जब में दशमी में पढ्या करदा | एक बे म्हारे गाम में रोहतक के शर्न्नार्थियें के बालक पेपर ( सितेम्बर में बोर्ड के एक्साम होया करें उनमे ) दवन आये वे १०-१५ जाने थे एर साईकलां पे आया करदे | टाई-टूई ला कें आंदे एर गाम की छोरिया नु देख कें स्टायल मारदे | गाम के बालक उन तें चिड गे | चोमास्याँ का बखत था एर म्हारे स्कूल के गेट एर सड़क के बीच में ३० मी. कच्चा ईंटा का रास्ता था | चोमास्याँ में ऊ पर के पानी ना उतरे जयां तें उपे पुलिया बना दिया करदे आये साल | जो लाकडी के तख्त्याँ की होया करदी एर उन तख्त्याँ के तले ईंट ला दंदे | तो हाम ने एक पलान बनाई | जब उनके एक्साम ख़तम होवन में १०-१५ मिनट रहली जब हाम ने उन तख्तायाँ के तले की ईंट ई ढाल खिसका दी अक ऊपर के कोए ऊतरे तो वे तख्ते अन्बलंस हो कें पानी में ढह पड़ें | एर जब वे आये तो उनमे जो घने माचेण लागरे थे एर आगे थे वे ३-४ जाने सुधाँ साईकलां पानी में एर वे तले एर उनके साईकल ऊपर | उनकी पेड़ (पर्चे लीखन की ) पानी में बह्न्दी गई | सारे छोरे-छोरीया के पेट फूट गे हान्स हान्स कें | फेर बाकी के पपर उनने बोल-बाल्याँ ने दिए| उनकी सारी सटाइल पानी में बह गी |