इब्ब पछली फ़रवरी में में गाम में गया था ३-४ दिन खातर | एक वाने में जाना था | ऊँ तो आई बरिया में किस्से रिश्तेदार की गाडी ले लिया करदा ,पर ईबके सबे के घरां में किम्मे ना किम्मे वाना था तो मन्ने गाडी मिली कोणी | में एर मेरी बड्डी साली रोहतक तें बस में चढ़ लिए सोनीपत खातर | बस जम्मा ठूकी पड़ी थी | बस में स्पोर्ट्समेन कद पे इंडिया लिखे होड़े , कमांडो एर घने सारे जवान मानस भी बेठे थे सिट्टाआं पे | एर घने सारे बूढ़े -बूढी एर बाल्कां आली लुगाई कड़ी थी | म्हारे बर्गे कईया ने कही भी रे ऊठ ल्यो पर कालू पुर चोकी ताहि एक भी बन्दा खड्या कोणी होया | लगभग एक घंटे का सफ़र था | माने नु सोची अक रे ये किस्से स्पोर्टस में सें एर किस्से कमांदी -एर सिपाही से जो आपने बूढ़े-बूढी लूगाइयां नु भी सीट देवन नु तैयार कोणी | इतना संस्कर्तिक पतन हरयाना का मन्ने पहली बार देख्या | एर या बात मन्ने घणी भुंडी लागी |