एक ग़ज़ल पेश है जो मुझे बेंतेहा पसंद है
बाज़ार मूवी में जो ग़ज़ल है वो पुरी नही है यहाँ मैं वो पुरी ग़ज़ल लिख रहा हूँ उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी स्टार के बाद जो लिखा है वो मूवी में नही है
Film: Bazaar (1982)
Singer: Lata Mangeshkar
Lyrics: Mir Taki Mir
Music: Khaiyyam
दिखाई दिये यूं कि बेखुद किया,
हमें आपसे भी जुदा कर चले।
जभीं सज़दा करते ही करते गयी,
हक़-ए-बंदगी हम अदा कर चले।
परस्तिश की याँ तक कि ऐ बुत तुझे,
नज़र में सबों की ख़ुदा कर चले।
बहुत आरज़ू थी गली की तेरी,
सो यास-ए-लहू में नहा कर चले।
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फकीराना ऐ सदा कर चले,
मियाँ खुश रहो हम दुआ कर चले।
जो तुझ बिन न जीने को कहते थे हम,
सो इस अहद को अब वफ़ा कर चले।
कोई न उम्मीद न करते निगाह,
सो तुम हम से मुंह भी छिपा कर चले।
गई उम्र दर बंद-ऐ-फिक्र-ऐ-ग़ज़ल,
सो इस फन को ऐसास बड़ा कर चले।
कहें क्या जो पूछे कोई हम से "मीर",
जहाँ में तुम आए थे, क्या कर चले।