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Holidays Holidays and Holidays ….?
छुट्टियों के बहाने……?
भारतवर्ष छुट्टियों से भरा पडा है……हमें बस छुट्टी करने का बहाना भर चाहिये….यहाँ किसी का जन्मदिन हो तो छुट्टी……किसी का मरण दिन हो तो छुट्टी………यहाँ देवी देवताओं के नाम पर छुट्टी……त्योहारों पर छुट्टी….धर्म के नाम पर छुट्टी…..सरकार ने कुछ गलत कर दिया तो छुट्टी…… सरकार से जाने अनजाने में कुछ बढिया काम हो गया तो छुट्टी……..(वैसे सरकार से अच्छे काम भुल-चुक से ही होते है)……..आज कोई साथ है इसलिये छुट्टी ओर आज अकेले हैं तो इस गम़ में छुट्टी……कहीं बाढ आई हुई है तो छुट्टी ओर कहीं सूखा या आकाल पड गया तो छुट्टी…….बीवी , सहेली या सहेला ने घणा प्यार दे दिया तो छुट्टी (खुशी में) ओर अगर दुत्तकार दिया तो ग़म मे छुट्टी…:o… किसे जाट की भैंस ने काट्डा दे दिया तो भी छुट्टी ……आफ़िस मे किसी ने फ़ट्कार दिया तो शर्म के मारे छुट्टी ओर अगर किसी ने घणी शाबाशी या तारिफ़ कर दी ते फ़ूल के हो गये कुप्पा इस बात पे छुट्टी….:D...कोए मेहमान आ गया तो उसकी खातिरदारी करने के लिये छुट्टी ओर किसी के मेहमान बन कर गये फ़िर तो है ही छुट्टी……कुछ तो हमारे देश में राष्ट्रीय छुटियां हैं, कुछ राज्य की ओर कुछ हमने अपने अपने फ़ायदे ओर सहुलियत के हिसाब से बना ली हैं….. इन छुट्टियों पर हमने आपना मौलिक अधिकार बना लिया है……प्रजातंत्र का भरपुर फ़ायदा उठाना तो कोई हमसे सिखें ।
क्या हमने कभी सोचा है कि एक साल के 365 दिनों मे से हम काम कितने दिन काम करते हैं……ओर कितने दिन चाही या अनचाही छुट्टियां मनाते हैं ।
अज़ीब देश है जी आपणा भी….कोई यहां बीडी से ही जिग़र में आग जला देता है…..:eek:.... ( बीडी जलाई ले जिग़र मा पिया…..जिग़र मा बडी आग है……तणं तू तूं….तणं तू तूं…? ) तो कोई गणेश जी की मूर्ति को ही दूध पिला देता है…….। पढ लिख़ लेने के बावजूद भी हम आजतक अंधविश्व्वाश से उभर नही पाये हैं…….आज भी झाड फ़ूंक ओर टूनें टोटकों मे उलझे रहते हैं ।
सबसे बढिया काम तो ये जाटलैंड कर रहा है जो 24x7 बस चलता ही रहता है ओर विभिन्न तर्क वितर्क ओर आचारों विचारों का आदान प्रदान निशुल्क बांटे जा रहा है …..जैसे नये घर के उपर हांडी पर बने एक काले से थोबडे आले ने लट्का दिया करे ना……जिसकी गज भर की लाम्बी सी लाल रंग की जीभ निकली रहती है…. नज़र तोडने के लिये……मैं तो कहता हूँ कि…. एक काला टीका लगा दो इस जाटलैंड को भी…… बुरी नज़रों से बचाने के लिये ।
समस्त जाटलैंड वासी बधाई के पात्र है जो 24x7 बिना कोई छुट्टी का बहाना ढूंढे जाटलैंड को आबाद रख़ते हैं……जाटलैंड वो मुश्क है जो हमें हमेशा खुश्बु देता रहता है ओर Log In करते ही हमारे चेहरों पर खुशी की मुस्कान बिख़ेर देता है…….
आते जाते जहाँ चोपाल मे राम राम ओर दुआ स्लाम होती है…..
प्यार, मोहब्बत, दोस्ती ओर भाई-चारे की क्या खूब मिलान होती है….
जाटलैंड वो सितारा है जो लोगो को मन्जिल का पता ओर…..भटकों को सहारा देता है
अंत मे…..माफ़ करना…..मुझे डर लग रहा है कहीं समस्त जाटलैंड वाशी मिलकर मेरी छुट्टी करने का बहाना ना ढूंढ्ने लग जायें…..? ओर फ़िर मैं कहता फ़िरूं………मुसाफ़िर हूँ मैं तो……..गले से लगा लो…..?