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View Full Version : घर वापसी का खेल !!



raka
December 19th, 2014, 03:29 PM
आरएसएस के अंषांगिक संगठन धर्मजागरण समिति के क्षेत्रीय प्रमुख राजेश्वर सिंह का कहना हैं कि 2021 तक देश के मुस्लिम और ईसाइयों को हिन्दू बना लिया जाएगा | हिंदुवादी नेता ने कहा कि धार्मतरण पर संसद में हँगामा मचाने वाले नेता पहले अपनी देशभक्ति साबित करें |


आखिर ये राजेश्वर , आजम खान , ओवेसी , योगी आदित्यनाथ आदि जैसे नेता सिद्ध क्या करना चाहते हैं ? नेता जी को शायद पता नहीं हैं कि आज जो जाट हिन्दू धर्म मे हैं इनके पूर्वज कभी बौद्ध थे , जिसका प्रमाण हरियाणा व दूसरे प्रान्तों मे आए दिन खुदाई मे मिल रहे मट्ठ हैं | चीनी यात्री फ़ाहयान व अन्य इतिहासकारों ने इसके अनेक प्रमाण दिए हैं | यदि इन जाटों के दिमाग मे भी यह धर्मातरण कि बात घर कर जाए और ये भी अपने घर वापसी की सोचने लगे तो संघी पंडो व उनके शंखो को समस्या हो जाएगी ! विहिप के एक नेता जी जुगल किशोर का कहना हैं की घर वापसी और विकास अलग नहीं हैं , नेता जी यदि ऐसा हैं तो फिर विकास के मामले मे बौद्धिक देश तो भारत से भी कहीं आगे हैं तो फिर क्यों न हम अपने बौद्ध धर्म मे ही वापसी करे ? अगर कोई इनके इस नापाक मंसूबे के खिलाफ बोलता हैं तो यह लोग उसकी राष्ट्रभक्ति पर ही प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं ! ये जितने भी संघी नेता हैं ( पिछड़े व दलित जो इनके शंख बने हुए वे अपने आप को संघी नेता न समझे , वे सिर्फ इस्तेमाल हो रहे हैं ) इनके परिवारों मे खोजने से ही फौजी मिले और हमारे में ऐसा कोई घर नहीं जिसमे फौजी ना हो , ऐसा कोई परिवार नहीं जिसमे देश के लिए कोई शहीद न हुआ हो | परंतु इनकी ऐसी बाते सुन कर अब हमे ही अपनी राष्ट्र भक्ति पर संदेह होने लगा हैं ! इतिहास गवाह हैं आज तक भारत के जितने भी हिस्से हुए हैं वह धर्म के कारण हुए हैं ना की जातिवाद के कारण , इन्सानो का शोषण हुआ वह भी धर्म को आधार बना कर , इसलिए देश को खतरा इन तथाकथित धर्मो व इन धर्मों के ठेकेदारों से हैं | आज तक जितने भी दंगे फसाद हुए हैं उसमे शायद ही अमीर मरे हो या उनमे अमीर शामिल होते हो ! इनमे जितने भी मरने मारने वाले होते हैं वह सब गरीब या सामान्य तबके के लोग मिलेंगे | क्या इन धर्मों के भगवान / खुदा इतने कमजोर हो गए हैं की उनके लिए अब इन्सानों को लड़ना पड़ रहा हैं ?


" जिसके घर में खाने को दाणे उसके तो बावले भी स्याणे " इन सब राजेश्वर , जुगल किशोर , आजम खान, ओवेसी, योगी आदित्यनाथ आदि जैसे ठेकेदारों के घरों मे खाने को दाने हैं इसलिए यह लोग ऐसी बेतुकी बाते करते हैं और हमारी लड़ाई ही दानो की हैं , इसलिए इनकी बातों मे न बहक कर अपने दानो की फिक्र करे और चौधरी छोटूराम की कहीं याद रखे --
" धर्म को राजनीति से दूर रखो | धर्म (मजहब) निहित स्वार्थो वाले चालबाज लोगो द्वारा, आप को स्पष्ट एवं स्वतंत्र चिन्तन के मार्ग से दूर रखने के लिए आप को पिलाई जाने वाली वार्निश हैं – नशीली दावा हैं "
" 16 जनवरी 1926 को ' द ट्रिब्यून ' में चौधरी छोटूराम की टिप्पणी इस धुर्वीकरण के जातिगत और आर्थिक आधार को स्पष्ट करती हैं | उन्होने कहा कि यूनियनिस्ट पार्टी " हिंदुओं मुसलमानों और सिक्खों को उनके गैर-धार्मिक और आर्थिक हितों के आधार पर संगठित करना चाहती हैं | यहीं वास्तविक आधार हैं जिसे राजनीतिक पार्टी को उजागर करना चाहिए | पार्टी एक सांझा मंच प्रदान करती हैं जो प्रांत से सांप्रदायिकता को समाप्त करना चाहते हैं हम गरीबो के दोस्त हैं और पंजाब के शोषित वर्गों के हिमायती हैं "


चौधरी छोटूराम कि कहीं अपने पल्ले बंद लो और यह अच्छी तरह से समझ लो कि जो पार्टी या जो कोई नेता अगर हमारे आर्थिक हितों से परे हट कर सांप्रदायिकता की बाते करता हैं वह हम किसान मजदूरों का सबसे बड़ा दुश्मन हैं, चाहे वह कोई हमारे मे से ही क्यों ना हो | चाहे कितनी ही घर वापसी कर लेना , कितना ही आतंक फैला लेना , तुम्हें तो आखिर मे करनी ही मजदूरी हैं , यदि इस घर वापसी के खेल से किसी को फायदा होना हैं तो वह होगा धर्मो के ठेकेदार पंडित-पुरोहित , गुरु -ग्रंथि , मुल्ले-मौलवियों को |


चौधरी छोटूराम की यह शिक्षा ही हमारे यूनियनिस्ट मिशन का मुख्य आधार हैं | जय योद्धेय