सब ने राम राम ।
जाटलैंड पर सब ने अपनी पसंद के हिन्दी गाने, अंग्रेज़ी गाने, पंजाबी गाने और ग़ज़ल के लिए धागा शुरू किया है । अच्छा लगा आप सबकी पसंद देख के और कई गीत ग़ज़ल जो मैंने पहले नही सुने थे वो यहाँ देखने के बाद सुने और मुझे भी पसंद आए । इसके लिए मैं आप सबका आभारी हूँ । मैंने भी इन धागों में अपनी पसंद लिखी है यद्यपि मेरी पसंद के अधिकांश गीत आप लोगों ने पहले ही लिख दिए थे ।
मैं कुछ दिन से भजन सुन रहा हूँ अब वो चाहे चलचित्रों से हों या वैसे ही किसी का संग्रह हो । वैसे मैं शुरू से ही भजन सुनने का आदी रहा हूँ । मगर कुछ समय से नही सुने थे । आजकल अधिकतर मैं भजन ही सुनता हूँ । इसलिए सोचा क्यूँ नही एक धागा भजनों पर भी शुरू किया जाए । अगर आप भी भजन सुनते हैं और उनको यहाँ बांटना चाहते हैं तो आपका स्वागत है । मुझे अत्यन्त प्रसन्नता होगी आपकी पसंद जान के ।
यहाँ पर मैं एक बात कहना चाहूँगा की मैं हिंदू धर्म में विश्वास करता हूँ और जाट होने से पहले मैं स्वयं को हिंदू समझता हूँ । हो सकता है आप में से कुछ या अधिकांश लोग इस बात से सहमत न हों परन्तु मैंने हमेशा अपनी प्राथमिकतायें रखी हैं । उदाहरण के लिए सर्वप्रथम मनुष्य- भारतीय- हिंदू- जाट- राजस्थानी- सीकर निवासी- मेरा गाँव- मेरा परिवार । उदाहरण के लिए अगर मुझे मनुष्य और जानवर में से एक चुनना हो तो मैं मनुष्य को चुनुँगा, अगर एक भारतीय और विदेशी में से एक चुनना हो तो भारतीय को चुनुँगा और ऐसे ही आगे भी । और इससे उल्टा भी उतनाही सही है जैसे अगर मुझे मेरे परिवार और किसी अन्य परिवार में से एक चुनना हो तो मैं अपना परिवार चुनुँगा, ऐसे ही अगर मुझे अपने गाँव और दूसरे गाँव में से चुनना हो तो मैं अपना गाँव चुनुँगा ।
सबके अपने अपने विचार होते हैं और सभी उनको अभिव्यक्त करने का बराबर का अधिकार रखते हैं और मुझे अपनी सोच और प्राथमिकताओं पर कोई वाद विवाद नही करना है । आशा है आप मेरी बात को समझेंगे ।
एक भजन लिख रहा हूँ शुरुआत के लिए और आशा करता हूँ की आप लोग इसमे जोड़ते जायेंगे:-
मुझे अपनी शरण में ले लो राम ले लो राम,
मुझे अपनी शरण में ले लो राम ।
मुझे अपनी......
लोचन मन में जगह न हो तो,
जुगल चरण में ले लो राम ।
मुझे अपनी...
जीवन दे के जाल बिछाया,
रच के माया नाच नचाया ।
चिंता मेरी तभी मिटेगी,
जब चिंतन में ले लो राम ले लो राम ।
मुझे अपनी....
तुमने लाखों पापी तारे,
मेरी बारी बाजी हारे, बाजी हारे ।
मेरे पास न पुण्य की पूँजी,
पद पूजन में ले लो राम ले लो राम ।
मुझे अपनी.......
राम हे ! राम राम हे ! राम ।
घर घर अटकूँ दर दर भटकूँ,
कहाँ कहाँ अपना सर पटकूं ।
इस जीवन में मिलो न तुम तो राम हे ! राम
इस जीवन में मिलो न तुम तो,
मुझे मरण में ले लो राम ले लो राम ।
मुझे अपनी.......
--वर्तनी सम्बन्धी कोई अशुद्धियाँ रह गई हों तो उनके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ ।