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Thread: Der Aaye Durusht Aaye!

  1. #1

    Der Aaye Durusht Aaye!

    देर आये दुरुस्त आये !

    रामभतेरी की औज्सवी आवाज में : हेरी मत मरवा मेरी माँ , मैंने दुनिया में आलेणदे !
    विजय भाई की क्रांतिकारी कविता : मुझे मत मारो !
    डोंट किल गर्ल चाइल्ड ..रोहित मालिक
    डॉ. रणबीर दहिया जी की इस विषय पर रागनी के इलावा, लड़की- लड़के के समान समान अधिकार और प्यार ,भ्रूण हत्या आदि पर, हमने इस फोरम पर कुछ इस तरह के थ्रेड शुरू किये और चर्चा भी की!
    अब लगता है हमारी पुकार व् प्रार्थना फलित होने लगी है!
    सरकारी व् गैर सरकारी, सामजिक संस्थाओं आदि के प्रचार प्रसार का असर दिखने लगा है ! निम्न लिखित समाचार बदलती सोच का परिचायक तो है ही , अपने आप में एक एक मिसाल भी है जो औरों को भी प्रेरित करेगी!

    http://in.jagran.yahoo.com/news/loca...6_5827242.html


    खुश रहो !

  2. #2

    Thumbs up

    Really a good news uncle ji...
    Thanks for sharing

  3. #3
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    Quote Originally Posted by spdeshwal View Post
    देर आये दुरुस्त आये !

    रामभतेरी की औज्सवी आवाज में : हेरी मत मरवा मेरी माँ , मैंने दुनिया में आलेणदे !
    विजय भाई की क्रांतिकारी कविता : मुझे मत मारो !
    डोंट किल गर्ल चाइल्ड ..रोहित मालिक
    डॉ. रणबीर दहिया जी की इस विषय पर रागनी के इलावा, लड़की- लड़के के समान समान अधिकार और प्यार ,भ्रूण हत्या आदि पर, हमने इस फोरम पर कुछ इस तरह के थ्रेड शुरू किये और चर्चा भी की!
    अब लगता है हमारी पुकार व् प्रार्थना फलित होने लगी है!
    सरकारी व् गैर सरकारी, सामजिक संस्थाओं आदि के प्रचार प्रसार का असर दिखने लगा है ! निम्न लिखित समाचार बदलती सोच का परिचायक तो है ही , अपने आप में एक एक मिसाल भी है जो औरों को भी प्रेरित करेगी!

    http://in.jagran.yahoo.com/news/loca...6_5827242.html


    खुश रहो !
    This is excellent!

    Let us try and do more and build on this!

  4. #4
    Quote Originally Posted by spdeshwal View Post
    देर आये दुरुस्त आये !

    अब लगता है हमारी पुकार व् प्रार्थना फलित होने लगी है!
    सरकारी व् गैर सरकारी, सामजिक संस्थाओं आदि के प्रचार प्रसार का असर दिखने लगा है ! निम्न लिखित समाचार बदलती सोच का परिचायक तो है ही , अपने आप में एक एक मिसाल भी है जो औरों को भी प्रेरित करेगी!

    http://in.jagran.yahoo.com/news/loca...6_5827242.html


    खुश रहो !
    सर, ऐसा पहले भी होता रहा है | मुझे याद है १४-१५ साल पहले हमारे पड़ोस में एक सज्जन पुत्री के जन्मदिवस की खुशी में VCR ले के आये थे | उन दिनों, अड़ोस-पड़ोस को अपनी ख़ुशी में सम्मिलित करने के लिए, मोहल्ले को मूवी दिखाने के लिए VCR किराये पे लेके आना एक तरह का चलन था (Thanx to Cable networks, आजकल यह प्रथा गांवों से पूरी तरह ख़तम हो चुकी है)| यहाँ ये बताना आवश्यक है की उस सज्जन के दो पुत्र पहले से ही थे |

    Its heartening to see more and more people celebrating the birth of a girl-child. But another (i feel most important) aspect of this 'missing-girls' problem is that a boy in the family is MUST. Couples with only son(s) are common but couples with only girl(s) are very very rare!!

    Girl-infanticides is not the only factor contributing to skewed sex-ratio; Couples opting for [small families (two kid at most) + a mentality of 'Boy is must'] are equally contributing to this social-evil.

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