महिलाओं के कुआंरेपन को लेकर समाज में कई प्रकार की धारणाएँ रही हैं.
चूँकि इसका सीधा संबंध शादी और यौन संबंधों से जुड़ा है इसलिए इस पर खुलकर चर्चा बहुत कम होती है.
चिकित्सा विज्ञान की बदौलत अब सर्जरी के ज़रिए औरतों के लिए कुआँरापन वापस पाना मुमकिन हो गया है. इस सर्जरी को हायम्नोप्लास्टी कहते हैं.
पिछले कुछ समय से गुजरात में हायम्नोप्लास्टी की तरफ महिलाओं का रुझान बढ़ा है. देशी और विदेशी दोनों जगह की महिलाएँ गुजरात में कार्यरत कॉस्मेटिक सर्जनों से इस बारे में पूछताछ कर रही हैं.
अब तक आठ से ज़्यादा ऐसे ऑपरेशन तो अहमदाबाद के कॉस्मेटिक सर्जनों ने किए है.
ऐसे ही एक सर्जन डॉक्टर बीजल पारिख का कहना है कि हर हफ्ते उनसे इंटरनेट पर औसतन 10 औरतें हेमनोप्लास्टी के बारे में जानकारी ले रही हैं और जल्द अहमदाबाद में आकर यह सर्जरी करवाने की बात कहती हैं.
इनमें से 30 प्रतिशत भारतीय औरतें हैं और बाकी विदेशी खासतौर पर ब्रिटेन, अमरीका और यूरोप की निवासी हैं.
ऐसा क्यों?
ये महिलाएं ऐसा क्यों करवाना चाहती हैं इसके कारण भिन्न हैं.
डॉ पारिख कहते हैं, "कुछ समय पहले मैंने एक 41 वर्षीय यूरोपीय महिला की हायम्नोप्लास्टी की थी. ये महिला अपनी शादी की 21वीं सालगिरह पर दोबारा अपने पति को अपना कुआँरापन भेंट के रूप में देना चाहती थीं. उसका इरादा बहुत रोमांटिक था."
दूसरी तरफ़ भारतीय समाज में रूढ़िवादी ख़यालों के चलते जिस तरह की धारणाएं हैं और जिस तरह का महत्व लड़की के शारीरिक कुआंरेपन को दिया जाता है, इसके लिए कई लड़कियाँ ये सर्जरी करवा रही हैं.
डॉ हेमंत सरवैया बताते हैं, "मेरी दो मरीज़ तो कालगर्ल थीं जो शादी करके एक नया जीवन शुरू करना चाहती थीं. पर जब उन्हें यह पता चला कि जिस घर में उनकी सगाई हुई है वहाँ लड़की का कुआंरी होना ज़रूरी है और शादी के बाद उसके कुआंरेपन के सबूत माँगे जाते हैं तो उनको चिंता हुई और वो मेरे पाए आए."
डॉ सरवैया ने अब तक ऐसे छह ऑपरेशन किए हैं और उनकी सभी मरीज़ 20-25 वर्ष की आयु की रही हैं.
यह पूछे जाने पर कि आख़िर इस सर्जरी के लिए बाकी जगह के मुकाबले गुजरात को ही लोग क्यों चुन रहे हैं, डॉ पारिख बोले ‘गुजरात में आज पाँच सितारा अस्पताल उपलब्ध है जहाँ पर यह सर्जरी मात्र 20 हज़ार रुपए से लेकर 25 हज़ार रुपए में हो जाता है. अगर यही सर्जरी अमरीका या फिर यूरोप में करवाई जाए तो इसकी क़ीमत दस गुना होती है."
बढ़ता चलन
हायम्नोप्लास्टी बढ़ते प्रचलन के कई समाजिक पहलू हैं. डॉ पारिख मानते हैं कि आज के दौर में कुआंरेपन को इतना महत्व नहीं देना चाहिए.
उनका कहना है, "यह तो एक कॉस्मेटिक सर्जरी है जो हम मरीज़ की संतुष्टि के लिए कर रहे हैं."
डॉक्टर सरवैया भी कहते हैं कि जहाँ एक तरफ समाज में फ्री सेक्स और शादी के बगैर एक साथ रहने का चलन देखने में आ रहा है, ऐसे में शादी के वक़्त कुआंरेपन पर ज़ोर देना एक पाखंड है.
उनका मानना है लोग अब एक परिवर्तन के दौर से गुज़र रहे है और आज से दस साल बाद कोई लड़का अगर यह कहेगा कि उसका विवाह एक कुआंरी से हुआ है तो लोग शायद उस पर हंसेंगे.
जाने माने समाजशास्त्री गौरंग जानी का कहना है कि रूढ़िवादी परंपराओं के जीवित रहने में अक्सर मेडिकल व्यवसायों को दिलचस्पी रही है चाहे वो भ्रूण हत्या की बात हो या कुआंरेपन की.
गुजरात में हेमनोप्लास्टी के बढ़ते प्रचलन के लिए वे तेज़ी से होते शहरीकरण, मध्यवर्ग की दिखावा करने की सोच, औरतों में सेक्स के बारे में आज़ाद ख़यालों का होना और पैसे की उपलब्धता को ज़िम्मेदार ठहराते हैं.