In short, "फसल का चक्र" का मतलब है कि एक ही खेत में एक ही फसल हर साल पैदा नहीं करनी चाहिये । आपने देखा ही होगा कि एक खेत में हर साल पहले धान बोए जाते हैं (बरसात में) और उसके तुरन्त बाद गेहूं बो दिये जाते हैं । अगर हर साल यही होता रहे तो जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है और उसमें ज्यादा रासायनिक खाद डालना पड़ता है । अगर एक साल गेहूं आदि बो कर अगले साल उसमें सब्जियां या दालें बोई जायें तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और रासायनिक खाद भी नहीं डालनी पड़ेगी । पहले भी किसान ऐसा ही करते थे - वे एक साल या तो जमीन को खाली छोड़ देते थे या उसमें दालें आदि बो देते थे ताकि भूमि को आराम मिले या तबदीली हो । जैसे अगर हम रोजाना गेहूं की रोटी खाते हैं, तो बीच-बीच में किसी दिन दलिया, खिचड़ी या दूसरे अनाज खाने से पेट को आराम मिलता है और शरीर के लिये भी यह ठीक है । यही बात खेती वाली जमीन पर भी लागू होती है ।
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