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View Full Version : Yah Kaisi Azadi ?



RavinderSura
May 3rd, 2015, 12:01 PM
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यह कैसी आज़ादी हैं ?
सरकार भी किसान की , ट्रैक पर भी किसान , खाकी पहने जवान भी किसान का बेटा ! किसान को किसान से ही लड़वा-मरवा रहे हैं ?

चौधरी छोटूराम के संयुक्त पंजाब के तीन हिस्से कर दिये गए , जिसका एक हिस्सा पाकिस्तान में चला गया व दो हिस्से भारत मे हैं | भारत में आज इन दो हिस्सों को पंजाब व हरियाणा नाम से जाना जाता हैं | ये दोनों ही सूबे किसान व जवान के लिए जाने जाते हैं | आज़ादी से पहले पंजाब के किसानों के लिए चौधरी छोटूराम अंगेजों व मंडी-पाखंडियों से लड़ते थे परंतु आज चौधरी छोटूराम के उसी पंजाब (पंजाब व हरियाणा) के किसानों को अपनों से ही लड़ना पड़ रहा हैं , उसके अपने कहें जाने वाले नेता मंडी-पाखंडी की गोद में जा बैठे हैं | आज चौधरी छोटूराम के किसान को उसके अपने ही उसे कायर बताने लगे हैं !

पंजाब में 11 जिलों में पिछलें 3 वर्षों में 6900 के करीब किसानों ने आत्महत्या की हैं | यह हाल तो तब हैं जब पंजाब में किसान कहें जाने वालों की सरकार हैं | पिछलें दो दिन से पंजाब के किसान रेल ट्रैक रोके हुए हैं , जिसके लिए बादल सरकार ने अपने ही लोगों पर लाठीचार्ज का इरादा भी कर लिया था परंतु बाद में ट्रैक पर एक किसान की मौत होने से लाठीचार्ज का इरादा टाल दिया गया | दो दिन से बेचारे किसान ट्रैक पर पड़े हैं तो कहीं हाइवे जाम कर रहे हैं और बादल साहब दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाक़ात कर रहे हैं , तो कभी कह रहे हैं श्री आनंदपुर साहिब स्थापन दिवस पर होगा बड़ा समारोह ! बादल साहब अपनी नाकामी को धर्म की आड़ में छुपाना चाहते हैं ? किसान की बजाए सिखि को लेकर ज्यादा चिंतित हैं ! बादल साहब आप एक किसान परिवार से हैं सो आप ये मास्टर तारा सिंह वाली राह छोड़ कर चौधरी छोटूराम वाली राह पर आए | आप से यह धर्म की ठेकेदारी वाला नाटक ना हो पाएगा , यह नाटक इन ठेकेदारों के लिए ही छोड़ दें ! मोदी तो ये नाटक करके अपना सूट करोड़ों के भाव बेच गया था पर आपका तो कोड़ियों के भाव भी ना बिकेगा !

चौधरी छोटूराम किसान को समझाते हुए कहते हैं : " ऐ किसान ! तेरी पूरी कौम कुंभकरण की भांति गहरी नींद और कभी ना टूटने वाली नींद की मौज ले रही हैं | तेरा परिवार बंटा हुआ हैं | यदि कोई इस आम साधारण बुद्धि समुदाए को जगाने की कोशिश करता हैं , तो हिन्दू , सिख और इस्लाम धर्मों के पुजारी-पुरोहित , गुरु -ग्रंथि और मुल्ला-मौलवी परेशान हो उठते हैं ! जिस क्षण ये लोग तुझमें जागृति के कुछ लक्षण देखते हैं तो ये ' धर्म के दुश्मन ' धर्म के नाम पर किसानों के कानों में जहर घोलना शुरू कर देते हैं , धर्म नाम की नशीली दवा सुंघाना शुरू कर देते हैं "

बादल साहब यह धर्म नाम की नशीली दवाई सुंघाने वाला काम कम से कम आप तो ना करें , यह काम इन ठेकेदारों के लिए ही छोड़ दीजिये , आप सिर्फ अपने समुदाए यानि किसान बीरदारी का ख्याल कीजिए | अगर आप लोग भी यह धर्म नाम की नशीली दवा सुंघाने का काम करेंगे तो फिर इस किसान का कौन बेली होगा ? इस धर्म की ठेकेदारी के चक्कर में कहीं वो ना बन जाए के कौवा चला हंस की चाल अपनी भूल बैठा ! श्री आनंदपुर साहिब के स्थापना समारोह का मजा भी तभी हैं जब इन मेहनतकशों की जेब में कुछ जाएगा | और हमारे गुरु भी यहीं चाहते थे , बाबा नानक का मानना था कि " जब वे रोटी खाते थे तो उनकी रोटी से किसान का लहू टपकता था " | बादल साहब अभी भी वक़्त हैं , चेता करो , वरना कुछ वक़्त बाद आपके मुख से भी वहीं बयान सुनने को मिलेगा जो अभी कुछ दिन पहले आपके ही परिवार के सदस्य चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने दिया था |

" दरिया के तलातुम से तो बच सकती हैं कश्ती ,
कश्ती में तलातुम हो तो साहिल न मिलेगा "

' जय योद्धेय '