Results 1 to 5 of 5

Thread: Mukriyaan.... Amir Khusro

  1. #1

    Mukriyaan.... Amir Khusro

    Good day to all of you...Today I was just searching for Dohas and found a good stuff from Amir Khusro....I liked it and thought of collecting more stuff like this, but nothing much I found....Then I thought of creating a new thread here so that if anyone else has good stuff like this can post here and will make collection of it.....

    So please spare few minutes from your precious time to help me in collecting this stuff and if you don't have anything...then nothing to worry about it as I am still on search and will post another good one when I'll get.......

    रात समय वह मेरे आवे। भोर भये वह घर उठि जावे॥
    यह अचरज है सबसे न्यारा। ऐ सखि साजन? ना सखि तारा॥

    नंगे पाँव फिरन नहिं देत। पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत॥
    पाँव का चूमा लेत निपूता। ऐ सखि साजन? ना सखि जूता॥

    वह आवे तब शादी होय। उस बिन दूजा और न कोय॥
    मीठे लागें वाके बोल।ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल॥

    जब माँगू तब जल भरि लावे। मेरे मन की तपन बुझावे॥
    मन का भारी तन का छोटा।ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा॥

    बेर-बेर सोवतहिं जगावे। ना जागूँ तो काटे खावे॥
    व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की। ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी॥

    अति सुरंग है रंग रंगीले। है गुणवंत बहुत चटकीलो॥
    राम भजन बिन कभी न सोता।क्यों सखि साजन? ना सखि तोता॥

    अर्ध निशा वह आया भौन। सुंदरता बरने कवि कौन॥
    निरखत ही मन भयो अनंद। क्यों सखि साजन? ना सखि चंद॥

    शोभा सदा बढ़ावन हारा। आँखिन से छिन होत न न्यारा॥
    आठ पहर मेरो मनरंजन।
    क्यों सखि साजन? ना सखि अंजन॥

    जीवन सब जग जासों कहै। वा बिनु नेक न धीरज रहै॥
    हरै छिनक में हिय की पीर। क्यों सखि साजन? ना सखि नीर॥

    बिन आये सबहीं सुख भूले। आये ते अँग-अँग सब फूले॥
    सीरी भई लगावत छाती। क्यों सखि साजन? ना सखि पाति॥

    With Regards,

    Arvind Singhrot
    -------------------------------------------------
    Don't fear failure so much that you refuse to try new things. The saddest summary of a life contains three descriptions: could have, might have, and should have..
    -------------------------------------------------

  2. #2
    काहे को ब्याहे बिदेस - अमीर खुसरो

    काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    भैया को दियो बाबुल महले दो-महले
    हमको दियो परदेस
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ
    जित हाँके हँक जैहें
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ
    घर-घर माँगे हैं जैहें
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    कोठे तले से पलकिया जो निकली
    बीरन में छाए पछाड़
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ
    भोर भये उड़ जैहें
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी
    छूटा सहेली का साथ
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    डोली का पर्दा उठा के जो देखा
    आया पिया का देस
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस
    अरे, लखिय बाबुल मोरे

    .
    तमसो मा ज्योतिर्गमय

  3. #3
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
    काहे को ब्याहे बिदेस - अमीर खुसरो

    .
    Never knew this one is by Amir Khusro....I love this number from Umrao Jaan! Thanks DND Sir..
    "Twenty years from now you will be more disappointed by the things you didn't do than by the ones you did do. So throw off the bowlines. Sail away from the safe harbor. Catch the trade winds in your sails. Explore. Dream. Discover."
    -Mark Twain

  4. #4
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
    काहे को ब्याहे बिदेस - अमीर खुसरो

    काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    भैया को दियो बाबुल महले दो-महले
    हमको दियो परदेस
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ
    जित हाँके हँक जैहें
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ
    घर-घर माँगे हैं जैहें
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    कोठे तले से पलकिया जो निकली
    बीरन में छाए पछाड़
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ
    भोर भये उड़ जैहें
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी
    छूटा सहेली का साथ
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    डोली का पर्दा उठा के जो देखा
    आया पिया का देस
    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस

    अरे, लखिय बाबुल मोरे
    काहे को ब्याहे बिदेस
    अरे, लखिय बाबुल मोरे

    .
    dhanyavaad hai sir ji....chalo 2 to ho gayi khusro ji ki meri list main......
    thanks again......
    With Regards,

    Arvind Singhrot
    -------------------------------------------------
    Don't fear failure so much that you refuse to try new things. The saddest summary of a life contains three descriptions: could have, might have, and should have..
    -------------------------------------------------

  5. #5
    .
    दुलहन
    (अमीर खुसरो)

    बहोत रही बाबुल घर दुल्हन, चल तोरे पी ने बुलाई।
    बहोत खेल खेली सखियन से, अन्त करी लरिकाई।
    बिदा करन को कुटुम्ब सब आए, सगरे लोग लुगाई।
    चार कहार मिल डोलिया उठाई, संग परोहत और भाई।
    चले ही बनेगी होत कहाँ है, नैनन नीर बहाई।
    अन्त बिदा हो चलि है दुल्हिन, काहू कि कछु न बने आई।
    मौज-खुसी सब देखत रह गए, मात पिता और भाई।
    मोरी कौन संग लगन धराई, धन-धन तेरि है खुदाई।
    बिन मांगे मेरी मंगनी जो कीन्ही, नेह की मिसरी खिलाई।
    एक के नाम कर दीनी सजनी, पर घर की जो ठहराई।
    गुण नहीं एक औगुन बहोतेरे, कैसे नोशा रिझाई।
    खुसरो चले ससुरारी सजनी, संग कोई नहीं आई।

    .

    तमसो मा ज्योतिर्गमय

Posting Permissions

  • You may not post new threads
  • You may not post replies
  • You may not post attachments
  • You may not edit your posts
  •