स्वामी स्वतान्त्रनंद जी का जन्म सन १८७७ में पंजाब प्रान्त के लुधियाना जिले के मोहि गाँव में एक जात सिख परिवार में हुआ था उनके पिता सरदार भगवान् सिंह सेना में सूबेदार थे |केवल १५ वर्ष की आयु में आपने गृहत्याग कर दिया और देशाटन के लिए निकल पड़े | स्वामी पूर्णानंद जी से आपने संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी प्राणपुरी नाम धारण किया | दीक्षा के समय आपकी आयु केवल २३ वर्ष थी |स्वतंत्र प्रकृति के होने के कारण आपका नाम स्वामी स्वत्न्त्रानंद हो गया | आप देशाटन के वक्त केवल एक बाल्टी रखते थे इससे आपको लोग बाल्टी बाबा भी कहते थे |आर्ष साहित्य के संपर्क में आने पर आपका जीवन पूर्णतया बदल गया | स्वामी जी आर्य सत्याग्रह हैदराबाद के संचालक रहे और इस आन्दोलन को सफलता पूर्वक सिरे पहुँचाया और तभी से आपको आर्य जगत का फील्ड मार्शल कहा जाने लगा |स्वाधीनता संग्राम में सेना में विद्रोह फैलाने के आरोप में वायसराय के आदेश से बंदी बनाये जाने वाले वो अकेले सन्यासी थे |वे ऐसे अद्वितीय सन्यासी महात्मा थे जिन पर 'भारत छोडो आन्दोलन ' में पंजाब के गवर्नर की हत्या का भी दोषारोपण करके अमानुषिक यातनाएं दी गई |