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View Full Version : इंटरनेट एक दूसरे से जुडऩे का एक सशक्त माध्



HawaSinghSangwan
December 6th, 2014, 09:58 PM
प्यारे भाईयो और बहनो,
इंटरनेट वर्तमान में एक दूसरे से जुडऩे का बहुत बड़ा साधन है। अभी हाल ही में मेरी फेसबुक पर सरदार तेजपाल सिंह सांगवान का नाम आया तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि सांगवान सिख धर्मी भी हैं क्योंकि मैं लगभग छह वर्षों तक पंजाब में तैनात रहा और लगभग पूरे पंजाब में घूमा लेकिन मुझे कभी कोई सिख सांगवान नहीं मिला। अक्सर लोग कहते हैं कि सांघा सिख जाट भी सांगवान हैं, लेकिन उस समय जब मैंने खोज की तो पाया कि कि सांघा सिख जाटों का तथा सांगवान जाटों का कहीं कोई ऐतिहासिक नजदीकी भी नहीं रही। इस बारे में मैंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के इतिहास और संस्कृति विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अमरजीत सिंह, जो स्वयं सिख जाट हैं, से मिला और उस समय सांघा सिख जाटों पर विस्तार से चर्चा की, तो उन्होंने इन जट सिखों का मुझे लिखित में कुछ इतिहास दिया, जिससे स्पष्ट हो गया कि हम सांगवानों का और सांघा सिख जाटों का कहीं भी ऐतिहासिक संबंध नहीं रहा है। उसके बाद मैंने पाया कि हरियाणा में चरखी दादरी क्षेत्र को छोडक़र जींद जिले में, रोहतक जिले में और सोनीपत जिले के अतिरिक्त उत्तरप्रदेश के दवाबा क्षेत्र में भी सांगवानों के लगभग बीस गांव हैं, लेकिन जब तेजपाल सिंह संागवान का नाम उसके फोटो के साथ मेरी फेसबुक पर आया तो मैं चौंक पड़ा और उनसे टेलीफोन के द्वारा संबंध स्थापित किया और अभी 17 नवंबर, 2013, रविवार को मैं चंडीगढ़ से इस सांगवान सिख जाटों के गांव, जो चंडीगढ़ से रोपड़ रोड पर खरड़ तहसील, जिला मोहाली, कूराली कस्बे से तीन किलोमीटर पर यह छोटा सा गांव है, जिसमें लगभग 33 परिवार हैं, जो सभी के सभी सिख जट सांगवानों के हैं। जब मैं कूराली पहुंचा तो सरदार तेजपाल सिंह सांगवान, जो शिरोमणी अकाली दल के पंजाब के महासचिव भी हैं, से मिला और वहां से उनके गांव पहुंचे, जिस पर गांव वाले अपने सरपंच सरदार साहब सिंह सांगवान के साथ गांव के गुरुद्वारे में इक_े हो चुके थे और वहां मेरे पहुंचने से उनको और मुझे जो खुशी हुई, उसको मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने भी कभी नहीं सोचा था कि चरखी दादरी से उन्हीं का एक सांगवान भाई इस प्रकार से उनके गांव पहुंच जाएगा। उन्होंने गुरुद्वारे में मुझे सरोपा भेंटकर मेरा आदर सम्मान किया और हमने इक_ा बैठकर प्रसादा चखा तथा आपस में फोटो खीचें। उस समय मुझसे मिलकर वहां पर उपस्थित नौजवानों के खुशी के आंसू निकल पड़े। ये लगभग 100 या 150 साल के बाद सांगवानों का मिलन था। वहां पर उपस्थित बुजुर्गों ने बतलाया कि लगभग 100-150 साल पहले टेकसिंह सांगवान, जिन्हें ये लोग आज बाबा टेकसिंह कहते हैं, महाराजा पटियाला की फौज में कोई सैन्य अधिकारी थे और ये चरखी दादरी के पास किसी गांव के रहने वाले थे और बाद में वहीं कुराली के पास शादी करके वहीं बस गए थे। शुरू-शुरू में बाबा टेकसिंह का विरोध भी हुआ क्योंकि वहां के स्थानीय लोगों ने उन्हें बाहरी समझा था, लेकिन बाबा टेकसिंह भी अपनी टेक के धनी थे कि उन्होंने हार नहीं मानी और वहीं पर बस गए, इसलिए दूसरे लोगों ने इस गांव का नाम धिकताना रख दिया और आज भी इसे धिकताना के नाम से ही जाना जाता है क्योंकि बाबा टेकसिंह यहां धिकताने से अर्थात जबरदस्ती बसे थे।
इसी गांव में बाबा टेकसिंह की समाधि बनी है, जहां गांव की कोई भी बारात चढऩे से पहले और शादी से लौटने के बाद वहां पर माथा टेका जाता है अर्थात एक भईयां के तौर पर पूजा जाता है। बाबा टेकसिंह के पांच पुत्र थे, बाबा कानसिंह, बाबा दलेलसिंह, बाबा मानसिंह, बाबा धन्नासिंह व बाबा अत्तरसिंह और आज इस गांव में इन पांचों लडक़ों की संतानें रहती हैं, जिसमें से कुछ घर सरहिंद के पास भोरा गांव में रहते हैं तथा कुछ अंबाला के पास एक गांव में रहते हैं। गांव के गुरुद्वारें में जो सांगवान भाई मुझे मिले, उसमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं :
सरदार स्वर्णसिंह आयु 83 साल, सरदार भागसिंह उम्र 83 साल, सरदार करनैल सिंह आयु 80 साल, सरदार सुरमुख सिंह पिता सरदार तेजपाल सिंह आयु 80 साल, सरदार बलदेव सिंह आयु 70 वर्ष, सरदार सुट्टा सिंह आयु 70 साल, सरदार सोहनसिंह आयु 75 साल, सरदार त्रिलोचन सिंह आयु 58 साल, सरदार साहब सिंह सरपंच आयु 45 साल और अरमिंद्र सिंह आयु 25 साल आदि-आदि।
ये देखने में एक पूरा गांव लगता है, जहां सभी मकान पक्के हैं तथा इनकी चारदिवारियां भी लंबी-चौड़ी हैं। सांगवान जटों के अतिरिक्त चार परिवार धनोवा जाटों के, दो परिवार खटड़ा जटों के तथा दो घर चमार सिखों के हैं।
मैं चाहता हूं कि हमारे इन सांगवान भाईयों का आना-जाना आरंभ हो और अब जब भी कभी सांगवानों की कोई बड़ी पंचायत होगी, तो इन सिख संागवान भाईयों को यहां आने के लिए बाकायदा न्यौता भिजवाने का प्रयास किया जाएगा और एक बार आपसी मिलन अवश्य होगा ताकि भविष्य में आपस में आने-जाने के सभी रास्ते साफ हो सकें।
फोटो साथ में संलग्र हैं।
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HawaSinghSangwan
December 6th, 2014, 10:01 PM
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HawaSinghSangwan
December 6th, 2014, 10:08 PM
10-8-2014 को सांगवान खाप की पंचायत के दौरान पंजाब की कुराली तहसील के गाँव धिकताना से आए सांगवानों के साथ दादा सांगू धाम पर माथा टेकते हुए (गाँव -खेड़ी बूरा , तहसील-चरखी दादरी)

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vdhillon
December 13th, 2014, 11:16 PM
wow! baadi bhav vibhor karne waali post daali hai sanwan saab. thanks for sharing.