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Thread: Another Gem of Fauji Mehar Singh!

  1. #1

    Another Gem of Fauji Mehar Singh!

    मेरी माँ के जाये बीर
    Another gem of a Ragni by Fauji Mhar Singh and has been sung,so beautifully
    by Pt. Karampal Sharma!


    मेरी माँ के जाये बीर, विपत में रोया न करते !
    कदे दिन ये भी आवें सें, कड़े दिन ये भी आवें से !

    संगत बुरी चोर जारां की, हो से नीच चुगल खोरां की !
    देख के, ने औरां की खीर,नीत डुबोया ना करते!
    टूक मर पच के थ्यावें सें !
    कदे दीन ......

    सरा में लूट लिए छल करके, फैंसला होगा उस ईश्वर कै !
    करके प्यारां गेलयाँ शीर, आँख भर रोया न करते!
    ज़माना नीच बतावे से !
    कदे दीन ......

    गात में कति रहा ना जोश, दुःख में लई आत्मा मोश !
    म्हारी खोस लई जागीर , घणा जंग झोया ना करते !
    हंसी लोग उडावे सें !
    कदे दिन ..

    मेहर सिंह पड़गे घण्ने झमेले, आज हम पड़गे घण्ने अकेले !
    धर ले बुरे वक्त में धीर, होश ने खोया ना करते !
    आनंद रंग हटके छावें सें !
    कदे दिन...
    मेरी माँ के जाये बीर, विपत में रोया न करते !
    कड़े दिन ये भी आवें सें, कड़े दिन ये भी आवें से !

    http://www.haryanavimusic.com/hmp/pa...tion=56&t=SONG

    आशा है , सभी रागनी प्रेमी इसे पसंद करेंगे !

  2. #2
    देशवाल जी, पढने से लगता है की ये रागनी किसी खास context में लिखी गयी है, इसके पीछे की कहानी अगर मालूम है तो कृपया share करें....
    "Similia Similibus Curentur"

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