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View Full Version : Baniya Sarkar !!



raka
December 16th, 2014, 04:04 PM
यह खामोशमिजाजी तुम्हें जीने नहीं देगी ।
इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो ॥


हमारी केंद्र सरकार एक बनिया सरकार हैं , इसका अंदाजा शेयर मार्केट से साफ लगता हैं | 16 मई को सेंसेक्स 24271.54 पॉइंट पर था , जैसे जैसे मतों की गिनती होनी शुरू हुई और भाजपा को साफ बहुमत मिलना शुरू हुआ तो मार्केट में 1085.99 पॉइंट्स का जबर्दस्त उछाल आया और मार्केट 25357.64 पर पहुँच गया | उस दिन से लेकर 1 दिसंबर तक यह उछाल जारी रहा और 1 दिसंबर को मार्केट अपनी रिकॉर्ड उचाई 28809.64 पर पहुँच गई | परंतु पिछले एक हफ्ते से मार्केट मे गिरावट जारी हैं और आज मार्केट अपनी ऊंचे अंको से 1830.64 पॉइंट टूट कर 26979 पर आ गया हैं | सिर्फ एक हफ्ते की इस गिरावट से व्यापार जगत मे अफरा तफरी का माहौल शुरू हो गया हैं , सभी टीवी चैनल पर इस पर भारी चिंता व्यक्त की जा रही , इसमे सुधारो के लिए चिंतन मंथन चल रहा हैं |


बड़े ताज्जुब की बात हैं की सभी टीवी चैनल पर मार्केट की गिरावट पर जोरों शोरों से चर्चाए की जा रही हैं परंतु मैंने अब तक किसी भी टीवी चैनल पर किसान की हालात को लेकर कोई चर्चा नहीं देखी , कोई चिंतन मंथन नहीं देखा ! नई सरकार आने के बाद से फसलों के दामो मे कोई बढ़ोतरी नहीं , उल्टा कई फसलों के दामो मे गिरावट आई हैं , कई जगह सूखा पड़ा , कई जगह बाढ़ आई , गन्ना की बकाया पेमेंट को ले कर किसान आत्म हत्या कर रहे हैं , कहीं कोई खास राहत नहीं , परंतु कमाल की बात हैं कि मीडिया में कहीं कोई शोर नहीं , कोई चिंतन मंथन नहीं ! चुनाव से पहले स्वामीनाथन रिपोर्ट को मुद्दा बनाया गया , सत्ता मे आते ही संसाधनों की कमी का रोना ! यदि ऐसी ही कोई रिपोर्ट व्यापारियों के लिए होती तो यकीनन अब तक लागू हो चुकी होती , संसाधनों का कोई बहाना न होता | सरकार जी आपकी मेहरबानी से व्यापारियों की मार्केट मे तो जबर्दस्त उछाल आ गया पर हमारी ( किसानों ) मार्केट मे यह उछाल कब आयेगा ??


कल हरियाणा के भिवानी जिले कि दादरी तहसील मे ओले गिरने से फसल का नुकसान हुआ , अखबार मे खबर आई ' किसानों ने लगाई एसडीएम से मुआवजे की गुहार " , मतलब जो रात दिन मिट्टी मे मिट्टी रह कर देश का पेट भरने का काम करता हैं , पूरे साल कड़ी मेहनत करने के बाद भी जिसकी मेहनत का पूरा मेहनताना भी नहीं मिलता , उस बेचारे अन्नदाता को अपने नुकसान की भरपाई के लिए गुहार लगानी पड़ती हैं ! सरकार आश्वासन देती हैं कि हम विचार करेंगे , गिरदावरी करवाएँगे , परंतु यदि ऐसा ही कोई नुकसान व्यापारी का हो जाए तो उसे तुरंत सहायता के इंतजाम किए जाते हैं, जैसा कि गन्ना मिलों के मामले मे देखने को मिला |


षड्यंत्रकारी मीडिया का खेल देखिये , मार्केट मे गिरावट आती हैं तो उस पर जोरों शोरों से चर्चाए आरंभ हो जाती हैं , भारी चिंतन मंथन चलता हैं , ऐसा माहौल बनाते हैं कि हम देहात वाले भी सोचने लगते हैं की अगर मार्केट मे ऐसी ही मंदी रही तो सब बर्बाद हो जाएगा | कहने का मतलब इनकी चर्चाए देख कर हम अपनी मंदी भूल जाते हैं और उनके लिए फिक्रमंद होने लगते हैं | जैसे ही मार्केट मे तेजी आती हैं तो सरकार , षड्यंत्रकारी मीडिया अपने चैनल पर हम लोगो का ध्यान इस तरफ ना जाए इसके लिए धर्म , बलत्कार , घोटालो , सीमा पर तनाव आदि जैसी चर्चाए शुरू कर देता हैं और फिर हम इन दूसरी समस्या मे खो जाते हैं | असली समस्या जहां हैं वहाँ कोई नहीं सोचता ! किसान के लिए कोई चिंतन नहीं , जैसे को किसना की समस्या कोई समस्या ही नहीं हैं !


चौधरी छोटूराम उस वक़्त किसान को इन षड्यंत्रकारियों से सचेत करते हुए जो कहते थे , वह आज भी वैसा का वैसा हैं , किसान आज भी सोया हुआ हैं .....
चौधरी साहब कहते हैं ...
हे किसान ! केवल भगवान ही तेरा बेली हैं रक्षक हैं | जब भी तू अपनी गरीबी का रोना रोता हैं , सरकार इसे ऐसा समझती हैं जैसे तू झूठ बोल रहा हैं | तेरे पक्ष को मजबूती देने के लिए कोई अखबार नहीं हैं | बल्कि यहाँ तो अखबार कृषि संबंधी कानूनों और उनके द्वारा किए जा रहे बचाव और तुझको दी जा रही राहत की बुराई करने में जुटे हुए हैं ! तेरी पूरी कौम (किसान वर्ग) कुंभकरण की भांति गहरी और कभी न टूटने वाली नींद का आनंद ले रही हैं | तेरा परिवार बंटा हुआ हैं | यदि कोई इस साधारण बुद्धि समुदाए को जगाने की कोशिश करता हैं , तो हिन्दू , सिक्ख और इस्लाम धर्मों के पुजारी -पुरोहित , गुरु-ग्रंथि और मुल्ला-मौलवी परेशान हो उठाते हैं ! जिस क्षण ये लोग तुझ में जागृति के कुछ लक्षण देख लेते हैं तो ये ' धर्म के दुश्मन ' धर्म के नाम पर किसान के कानों में जहर घोलने के लिए दुष्प्रचार शुरू कर देते हैं !


जय योद्धेय

ygulia
December 16th, 2014, 04:31 PM
The economic health of country is measured by its share markets. Reduction in agriculture production also affects the share markets. Your post shows that you are not happy with the economic progress of the country.

raka
December 16th, 2014, 04:55 PM
The economic health of country is measured by its share markets. Reduction in agriculture production also affects the share markets. Your post shows that you are not happy with the economic progress of the country.
मेरी पोस्ट तो कुछ और भी शो कर रहीं हैं , उसके लिए आपको चश्मा उतरना पड़ेगा ....

ygulia
December 16th, 2014, 08:25 PM
Farmer depends a lot on the mercy of nature which is true through out the world. What government has done for these people is a question of debate? Why do you call a government Baniya (is it the result of utter frustration?) which you did not do in the past? You are mixing topics which can not be discussed together.

RKhatkar
December 16th, 2014, 09:52 PM
मेरी पोस्ट तो कुछ और भी शो कर रहीं हैं , उसके लिए आपको चश्मा उतरना पड़ेगा ....

श्रीमान राकेश जी,
किसी भी चर्चा मे लेखनी की शैली खुद के हाथ मे होती है | यदि आप इस शैली मे शालीनता का पालन नहीं करते है तो आप किसी भी उत्तम फॉरम चर्चा मंच में भाग लेने के पात्र नहीं रहते है | पिछली कुछ चर्चाओं से आपकी शैली में शालीनता की कमी देखने मे आ रही है | आपसे आपेक्षा की जाती है की आप फॉरम की महत्ता, विचारों की उत्तमता व सदस्यों के स्वाभिमान की कद्र करके चलें व सवास्थ्य तरीके से अपने विचारों को प्रकट करें |
धन्यवाद

raka
December 16th, 2014, 11:05 PM
श्रीमान राकेश जी,
किसी भी चर्चा मे लेखनी की शैली खुद के हाथ मे होती है | यदि आप इस शैली मे शालीनता का पालन नहीं करते है तो आप किसी भी उत्तम फॉरम चर्चा मंच में भाग लेने के पात्र नहीं रहते है | पिछली कुछ चर्चाओं से आपकी शैली में शालीनता की कमी देखने मे आ रही है | आपसे आपेक्षा की जाती है की आप फॉरम की महत्ता, विचारों की उत्तमता व सदस्यों के स्वाभिमान की कद्र करके चलें व सवास्थ्य तरीके से अपने विचारों को प्रकट करें |
धन्यवाद
भिवानी के पास जाटों का एक काफी बड़ा गाँव हैं , उसमे एक राज सिंह नाम का आदमी सै , उसके 7 लड़के हैं और सारे अनाड़ी मलंग | एक दिन सातों आपस मे लड़ रहे थे , उनमे सबसे बड़ा लड़का राज सिंह को बोला - बाबू तैने ये सर चढ़ा लिए , ईन्ने कुछ कहता कोणी ...... राज सिंह बोला - मैंने इनके श्रीमान जी भी लगा के देख लिया

spdeshwal
December 17th, 2014, 06:30 AM
श्रीमान राकेश जी,
किसी भी चर्चा मे लेखनी की शैली खुद के हाथ मे होती है | यदि आप इस शैली मे शालीनता का पालन नहीं करते है तो आप किसी भी उत्तम फॉरम चर्चा मंच में भाग लेने के पात्र नहीं रहते है | पिछली कुछ चर्चाओं से आपकी शैली में शालीनता की कमी देखने मे आ रही है | आपसे आपेक्षा की जाती है की आप फॉरम की महत्ता, विचारों की उत्तमता व सदस्यों के स्वाभिमान की कद्र करके चलें व सवास्थ्य तरीके से अपने विचारों को प्रकट करें |

धन्यवाद

श्रीमान खटकड़ जी !
राकेश जी का चस्मा उतरने से यही अभिप्राय रहा होगा की आप अपना नजरिया बदलिये, तब आप मेरी बात को सही परिपेक्ष में देख सकेंगे!
गुलिया जी के विचारों से में उस हद तक ही सहमत हूँ की सम्पूर्ण आर्थिक दशा में अगर सुधार हुआ है तब निश्चित तौर पर कृषि क्षेत्र में भी सुधर हुआ है ! लेकिन में गुलिया जी की इस राय से इतफ़ाक नहीं रखता की शेयर मार्किट में उछाल, कृषि क्षेत्र की सही दशा को भी दर्शाता है!
शेयर मार्किट की उछाल के कई कारक है, कई पैमाने है!
मेरी राय में राकेश जी का आज की सरकार को बनिया सरकार कहने का आशय केवल इतना है की यह सरकार केवल व्यापारी और वह भी चुनिंदा बड़े व्यपारिक घरानो के हक़ में लिए फैसलों से ही इस तरह का उछाल आया है!
प्रशन यह है की क्या इस आर्थिक सुधर में किसानो, गरीब मजदूरों की आर्थिक दशा में सुधार भी शामिल है !क्या इस सरकार ने किसानो के हक़ में कोई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं!
अगर नहीं तब , किसानो और कृषि क्षेत्र के नजरिये से सेयर मार्किट का ये उछाल, सतही है, धोका है छलावा है! इसमें को अतिश्योक्ति नहीं होगी की इस सरकार के फैंसले बड़े व्यपारियों ( बनियो) के हित को साधने के लिए ही लिए जाते हैं और सेयर मार्किट में उत्तर चढाव आम जान मानस के जीवन स्तर सुधर को नहीं दर्शाता !

खुश रहो!

RKhatkar
December 17th, 2014, 07:01 AM
श्रीमान खटकड़ जी !
राकेश जी का चस्मा उतरने से यही अभिप्राय रहा होगा की आप अपना नजरिया बदलिये, तब आप मेरी बात को सही परिपेक्ष में देख सकेंगे!
गुलिया जी के विचारों से .................
.............................................आम जान मानस के जीवन स्तर सुधर को नहीं दर्शाता !

खुश रहो!

देसवाल जी आपने बिलकुल सही लिखा है | आपके द्वारा प्रयोग किया गए शब्द कितने सभ्य है जो सभी को सुहाते है (आप अपना नजरिया बदलिये, तब आप मेरी बात को सही परिपेक्ष में देख सकेंगे!) राकेश एक बहुत अच्छा विचारक है बहुत खुल कर लिखता है उसे भी अपने शब्दों के उपयोग इसका ध्यान रखना चाहिए |
धन्यवाद

Fateh
December 18th, 2014, 12:56 AM
I have completed 67, I served in most of the areas of India, my observation is that irrespective of any govt, after independence, the most neglected, insulted and deprived by the govt is kissan and fauji jawan which 99% come from kissan family

vdhillon
December 18th, 2014, 03:32 AM
Ye aap ki observation bahut sahi hai. Jo desh ke RAKSHAK aur ANN-DATA hai (Jawan jo kissan paruvar se aatey hain jayadatar) wahi sab se jayada deprived hain.



I have completed 67, I served in most of the areas of India, my observation is that irrespective of any govt, after independence, the most neglected, insulted and deprived by the govt is kissan and fauji jawan which 99% come from kissan family