सीएम फजलूल हक़ को अपने साथ हिन्दू महासभा की कार्यकारी मीटिंग मे ले जाते थे | ये वहीं श्यामा प्रशाद मुखर्जी जिन्होने आज़ादी के बाद गोलवलकर के कहने पर काँग्रेस से अलग हो कर जन संघ पार्टी का गठन किया |

1947 मे मुस्लिम लीग और आरएसएस ने अपनी गतिविधिया तेज कर दी थी | दोनों संगठनो ने अपनी अपनी निजी सेनाए बनानी शुरू कर दी थी | खुफिया विभाग की रिपोर्ट के आधार पर पंजाब के प्रीमिएर सर खिजर तिवाना ने 24 जनवरी 1947 को दोनों संगठनो पर प्रतिबंध लगा दिया था | इन दोनों संगठनो की पकड़ सिर्फ शहरी लोगो तक थी | देहात मे इन लोगो का ज्यादा असर नहीं था यहीं कारण था की देश के लगभग हर प्रान्त मे देहात के लोगो की सरकारे थी | यह बात इन शहरी लोगो के संगठनो को बरदास्त नहीं हो रही थी और इन दोनों ही संगठनो ने लोगो को धर्म के नाम पर भड़काना शुरू कर दिया | ये दोनों संगठन पंजाब व बंगाल के लोगो को धर्म के नाम से भड़काने मे सफल रहे और अगस्त 1947 मे देश का पंजाब व बंगाल दो जगह से बंटवारा हुआ | देश आज़ाद होने के बाद एक बार फिर से आरएसएस पर देश के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने प्रतिबंध लगाया | 1947 का बंटवारा देश का या पंजाब का बंटवारा नहीं था असल मे यह जाटों का धर्म के नाम पर बंटवारा था , पंजाब के 73% जाटों की ताकत का बंटवारा था | चौधरी छोटूराम की विचारधारा का बंटवारा था | ये धर्मों के ठेकेदार कभी नहीं चाहते की जाट एक हो , जाटों को इनकी ताकत का एहसास हो इसलिए ये लोग हमें धर्म की बूटी सुंघाए रखना चाहते हैं | चौधरी छोटूराम इनकी चालों को भली भांति समझते थे | चौधरी छोटूराम खून के रिश्ते को ज्यादा महत्व देते थे , उनका कहना था " एक आदमी दिन मे चाहे तो तीन बार अपना धर्म बदल सकता हैं , परंतु वह अपनी जाति नहीं बदल सकता " | आज भी जाट चाहे किसी धर्म मे हो वह अपनी जाति से ही जाना जाता हैं | चौधरी छोटूराम ने कहा था " हमने माना की मजहब जान हैं इंसान की , इसी के दम से कायम कुछ शान हैं इंसान की , रंग-ए-क़ौमियत मगर इससे बदल सकता नहीं , खून आबाई रग ओ तन से निकल सकता नहीं " (आबाई - पूर्वज) , उनके कहने का अर्थ साफ था की जितने धर्म बदल लो परंतु तुम्हारी रगों से पूर्वजों का खून नहीं निकल सकता |

आरएसएस आज भी सिर्फ शहरी लोगो तक सीमित हैं , हमारे जो लोग इस सगठन मे हैं वे भी वहीं हैं जो शहरो मे जा कर बस गए हैं | असल मे इस संगठन के आका जिनकी आबादी देश मे मुश्किल से 3% होगी नहीं चाहते की हमारे लोग होश मे आए , इसलिए हमारे लोगो को धर्म की बूटी सुंघाए रखते हैं | कभी ये लोग हमे धर्म के नाम पर लड़ाते हैं तो कभी जात के नाम पर | जाट- दलित के झगड़े , जाट-गूजर के झगड़े , जाट-राजपूत के झगड़े , जाट-मुस्लिम के झगड़े सबने खूब सुने होंगे परंतु शायद ही कभी यह सुना हो की ब्राह्मण-दलित झगड़ा हुआ हो , ब्राह्मण या किसी कृषक जाति का झगड़ा हुआ हो | हमारा कोई भी नेता ऊपर उठता हैं तो यह लोग उस पर जाति का ठप्पा लगा कर उसे वही रोक देते हैं , जैसे की यह तो दलितों का नेता हैं , यादवों का नेता हैं , जाटों का नेता हैं या क्षत्रियों का नेता हैं आदि परंतु यह शायद ही कभी सुनने मे आता हो की यह तो ब्राह्मणों का नेता हैं !

यह लोग हमारे लोगो को बदनाम करने मे कोई कसर नहीं छोडते | कुछ हमारे ही लोग इनकी बातों मे बहक कर इनके शंख की तरह बजते रहते हैं | कुछ दिन पहले एक भाई ने बताया की उसने दिल्ली मे एक युवा जाट मीट की थी , उस मीट मे एक आरएसएस का कोई पदाधिकारी भी आया हुआ था | वो संघ का पदाधिकारी कहने लगा की छोटूराम अंग्रेज़ो का पिट्ठू था , सर की उपाधि ली हुई थी , मुसलमानो से मिला हुआ था | आजकल ऐसे भटके हुए बहके हुए और भी कई भाई मिल जाएंगे जो बिना कुछ सोचे समझे संघ के शंख का काम कर रहे हैं | ऐसे मूर्ख यह कभी नहीं सोचते की इन संघियों को चौधरी छोटूराम के सर की उपाधि लेने से तकलीफ होती हैं , इनको श्यामा प्रशाद मुखर्जी के पिता सर आशुतोष की सर की उपाधि कभी नजर नहीं आती ? इन संघियों को चौधरी छोटूराम का मुस्लिमो के प्रति प्रेम तो नजर आ जाता हैं परंतु इनको श्यामा प्रशाद मुखर्जी का फजलूल हक के प्रति प्रेम कभी नजर नहीं आता ? हमे मुस्लिमो के प्रति भड़काते हैं इनका वीर सावरकर पंजाब मे सर सिकंदर हयात खान से क्यों मिलने आया था ? कुछ संघी जाट दुष्प्रचार करते हैं की चौधरी छोटूराम अंग्रेज़ो से मिले हुए थे उन्होने कभी आज़ादी नहीं मांगी , ऐसा ये बहके हुए लोग संघी आकाओं के बातों मे आ कर बोलते हैं | चौधरी छोटूराम से एक बार किसी पत्रकार ने पूछा था की आपको आज़ादी नहीं चाहिए ? इस पर चौधरी छोटूराम का जवाब था " हमे भी आज़ादी चाहिए परंतु उस आज़ादी से पहले मैं अपने लोगो को इस काबिल तो कर लूँ की उन्हे आज़ादी के मायने पता हों , नहीं तो आज ये गोरे बनिए हम पर राज कर रहे हैं आज़ादी के बाद काले बनिए हम पर राज करेंगे " | यहीं बात शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने भी कई बार दोहराई थी | इन दोनों ने जैसा कहा था आज़ादी के बाद बिलकुल वैसा ही हुआ , आज़ादी के बाद से देश की सत्ता इन 5-6% काले बनियों के इर्द गिर्द ही रहीं हैं | किसानों ने इक्का दुक्का प्रयास किए भी परंतु उनके प्रयास इन षड्यंत्रकारियों ने असफल कर दिये |

contd...

raka
December 5th, 2014, 09:18 PM
इन मुट्ठी भर लोगो के सबके आपस मे तार मिले हुए हैं चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल मे हो | 22 अप्रैल 2010 को दिल्ली मे एमसीडी की एक भव्य इमारत का उदघाटन तत्कालीन गृह मंत्री पी.चिदम्बरम द्वारा किया गया और इस इमारत का नामकरण डॉक्टर श्यामा प्रशाद मुखर्जी के नाम " डॉक्टर श्यामा प्रशाद मुखर्जी सिविक सेंटर " किया गया | दिल्ली मे श्यामा प्रशाद मुखर्जी के नाम से पहले से ही एक बड़ी सड़क नामकरण हैं | ऐसे ही दिल्ली मे डॉक्टर हेडगेवर के नाम से एक मार्ग और एक हॉस्पिटल नामकरण हैं | जबकि दिल्ली हमारी और हमारे ही लोगो के नाम से शायद ही कोई मार्ग या इमारत खोजने से मिले ! इन लोगो ने कौन सी शहादत दी कब दी पता नहीं परंतु इनको प्रोजेक्ट ऐसे किया जा रहा हैं जैसे की देश आज सिर्फ और सिर्फ इनकी बदौलत हैं | समझ नहीं आता की सबसे बड़ा देश भक्त कौन हैं ? वो जिसने देश को एक रखने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया या फिर वो लोग जिनहोने देश का धर्म के नाम पर बंटवारा करवाया ?

देश मे जिन जातियों को आरक्षण मिला हुआ हैं वे जातिया आज तक उस मुकाम तक नहीं पहुँच पाई जहा ये 5-6% लोग हैं | लोकतन्त्र के चारो स्तंबों पर इन मुट्ठी भर लोगो का कब्जा हैं | देश का कोई ऐसा बड़ा स्कैम नहीं जहा ये 5-6% आबादी वाले लोग न मिले और उल्टा हमे ही राष्ट्रवाद का पाठ सिखाते हैं ! हमारा ध्यान इस तरफ ना जाए इसलिए यह लोग हमारा ध्यान धर्म के नाम से भटकाते हैं | 4 साल पहले लोक सभा मे जाति आधार पर जनगणना करवाने का मुद्दा उठा था जिसका सबसे पहले सिर्फ इन्ही लोगो ने विरोद्ध किया था , क्योंकि यह नहीं चाहते की लोगो के सामने सच्चाई आए , लोगो को उनकी शक्ति का एहसास हो | इसी धोखे के कारण ये अल्पसंख्यक देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँच जाते हैं | अगर लोगो को उनकी शक्ति का एहसास हो गया तो ' जिसकी जितनी संख्या भारी , उसकी उतनी हिस्सेदारी ' का सवाल उठेगा जिससे इन्हे हर प्रकार से नुकसान होगा | इस नक्शे मे 1931 मे हुई जनगणना के आधार सभी जातियों की आबादी दर्शाई हुई हैं , जिसमे हम देख सकते हैं यह लोग कहीं भी इकट्ठी संख्या मे नहीं हैं | ये लोग कहीं भी बहुसंख्यक नहीं हैं फिर भी सब जगह सत्ता मे या नौकरियों मे सबसे ज्यादा इनकी भागीदारी हैं | हरियाणा मे भी इन लोगो ने सोची समझी चाल के तहत एक अल्पसंख्यक को मुख्यमंत्री बना दिया और बहुसंख्यक देखते रह गए | ऐसे ही महाराष्ट्र मे किया | यदि अब भी नहीं जागे तो आगे इससे भी बुरा हाल होगा | चौधरी छोटूराम , डॉक्टर अंबेडकर , चौधरी चरण सिंह , ताऊ देवी लाल , मा. कांशी राम आदि सब इस मुकाम तक सिर्फ इसलिए पहुँच पाए क्योंकि उन लोगो ने इन षड्यंत्रकारियों की चाल को समझा और अपने लोगो को धर्म के नाम से बहकने से बचाया , अपने लोगो को उनकी ताकत का एहसास करवाया | इसलिए हमे ये जाट-दलित या अन्य किसी संप्रदाय से ना उलझते हुए अपनी असली ताकत को समझना होगा | जिसने सारी उम्र हमे ठग के खाया हम उसकी बातों मे बहक कर अपने उस दलित भाई से झगड़ते हैं जो सारी उम्र हमारे खेतो मे हमारे साथ कंधे से कंधा मिला कर कमाया | किसान कमेरो की तरक्की तभी हो सकती हैं जब वे इन लूटेरो की सोच छोड़ चौधरी छोटूराम की सोच पर अमल करे | चौधरी छोटूराम ने कहा था " हिंदुओं , मुसलमानो और सिक्खों को गैर धार्मिक और आर्थिक हितों पर संगठित होना होगा " | किसान कमेरो को इस पर अमल करना होगा , यदि नहीं किया तो इनका ऐसे ही शोषण होता रहेगा और राजा तो क्या एक दिन किसान कमेरो को रंक बनने के लिए भी इनकी जी हजूरी करनी पड़ेगी !

vdhillon
December 14th, 2014, 12:08 AM
Bhai, buran na maniye kisi baat ka, here is what I think. I agree some, I disagree some. But I thank you for the post. Overall, still got to learn something from it, specially about Ch. Chotu Ram.

1. History about Ch. Chotu Ram's contribution:
Interesting and informative ... thanks for sharing.

2. Analysis about RSS:
I find it biased and lacking substance.

3. Promotion of Caste based politics in today's era:
Caste may have played in role in rallying the farmers pre-independence when jats/cultivators were not owners. Only few ZAMIDARS were owners of the land and all others were tenants/cultivators of the land. Land reforms ensured the ownership of land was taken away from zamidars and given to cultivators, which brought ownership of land from handful of JAT ZAMIDAR to MASSES OF JAT CULTIVATORS. Land changed hands from small number of Jats to large number of Jats. Before that, masses of Jat cultivators were exploited by handful of mainly Jat zamidars (and some muslim zamidars). Land reforms that resulted in ownership to cultivators then brought mass economic upliftment of the cultivator class, which was mainly Jats, followed by gurjar/ahir and rajpoot in some cases. Now jats are the SOCIO-ECONOMICALLY DOMINANT class in Haryana, Northern Rajasthan and Western UP. In other words, conditions that prevailed during the time of Ch. Chotu Ram when the use of casteist politics are justified (as a short-term tactic) no longer exist. Conditions have changed. jats are no longer bottom of the heap oppressed class. jats the the dominant class, which in some cases actually acts as oppressor of the other dalit castes in Haryana. I am opposed to caste based politics in today's era. it is regressive and no longer a forward looking step. I support SOCIAL justice, equality and economic-upliftment (of poor) type of politics and affirmative action where caste should not be a criteria at all.

4. Promotion of Caste based politics in today's era:
@ चौधरी छोटूराम ने कहा था
" हमने माना की मजहब जान हैं इंसान की,
इसी के दम से कायम कुछ शान हैं इंसान की ,
रंग-ए-क़ौमियत मगर इससे बदल सकता नहीं ,
खून आबाई रग ओ तन से निकल सकता नहीं " (आबाई - पूर्वज) ,
उनके कहने का अर्थ साफ था की जितने धर्म बदल लो परंतु तुम्हारी रगों से पूर्वजों का खून नहीं निकल सकता!

Bhai, bahut acchi baat kahi thi Ch. Chotu Ram ne aur hamare saath itna accha sher share karne ke liye thanks. Yaad rakhne layak hai sher.

I wish to add, aaj Hindu jat toh JATism ko dharm se pele rakhta hai aur us se upar rakhta hai desh ko (humanity, country, caste - is what Hindu Jats usualy follow), aur musalman-jat jo hai ensaniyat aur desh or jatism se jayada ahmiyat mulla-hone ko deta hai (islam above humanity, country and loyalty to jatism). It is not a level playing field, I am not in favor of castes, religions or regionalism. But I am a life-long student of RATIONAL & OBJECTIVE ANALYSIS. Ek-tarfa jat-prem kar ke illusion mein nahi padna chahiye, ankh khol ke chalo ki mulle jaton se kitni umeed kar saktey ho. I lose the respect for anyone who fails to put humanism above anything else. Before you engage them, ask them, "what is supreme for you: humanism or religion? (optional: add country ... caveat: even excessive nationalism could be anti-humanism)"

MARKS BASED ON IF I LEARNT SOMETHING NEW FROM YOUR POST:
Keep your posts coming. OVERALL 10 out of 10 for making this post because I still learnt from you and your post bhai.
Bhai aag kum kar ke likha hai, toh post overall acchi nikli hai. Shandon ki aag aur thodi kum kar de, "shankh" etc jaise shabd drop kar de, Wahi baat thodi pyar se bol de, phir sab sune ge, People don't care if we are right or wrong, they only remember how we made them feel.

YOU CAN BE MORE EFFECTIVE BY BEING SELECTIVE, you have the passion, keep it up, but please provoke the thoughts, not people. Challenge the ideology, not the person. Share what you know, but keep an open mind to unlearn and relearn, phir sab ko maaza ayega :)

Looking forward to more posts from you on Ch. Chotu Ram.