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Thread: A View on Gandhi

  1. #221
    I agree with you,gandhi is the only person who want nehru as our PM ,even congress party members also dont want nehru as pm but one person mr. gandhi want him and he became our first PM,from that point of time we are suffering from congress party's decisions and there work.
    e.g.:-
    1.Reservation,
    22Mid day meal,
    3.Education fee and other reimbursement for St/Sc/Bc and other reserved class people,They get 50 thousand Rs per Annam during the Engineering education and they pay only 15000/- as fee so net income of a student is Rs 35000/-,student income,not expenses.General Category student pay for his books,tution,And annual fee is Rs 125000/-,total expenses per annam is more than 170000/-,so net diff is 205000/-.and they are poor people.Unka soshan hota ha.
    4.2 G ghotala
    5.chara ghotala,
    6.Koyala ghotala,etc etc ghotala,jo mila wahi kha gaye,bandwidth tak nhi chode inho ne.
    7.Bahar ki mahila Raj kar rahi hum par phir sa bas diff. ya ha pahle hum jabardaste sa gulam tha aaj hum apni marji sa mulam ha,adat ho gayi ha hamme gulami karne ki.
    sab gandhi ki daane ha or hum kahte ha baapu unha.
    The joke of the country
    jindagi jiyo is thare se ke khud se najare mila sako.....................
    najare tab mila sako jab jat community ko upper utha sako..................

  2. The Following User Says Thank You to sandeepnehra86 For This Useful Post:

    rajpaldular (September 13th, 2013)

  3. #222
    गाँधी ने अपने पुरे जीवन में एक काम पूरी ईमानदारी से किया था :-
    और वो काम था हम भारतियों को अहिंसक बना कर अंग्रेजों के हाथो मरवाने का ||

    60 हज़ार अंग्रेजों ने 13 लाख से ज्यादा भारतियों को इसी अहिंसा के चलते चुन चुन कर मार दिया था और इसी अहिंसा के चलते गाँधी ने कहा था भले ही पाकिस्तान से हमारे हिन्दुओं की कितनी भी लाशें ट्रेनों में भरकर आये भारत में एक भी मुसलमान की लाश नहीं गिरनी चाहिएं तब 7.5 लाख हिन्दू अहिंसा की भेट चढ़ गए | इसी अहिंसा के चलते गांधी ने दिल्ली की मस्जिदों में शरण लिए हुए पाकिस्तान से आये हिन्दू सिख भाइयों को पुलिस से लाठियां खिलवा कर बाहर फिकवा दिया था क्योकि गाँधी का कहना था पकिस्तान अब मुसलमानों का है वहां के मंदिर टूटते है तो टूट जाए मगर भारत की मस्जिदों पर हिन्दुओं का तावा (अधिकार) नहीं रहना चाहिए ||

    दे दी हमें बर्बादी बिना खडग बिना ढाल साबरमती के कंस तूने कर दिया कमाल ||
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  4. #223
    कल का न्यूज़ पेपर जब आप पढेंगे तो उसमे केवल और केवल गाँधी ही दृष्टिगोचर होगा। , लाल बहादुर शास्त्री जी को एक कोने में स्थान दिया जायेगा।

    और शास्त्री जी के साथ कैसा व्यवहार है कांग्रेस का?


    अब तो हमारे पास सोशल मीडिया है और हम किसी भी न्यूज़ के लिए बिकाऊ मीडिया के मोहताज़ नहीं हैं।


    तो आओ मनाये केवल और केवल लाल बहादुर शास्त्री जयंती।


    गाँधी के लिए आप चिंता ना करें उसके लिए कांग्रेस पार्टी है ना।


    देखते है आप कितना साथ देते हैं?


    जय जवान जय किसान।
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  5. #224
    इतिहास का एक पन्ना जिसे हटा दिया गया है !!!!!


    गाँधी को गोखले दक्षिणी अफ्रीका से भारत ले कर आये थे, गोखले जो ब्रिटिश सरकार के सलाहकार थे , अपने बाद गाँधी को उतराधिकारी बनाना चाहते थे ,( $ गाँधी ने भारत आने से पूर्व में ब्रिटिश की और से ज़ुल्लू , बोअर्स और इंग्लैंड में प्रथम महायुद्ध में भाग ले कर अपनी स्वामी भक्ति ब्रिटिश सरकार और क्राउन के प्रति अपनी निष्ठा बार बार व्यक्त कर चुके थे $) , ब्रिटिश सरकार नहीं चाहती थी कि तिलक के बाद सावरकर उनके उतराधिकारी बने , इसीलिए तिलक और सावरकर को मांडले और कालेपानी (अंडमान) भेजा ताकि गाँधी अपने पाँव भारत में जमा सके l
    ($) इस लेख के कोष्टक के अंश गाँधी जी की पुस्तक सच से साक्षात्कार पर आधारित है l
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  6. #225
    23 मार्च 1931 को शहीद-ए-आजम भगतसिंह को फांसी के तख्ते पर ले जाने वाला पहला जिम्मेवार सोहनलाल वोहरा हिन्दू की गवाही थी ।
    यही गवाह बाद में इंग्लैण्ड भाग गया और वहीं पर मरा । शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी गांधी ने कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए ।’’ और आगे कहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है । वहीं इसका परिणाम गुंडागर्दी का पतन है । फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे ।”
    अर्थात् गांधी की परिभाषा में किसी को फांसी देना हिंसा नहीं थी । इसी प्रकार एक ओर महान् क्रान्तिकारी जतिनदास को जो आगरा में अंग्रेजों ने शहीद किया तो गांधी आगरा में ही थे और जब गांधी को उनके पार्थिक शरीर पर माला चढ़ाने को कहा गया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए कुर्बान करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे अहिंसावादी गांधी । जब सन् 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा मनोनीत सीताभिरमैया के मध्य मुकाबला हुआ तो गांधी ने कहा यदि रमैया चुनाव हार गया तो वे राजनीति छोड़ देंगे लेकिन उन्होंने अपने मरने तक राजनीति नहीं छोड़ी जबकि रमैया चुनाव हार गए थे।
    इसी प्रकार गांधी ने कहा था, “पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा” लेकिन पाकिस्तान उनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी । इससे भी बढ़कर गांधी और कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का समर्थन किया तो फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी या लड्डू बंट रहे थे ? पाठक स्वयं बतलाएं ? गांधी ने अपने जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रहद्) चलाए और तीनों को ही बीच में वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि आजादी गांधी ने दिलवाई ।इससे भी बढ़कर जब देश के महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो गांधी ने उन्हें पागल कहा इसलिए नीरद चौ० ने गांधी को दुनियां का सबसे बड़ा सफल पाखण्डी लिखा है । इस आजादी के बारे में इतिहासकार सी. आर. मजूमदार लिखते हैं – “भारत की आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना सच्चाई से मजाक होगा । यह कहना उसने सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी । इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन सभी क्रान्तिकारियों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया ।” यदि चरखों की आजादी की रक्षा सम्भव होती है तो बार्डर पर टैंकों की जगह चरखे क्यों नहीं रखवा दिए जाते ...........??
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  7. #226
    Quote Originally Posted by rajpaldular View Post
    23 मार्च 1931 को शहीद-ए-आजम भगतसिंह को फांसी के तख्ते पर ले जाने वाला पहला जिम्मेवार सोहनलाल वोहरा हिन्दू की गवाही थी ।
    यही गवाह बाद में इंग्लैण्ड भाग गया और वहीं पर मरा । शहीदे आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी गांधी ने कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए ।’’ और आगे कहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है । वहीं इसका परिणाम गुंडागर्दी का पतन है । फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे ।”
    अर्थात् गांधी की परिभाषा में किसी को फांसी देना हिंसा नहीं थी । इसी प्रकार एक ओर महान् क्रान्तिकारी जतिनदास को जो आगरा में अंग्रेजों ने शहीद किया तो गांधी आगरा में ही थे और जब गांधी को उनके पार्थिक शरीर पर माला चढ़ाने को कहा गया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए कुर्बान करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे अहिंसावादी गांधी । जब सन् 1937 में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नेताजी सुभाष और गांधी द्वारा मनोनीत सीताभिरमैया के मध्य मुकाबला हुआ तो गांधी ने कहा यदि रमैया चुनाव हार गया तो वे राजनीति छोड़ देंगे लेकिन उन्होंने अपने मरने तक राजनीति नहीं छोड़ी जबकि रमैया चुनाव हार गए थे।
    इसी प्रकार गांधी ने कहा था, “पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा” लेकिन पाकिस्तान उनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी । इससे भी बढ़कर गांधी और कांग्रेस ने दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का समर्थन किया तो फिर क्या लड़ाई में हिंसा थी या लड्डू बंट रहे थे ? पाठक स्वयं बतलाएं ? गांधी ने अपने जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रहद्) चलाए और तीनों को ही बीच में वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि आजादी गांधी ने दिलवाई ।इससे भी बढ़कर जब देश के महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो गांधी ने उन्हें पागल कहा इसलिए नीरद चौ० ने गांधी को दुनियां का सबसे बड़ा सफल पाखण्डी लिखा है । इस आजादी के बारे में इतिहासकार सी. आर. मजूमदार लिखते हैं – “भारत की आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना सच्चाई से मजाक होगा । यह कहना उसने सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी । इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन सभी क्रान्तिकारियों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया ।” यदि चरखों की आजादी की रक्षा सम्भव होती है तो बार्डर पर टैंकों की जगह चरखे क्यों नहीं रखवा दिए जाते ...........??
    Friend,

    Let history remain history as it is rightly called double edged sword. So twisting of history to suit oneself is as dangerous as not reporting the facts. There is enough space which could be rightly allotted to the Revolutionaries and Moderates both in the history of India. Leaders of both the streams played their sterling roles by treading on their chosen path to achieve the same goal i.e. liberating India from the fetters of the British imperialism. Criticism of one or the other shade of leaders by selecting quotes/half quotes and out of reference talks must be avoided as much as possible.

    For example I cite two three quotes from your post to prove the twisting of history.

    This is wrong to say that Gandhiji on the court case against Shahid-i-Azam had pleaded with the British that :" फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे ।”

    Kindly see Gandhi-Irwin correspondence on the issue where Gandhiji pleaded with the Governor General-cum-Viceroy to Postpone decision on the issue at least till the time the All India Congress Session at Karachi was held, otherwise, he expressed the fear that the black shadow of the decision would caste its spell on the proceedings of the meeting.

    Rather Gandhiji on learning about announcement of the Government decision was taken aback as he believed that the British will not disappoint him.

    Contrary to your saying, the Congress did not cooperate or join war efforts of the British during World War II.

    Regards and thanks


    Note:C R Majumdar--who ? Kindly name the book and its full reference about author, C R Majumdar, from which you have taken last quote of the post on AAZADI so that cross check of the statement could be made .

    Last edited by DrRajpalSingh; October 2nd, 2013 at 12:34 PM.
    History is best when created, better when re-constructed and worst when invented.

  8. #227






    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  9. #228
    कांग्रेस ने गांधी को सम्मान देने के लिए चरखे वाले ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज बनाया। प्रत्येक अधिवेशन मेँ प्रचुर मात्रा मेँ ये ध्वज लगाये जाते थे । इस ध्वज के साथ कांग्रेस का अति घनिष्ट सम्बन्ध था। नोआख्याली के 1946 के दंगोँ के बाद वह ध्वज गांधी की कुटिया पर भी लहरा रहा था, परन्तु जब एक मुसलमान को ध्वज के लहराने पर आपत्ति हुई तो गांधी ने तत्काल उसे उतरवा दिया। इस प्रकार लाखोँ - करोडोँ देशवासियोँ की इस ध्वज के प्रति श्रद्धा को गांधी ने अपमानित किया। केवल इसलिए की ध्वज को उतारने से एक मुसलमान खुश होता थ!
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  10. #229
    घुपति राघव राजा राम इस भजन का नाम है.."राम धुन" जो कि बेहद लोकप्रिय भजन था.. महात्मा गाँधी ने इस में परिवर्तन करते हुए अल्लाह शब्द जोड़ दिया..
    आप भी नीचे देख लीजिए..असली भजन और महात्मा गाँधी द्वारा बेहद चालाकी से किया गया परिवर्तन.. महात्मा गाँधी का भजन रघुपति राघव राजाराम,
    पतित पावन सीताराम
    सीताराम सीताराम,
    भज प्यारे तू सीताराम
    ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
    सब को सन्मति दे भगवान
    *असली राम धुन भजन
    रघुपति राघव राजाराम
    पतित पावन सीताराम
    सुंदर विग्रह मेघश्याम गंगा तुलसी शालग्राम भद्रगिरीश्वर सीताराम भगत-जनप्रिय सीताराम जानकीरमणा सीताराम
    जयजय राघव सीताराम
    अब सवाल ये उठता है, की मोहन दास करमचंद गाँधी को ये अधिकार किसने दिया की हमारे हिंदुत्व पर उंगली उठा दे.. हमारे श्री राम को सुमिरन करने के भजन में ही अल्लाह को घुसा दे.. क्या वो खुद को ही भगवान समझता था? या भगवान से भी उपर..?
    अल्लाह का हमसे क्या संबंध? क्या अब हिंदू अपने ईष्ट देव का ध्यान भी अपनी मर्ज़ी से नही ले सकता..? क्या ज़रूरत थी अल्लाह को हमारे भजन के बीच में घुसाने की???
    कितना नीच एवं कलंकित कार्य किया..इस व्यक्ति ने.. अगर आज ये जिंदा होता तो हमारे क्रोध का शिकार हो गया होता।
    और जिस भी व्यक्ति को हमारी बात से कष्ट हुआ हो..वो इसी भजन को अल्लाह शब्द वाला संस्करण ज़रा किसी मस्जिद मे चलवा कर दिखा दे.. फिर हमसे कोई
    गीला शिकवा करे ।
    मज़ाक बना के रख दिया है..मेरे धर्म का इन कलयुग के राक्षस रूपी पाप आत्माओं ने। अब और नही सहा जाएगा.
    क्या आप सह पाएँगे?
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  11. #230
    Quote Originally Posted by DrRajpalSingh View Post
    Friend,

    Let history remain history as it is rightly called double edged sword. So twisting of history to suit oneself is as dangerous as not reporting the facts. There is enough space which could be rightly allotted to the Revolutionaries and Moderates both in the history of India. Leaders of both the streams played their sterling roles by treading on their chosen path to achieve the same goal i.e. liberating India from the fetters of the British imperialism. Criticism of one or the other shade of leaders by selecting quotes/half quotes and out of reference talks must be avoided as much as possible.

    For example I cite two three quotes from your post to prove the twisting of history.

    This is wrong to say that Gandhiji on the court case against Shahid-i-Azam had pleaded with the British that :" फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे ।”

    Kindly see Gandhi-Irwin correspondence on the issue where Gandhiji pleaded with the Governor General-cum-Viceroy to Postpone decision on the issue at least till the time the All India Congress Session at Karachi was held, otherwise, he expressed the fear that the black shadow of the decision would caste its spell on the proceedings of the meeting.

    Rather Gandhiji on learning about announcement of the Government decision was taken aback as he believed that the British will not disappoint him.

    Contrary to your saying, the Congress did not cooperate or join war efforts of the British during World War II.

    Regards and thanks


    Note:C R Majumdar--who ? Kindly name the book and its full reference about author, C R Majumdar, from which you have taken last quote of the post on AAZADI so that cross check of the statement could be made .

    Dr sahab, you being historian, you must be knowing that our history of efforts of independence was totally changed by nehru, secondly every body knows that gandhi always sided britishers, what ever rajpaldular has written, is correct and gandhi desrve much more blame, neither he was a good person nor a leader, many old people in gujarat say that he was son of Muslim and supported a mu-gal nehru. but nothing can be done at this stage, except bringing truth in front of people

  12. The Following User Says Thank You to Fateh For This Useful Post:

    rajpaldular (September 26th, 2014)

  13. #231
    अच्छा होता कि मोहनदास करमचंद गाँधी की विरासत का सम्यक मूल्यांकन करके उन के विचार व कर्म से दूध और पानी अलग कर के लाभ उठाया जाता। तब उन के महान कार्यों के साथ-साथ भयंकर गलतियों से भी सीख ले कर हम आगे बढ़ सकते थे।
    क्या आपने कभी नोट किया है कि कश्मीर, पंजाब और बंगाल में गाँधी को चाहने वाले दीपक लेकर खोजने से भी शायद ही मिलें! क्यों?गाँधी का जयकारा वहीं होता है जहाँ जयकारे करने वाला बुद्धिजीवी, नेता या प्रवचनकर्ता मजे से शांति, सुरक्षा के वातावरण में रह रहा हो।मुसलमान तो कभी इस भ्रम में पड़ नहीं सकते। उदार, सज्जन मुसलमान भी। क्योंकिउन का मजहब यह सब मानने की इजाजत ही नहीं देता। रुशदी से लेकर तसलीमा तक किसी का हश्र देख लीजिए। निरी उपेक्षा के रूप में अपने निवर्तमान राष्ट्रपति कलाम का भी हाल देखें। उन्हें कौन मुसलमान पूछता है!सेक्यूलरिज्म की राजनीति अंततः हिन्दू-विरोध की राजनीति का ही दूसरा नाम बन गई। सेक्यूलरिज्म की राजनीति अथवा गाँधीगिरी केवल हिन्दू जनता के बीच की जाती है। मुस्लिम जनता के बीच हरेक दल इस्लाम-परस्ती की ही प्रतियोगिता करता है, ताकि वोट मिलें। यही वोट-बैंक की राजनीति या सेक्यूलर राजनीति है।
    भारत में वोट-बैंक राजनीति की लालसा के पहले शिकार मोहनदास करमचंद गाँधी थे। तुर्की के खलीफा की सत्ता बचाने के लिए हुए ‘खिलाफत जिहाद’ (एनी बेसेंट के शब्द) में भारतीय मुस्लिमों ने जबर्दस्त भागीदारी की। यह सन् 1916-20 की बात है। गाँधी उस संगठित, विशाल संख्या से मोहित हो गए। तुर्की में खलीफा रहे या जाए, इस से भारतीय हितों का दूर से भी संबंध न था। अतः खिलाफत नेताओं को भी कांग्रेस समर्थन की अपेक्षा न थी। दोनों की दो दिशा थी। एक तुर्की के लिए विश्व-इस्लामी आंदोलन था। जबकि कांग्रेस विदेशी शासकों से कुछ सुधारों की माँग कर रही थी। इसीलिए जब गाँधी ने खिलाफत से कांग्रेस को जोड़ना चाहा तो मोतीलाल नेहरू को छोड़कर कोई उन के साथ न था।यह संदेह खुली चर्चा में था, जिस पर एनी बेसेंट, लाला लाजपत राय, रवीन्द्रनाथ टैगोर, श्रीअरविन्द आदि अनेक मनीषियों ने भी सार्वजनिक चिंता प्रकट की थी। अतः अनेक कारणों से खलीफत आंदोलन के समर्थन का विरोध था।खलीफत खत्म होने पर पहले तो यहाँ मुसलमानों ने कई स्थानों पर अपना क्रोध हिन्दुओं पर उतारा। मौलाना आजाद सुभानी जैसे कई मुस्लिम नेता अंग्रेजों से भी बड़ा दुश्मन ‘बाईस करोड़ हिन्दुओं’ को मानते थे। जिस तुर्की खलीफा को स्वयं उसके अपने देशवासियों ने सत्ताच्युत किया, उसके रंज में केरल में मोपला मुसलमानों ने हिन्दुओं का कत्लेआम, जबरन धर्मांतरण, मंदिरों का ध्वंस और वीभत्स अत्याचार किए।गाँधीजी ने उसकी भर्त्सना के बजाए कहा कि “मुस्लिम भाइयों ने वह किया जो उन का धर्म उन्हें कहता है”
    यही तो वोट-बैंक राजनीति है! गाँधी के प्रियतम जवाहरलाल नेहरू ने भी अपनी आत्मकथा में लिखा है कि गाँधीजी,“वह सब मानने के लिए तैयार रहते थे जो मुसलमान माँगें। वह उन्हें जीतना चाहते थे।”लंदन में गोल-मेज कांफ्रेंस (1931) में यह खुल कर आया जब गाँधी ने कांग्रेस को हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों की प्रतिनिधि बताने की कोशिश की।स्वामी श्रद्धानंद जैसे महान सपूत की हत्या करने वाले को अपना ‘भाई’ कहा, जैसे बाद में कलकत्ता में पाँच हजार हिन्दुओं का कत्लेआम कराने वाले सुहरावर्दी को भी।वही मोहनदास गाँधी कभी चंद्रशेखर आजाद, चंद्रसिंह गढ़वाली, भगत सिंह, मदनलाला ढींगरा और ऊधम सिंह जैसे महान सूपतों को भी भाई नहीं कहते थे।
    डॉ. अंबेदकर के अनुसार गाँधीजी ने हिन्दुओं के विरुद्ध मुस्लिमों द्वारा किए गए किसी अत्याचार, हिंसा और हत्याओं पर कभी एक शब्द न कहा। डॉ. अंबेदकर के शब्दों में, “मुसलमानों की राजनीतिक माँगें हनुमानजी की पूँछ की तरह बढ़ती जाती हैं।” उन्हें पूरा करते जाने के चक्कर में गाँधी ने देश का विभाजन तक करा लिया।
    वोट-बैंक राजनीति के पहले शिकार गाँधी थे। देश की हानि के सिवा इस राजनीति ने कभी कुछ नहीं दिया है।उस दौरान अनेकानेक नेताओं, मनीषियों ने गाँधी को चेतावनी दी थी। पर वह उस मोह से उबर नहीं सके। जब गाँधी जैसे व्यक्ति उस से पिट गए तब लालू, मुलायम, चंद्र बाबू और वाजपेयी आदि को उस से क्या मिलना था!..
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  14. #232

  15. The Following User Says Thank You to sanjeev_balyan For This Useful Post:

    cooljat (January 26th, 2015)

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