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Thread: अमर हुतात्मा भक्त फूल सिंह

  1. #1

    अमर हुतात्मा भक्त फूल सिंह

    हरयाणा में नारीशिक्षा के प्रचार प्रसार का श्रेय भक्त फूल सिंह को जाता है |उनका जन्म जिला रोहतक के ग्राम माहरा में सन १८८५ में हुआ | आपके पिता एक साधारण किसान थे | आठ वर्ष की अवस्था में आपको पास के गाँव में प्रारम्भिक शिक्षा के लिए भेजा | बाल्यकाल से ही आपमें सेवाभाव, सरलता, सदाचार, और निर्भयता आदि के गुण थे | शिक्षा के बाद आप पटवारी बने |समाज सेवा की धुन सिर पर स्वर थी , अतः नौकरी से त्यागपत्र दे दिया | अब आप सारा समय आर्यसमाज के प्रचार प्रसार में लगाने लगे | आपने त्यागपत्र देने के बाद एक बड़ी पंचायत बुलवाई और उसमे रिश्वत की सारी राशि लौटा दी |भक्त जी कन्याओ की शिक्षा के लिए विशेष चिंतित थे , अतः १९३६ में खानपुर के जंगल में कन्या गुरुकुल की स्थापना की |इस गुरुकुल में आज अनेक विभाग हैं जैसे - कन्या गुरुकुल , डिग्री कॉलेज , आयुर्वेदिक कॉलेज, बी-एड आदि |सन १९३७-३८ में लाहौर में कसाईखाना बंद करने में आपका प्रमुख योगदान था | हैदराबाद रियासत के आर्यासत्याग्रह में आपने ७०० सत्याग्रही हैदराबाद भेजे | जिला हिसार के मोठ नामक स्थान के चमार बंधुओ ने कुआं बनवाना आरम्भ किया | मुसलमानों ने इसका विरोध किया | मोठ के चमार बंधु निराश होकर भक्त जी के पास आये और अपनी कष्ट भरी गाथा सुनाई| भक्त जी ने उन्हें कुआं बनवाने का आश्वासन दिया और १ सितबर १९४० को मोठ पहुँच गए | उन्होंने लगातार तीन दिनों तक गाँव के मुसलमानों को समझाया | मुसलमानों पर उनकी बातों का कुछ भी प्रभाव नहीं पडा | भक्त जी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया और कहा "कुआं बनने पर ही अन्नग्रहण करूँगा, अन्यथा यहीं प्राण त्याग दूंगा |" मुसलमानों ने भक्त जी को तीन चार दिन बाद उठा कर जंगल में फेंक दिया |भक्त जी बच गए और पुनः २३ दिन के उपवास के बाद उन्हें अपने कार्य में सफलता मिल गई | कुआं बना और चमार बंधुओं की पानी की समस्या हल हो गई | विश्व वंद्य महात्मा गांधी जी ने उपरोक्त घटना के विषय में जब सूना तो बहुत प्रसन्न हुए और भक्त जी से मिलने की इच्छा प्रकट की | भक्त जी दिल्ली आये और बापू से लगभग डेढ़ घंटे तक वार्तालाप चला | बापू ने भक्त जी से कहा , "आप आर्यसमाज को छोड़कर मेरे कार्यक्रम के अनुसार कार्य कीजिये | समय-समय पर मैं आपको यथाशक्ति मदद देता रहूँगा , इससे आप देश की अधिक सेवा कर सकेंगे |" भक्त जी ने निश्छल भाव से कहा -" महात्मा जी मैं आपकी सब आज्ञाओं को मानने को तैयार हूँ परन्तु आर्यसमाज को नहीं छोड़ सकता क्योंकि ऋषि दयानंद और आर्यसमाज तो मेरे रोम रोम में राम चुके हैं |"
    भक्त जी ने सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए कई बार आमरण अनशन किये और अपनी पत्रिक संपत्ति तक बेच कर सामजिक कार्यों में लगा दी | १४ अगस्त १९४२ को चार धर्मांध मुसलमानों ने गोली मारकर हत्या कर दी |ऐसे त्यागी, कर्मनिष्ठ और सर्वत्यागी संत को शत-शत नमन !!

  2. #2
    Great visionary.. He opened Kanya Gurkul also. He stressed on woman education.

  3. #3
    "Mahara" village, the birthplace of Bhakt Phool Singh, is now in Sonipat district. Can someone verify his gotra? This village is a "Malik" gotra one. This information would be helpful in creating a page on Bhakt Phool Singh at Jatland Wiki.
    तमसो मा ज्योतिर्गमय

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