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View Full Version : Asli rashtrawadi !



RavinderSura
July 11th, 2015, 11:56 PM
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अजीब इतिफाक है कि मोहनदास करमचंद गांधी व मोहम्मद अली जिन्नाह दोनों ही गुजरात के काठियावाड़ी क्षेत्र के बनिए थे | दोनों ने ही गोरों के मुल्क से वकालत पढ़ी और दोनों ही अपने अपने मुल्कों के राष्ट्रपिता बन बैठे !
1947 से पहले का पंजाब एक बहुत बड़ा प्रांत था जिसमें इन दोनों राष्ट्रों के पिताओं की कभी दाल नहीं गली | पंजाब में सर छोटूराम के जलवे के आगे यह दोनों राष्ट्रपिता बोने थे , जिसकी मिसाल 28 अप्रैल 1944 के हिंदुस्तान टाइम्स में छपा यह कार्टून है | जिसमे सर छोटूराम को जिन्नाह को दिल्ली मुंबई का रास्ता दिखाते हुए दिखाया हैं | जिन्नाह ने पंजाब में सर सिकंदर हयात खान के बेटे शौकत हयात खान को बहका कर अपनी तरफ कर लिया था और उसके बाद उसने सोचा की अब सभी मुस्लिम जाट तेरे साथ आ जाएंगे | एक रात लाहौर में नवाब ममदोत की कोठी पर उसने सभी मुस्लिम बुलाए और अपना भाषण शुरू किया , तभी बीच में यूनियनिस्ट पार्टी के एक विधायक ने जिन्नाह से पूछा कि क्या आप जानते हैं जट्ट कौन होते हैं ? जिन्नाह ने कहा जट्ट एक तबका हैं इस पर विधायक ने कहा हम मुस्लिम बाद में जट्ट पहले हैं और हम जट्टों का एक ही नेता हैं और वह है सर छोटूराम , जो वो कहेगा हम वही करेंगे ( यही कारण है कि आज भी पाकिस्तान के पंजाब में सर छोटूराम को याद किया जाता हैं ) | जिन्नाह ने पंजाब में अपनी पुरजोर कोशिश की परंतु यूनियनिस्ट लीडरशिप के आगे उसकी एक भी ना चली और एक रात उसे पंजाब छोड़ भागना पड़ा था | परंतु दुश्मन कि ऐसी नजर लगी कि सर छोटूराम का बीमारी के चलते देहांत हो गया और उसके बाद दुश्मन ने उनके पंजाब के टुकड़े कर दिये | जिन्नाह के नापाक इरादों को समझते हुए सर छोटूराम ने गांधी जी को खत भी लिखा था जिसमे उन्होने कुछ उपाए सुझाए थे परंतु गांधी जी ने मरते दम तक ना तो उस खत का कोई जवाब दिया और न ही उस पर कोई अमल किया और मुल्क का बंटवारा करवा दिया , वो अलग बात हैं कि आज प्रचार किया जाता है कि गांधी जी बँटवारे के खिलाफ थे |
सर छोटूराम के खिलाफ कितना ही दुष्प्रचार किया गया हो परंतु वह एक सच्चे राष्ट्रवादी थे जिसका सबूत हिंदुस्तान टाइम्स का यह कार्टून हैं |