अरे लीलू (अनिल), इबब लिकड़ भी आ बहार !
हार गे ते हार गे मेरे यार !
तेरे ऐकले के नहीं, अंदाजे ते घने मानासां के गलत लिकड़ गे !
इबब जीतन आलायाने दिल तें बधाई देदे , दिल का बोझ कती हल्का हो ज्यागा !
अर्र भाई चो. संपतसिंह के हारण का दुःख मन्ने भी से, पर के करया जा !
उस पापी( भजनु) की किस्मत में हार न लिख राखी!
खुस रहो!