गुरु गोरखनाथ द्बारा रचित 'सबद'
अपनी भावपूर्ण व् सुरीली आवाज में गाया है भग्त रामनिवास, सुनारियां, रोहतक ने :
ऐसा करम ना कीजे , रे साद्धो
आब घट्टे , तन छिज्जे !
हाँ, जाग मछन्दर, गोरख आये
आगमन गम, दिया हेल्ला !
कोण नींद में सोये गुरूजी
लाज रहे मन चेल्ला !
ऐसा करम ना कीजे , रे साद्धो .....
काल ना मिटा, जंजाल ना मिटया
तप कर हुया, नसुरा जी !
कुल का नाश कोए मत करियो
सतगुरु मिलयै ना पूरा जी !
ऐसा करम ना कीजे , रे साद्धो ....
अखनी काया, भखनी माया
अखनी ने गोद खिलाया जी!
डमरू देश से आया बरुता
भगन का पार ना पाया..हाँ..
ऐसा करम ना कीजे , रे साद्धो ...
राजा गए ना, राजा झरवे
वैद गए ना, रोग जी!
पुत्र गए ना, माता झरवे
बिंदु गए ना, योग जी !
ऐसा करम ना कीजे ,रे साद्धो ....
डगमग डगमग ...
डगमग पैर पेट भया पौली
सरब गलेदी पंखिया जी !
माखन भागन, तर गई
भोर मगन, भई अँखियाँ जी !
ऐसा करम ना कीजे......
दमडे देकै बाघंन आई
क्या पुता परनाया जी !
इस परने का पार ना पाया
शिर पै यम् धुक आया जी !
ऐसा करम ना कीजे......
एक बूँद से, रची श्रृष्टि
सहस्त्रों बूँद, कहाँ खोई !
आई बूँद का रोष ना मान्या
गई बूँद, क्यों रोई !
ऐसा करम ना कीजे......
जल का डूब्या, तर कै नक्सै
भग डूब्या बह जावे जी!
दिन मे कामन नैन से जोह्वे
सांझ भये मन मोहे !
ऐसा करम ना कीजे......
पर घर लग, पवन सी आवै
घर लागे कहाँ जावे जी !
काम अग्नि में जाया बदुत्ता
जड़ामूल ते जावे जी!
ऐसा करम ना कीजे......
अमृत बूँद काया का मंडन
वो पर घर क्यों दीज्जे जी
शरण मछन्दर जती गोरख बोल्ले
परण हमी से सीन्जे जी !
ऐसा करम ना कीजे......
http://haryanavimusic.com/hmp/pages/...tion=56&t=SONG
खुश रहो !