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Thread: Ch. Ramsahai of Sarvakhap Panchayat (13th Century)

  1. #1

    Ch. Ramsahai of Sarvakhap Panchayat (13th Century)

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    चौधरी रामसहाय - पंचायत के अनूठे, ऐतिहासिक पंच

    यह घटना सन् 1270-1280 के बीच की है । दिल्ली में बादशाह बलबन का राज्य था । उसके दरबार में एक अमीर दरबारी था जिसके तीन बेटे थे । उसके पास उन्नीस घोड़े भी थे । मरने से पहले वह वसीयत लिख गया कि इन घोड़ों का आधा हिस्सा बड़े बेटे को, चौथाई हिस्सा मंझले को और पांचवां हिस्सा सबसे छोटे बेटे को बांट दिया जाये ।

    बेटे उन 19 घोड़ों का इस तरह बंटवारा कर ही नहीं पाये और बादशाह के दरबार में इस समस्या को सुलझाने के लिए अपील की । बादशाह ने अपने सब दरबारियों से सलाह ली पर उनमें से कोई भी इसे हल नहीं कर सका ।

    उस समय प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो बादशाह का दरबारी कवि था । उसने हरयाणा के लोगों की वीर भाषा को समझाने के लिए एक पुस्तक भी बादशाह के कहने पर लिखी थी जिसका नाम “खलिक बारी” था । खुसरो ने कहा कि मैंने हरयाणा में खूब घूम कर देखा है और पंचायती फैसले भी सुने हैं और सर्वखाप पंचायत का कोई पंच ही इसको हल कर सकता है ।

    नवाब के लोगों ने इन्कार किया कि यह फैसला तो हो ही नहीं सकता पर परन्तु कवि अमीर खुसरो के कहने पर बादशाह बलबन ने सर्वखाप पंचायत में अपने एक खास आदमी को चिट्ठी देकर सौरम गांव (जिला मुजफ्फरनगर) भेजा (इसी गांव में शुरू से सर्वखाप पंचायत का मुख्यालय चला आ रहा है और आज भी मौजूद है) ।

    चिट्ठी पाकर पंचायत ने प्रधान पंच चौधरी रामसहाय को दिल्ली भेजने का फैसला किया । चौधरी साहब अपने घोड़े पर सवार होकर बादशाह के दरबार में दिल्ली पहुंच गये और बादशाह ने अपने सारे दरबारी बाहर के मैदान में इकट्ठे कर लिये । वहीं पर 19 घोड़ों को भी लाइन में बंधवा दिया ।

    चौधरी रामसहाय ने अपना परिचय देकर कहना शुरू किया - “शायद इतना तो आपको पता ही होगा कि हमारे यहां राजा और प्रजा का सम्बंध बाप-बेटे का होता है और प्रजा की सम्पत्ति पर राजा का भी हक होता है । इस नाते मैं जो अपना घोड़ा साथ लाया हूं, उस पर भी राजा का हक बनता है । इसलिये मैं यह अपना घोड़ा आपको भेंट करता हूं और इन 19 घोड़ों के साथ मिला देना चाहता हूं, इसके बाद मैं बंटवारे के बारे में अपना फैसला सुनाऊंगा ।”

    बादशाह बलबन ने इसकी इजाजत दे दी और चौधरी साहब ने अपना घोड़ा उन 19 घोड़ों वाली कतार के आखिर में बांध दिया, इस तरह कुल बीस घोड़े हो गये । अब चौधरी ने उन घोड़ों का बंटवारा इस तरह कर दिया -

    - आधा हिस्सा (20 ¸ 2 = 10) यानि दस घोड़े उस अमीर के बड़े बेटे को दे दिये ।

    - चौथाई हिस्सा (20 ¸ 4 = 5) यानि पांच घोडे मंझले बेटे को दे दिये ।

    - पांचवां हिस्सा (20 ¸ 5 = 4) यानि चार घोडे छोटे बेटे को दे दिये ।

    इस प्रकार उन्नीस (10 + 5 + 4 = 19) घोड़ों का बंटवारा हो गया ।

    बीसवां घोड़ा चौधरी रामसहाय का ही था जो बच गया । बंटवारा करके चौधरी ने सबसे कहा - “मेरा अपना घोड़ा तो बच ही गया है, इजाजत हो तो इसको मैं ले जाऊं ?”

    बादशाह ने हां कह दी और चौधरी का बहुत सम्मान और तारीफ की । चौधरी रामसहाय अपना घोड़ा लेकर अपने गांव सौरम की तरफ कूच करने ही वाले थे, तभी वहां पर मौजूद कई हजार दर्शक इस पंच फैसले से गदगद होकर नाचने लगे और कवि अमीर खुसरो ने जोर से कहा - “अनपढ़ जाट पढ़ा जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा”

    सारी भीड़ इसी पंक्ति को दोहराने लगी । तभी से यह कहावत सारे हरयाणा और दूसरी जगहों में फैल गई ।

    यहां यह बताना भी जरूरी है कि 19 घोड़ों के बंटवारे के समय विदेशी यात्री और इतिहासकार इब्न-बतूत भी वहीं दिल्ली दरबार में मौजूद था ।

    यह वृत्तांत सर्वखाप पंचायत के अभिलेखागार में मौजूद है ।


    * * * *

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    Last edited by dndeswal; June 17th, 2010 at 05:37 AM.
    तमसो मा ज्योतिर्गमय

  2. The Following User Says Thank You to dndeswal For This Useful Post:

    Sure (November 3rd, 2012)

  3. #2
    [QUOTE=dndeswal;247692].

    चौधरी रामसहाय - पंचायत के अनूठे, ऐतिहासिक पंच
    deshwal ji baat ot aapne bahot badhiyaa bataa di ,er yaa kahaawat kukar chaali thi nu bhi bataa di ,dhanyaawaad,par aap ne issaa ni laagtaa ak aaj kaal anpadh jat khudaa jesaa er padhaalikhaa jat -------------- key kahu likhnaa naa chaandaa .bahot gandaa sabad hey.
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

  4. The Following User Says Thank You to ravinderjeet For This Useful Post:

    Sure (November 3rd, 2012)

  5. #3
    Dhanayawaad Bhai Sahab, Bahut Badhiya Jaankaari Dee hai aapney padh ker man khush ho gaya abhi tak nahi pata tha kee yea kahavat kesey shuru hui.
    WORD IMPOSSIBLE SAYS I M POSSIBLE.

    Apologising dosent mean that U are wrong & the other is right.....It only means that U value the relationship much more than ur ego.

  6. The Following User Says Thank You to skarmveer For This Useful Post:

    Sure (November 3rd, 2012)

  7. #4
    Na Bhai saarey key eaksay hon hai kuch tey badhiya bhee hai or hai to apney bhai hee to kuchh galat to likhna hee nahi chahiyea. Yea abhi bhatak rahey hai baaki or kuchh na hai...[QUOTE=ravinderjeet;247709]
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
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    चौधरी रामसहाय - पंचायत के अनूठे, ऐतिहासिक पंच
    deshwal ji baat ot aapne bahot badhiyaa bataa di ,er yaa kahaawat kukar chaali thi nu bhi bataa di ,dhanyaawaad,par aap ne issaa ni laagtaa ak aaj kaal anpadh jat khudaa jesaa er padhaalikhaa jat -------------- key kahu likhnaa naa chaandaa .bahot gandaa sabad hey.
    WORD IMPOSSIBLE SAYS I M POSSIBLE.

    Apologising dosent mean that U are wrong & the other is right.....It only means that U value the relationship much more than ur ego.

  8. The Following User Says Thank You to skarmveer For This Useful Post:

    Sure (November 3rd, 2012)

  9. #5
    [QUOTE=skarmveer;247712]Na Bhai saarey key eaksay hon hai kuch tey badhiya bhee hai or hai to apney bhai hee to kuchh galat to likhna hee nahi chahiyea. Yea abhi bhatak rahey hai baaki or kuchh na hai...



    karmveer bhaai ye jo bhtakrey sein ye-a to purey samaaj ki badnaami kaa kaaran banrey se.aap saari post padhtey hogey, dekh lo ghaney toh ghaney roj 100 bandey regular aawey se. unn me tey 5-6 janey issey se ak har baat kaa virodh karey jaa sein , jaa aap unkey baap ney unkaa baap bataawo gey naa to ukaa bhi virodh karan laagjyaangey.
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

  10. The Following User Says Thank You to ravinderjeet For This Useful Post:

    Sure (November 3rd, 2012)

  11. #6
    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post

    karmveer bhaai ye jo bhtakrey sein ye-a to purey samaaj ki badnaami kaa kaaran banrey se.aap saari post padhtey hogey, dekh lo ghaney toh ghaney roj 100 bandey regular aawey se. unn me tey 5-6 janey issey se ak har baat kaa virodh karey jaa sein , jaa aap unkey baap ney unkaa baap bataawo gey naa to ukaa bhi virodh karan laagjyaangey.
    Haha thik kah s Ravinder.


    Baki badiya post s Deswal shaheb.
    Last edited by VirJ; June 16th, 2010 at 05:27 PM.
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

  12. #7
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
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    चौधरी रामसहाय - पंचायत के अनूठे, ऐतिहासिक पंच

    यह घटना सन् 1270-1280 के बीच की है । दिल्ली में बादशाह बलबन का राज्य था । उसके दरबार में एक अमीर दरबारी था जिसके तीन बेटे थे । उसके पास उन्नीस घोड़े भी थे । मरने से पहले वह वसीयत लिख गया कि इन घोड़ों का आधा हिस्सा बड़े बेटे को, चौथाई हिस्सा मंझले को और पांचवां हिस्सा सबसे छोटे बेटे को बांट दिया जाये ।
    Very interesting event and reveals the origin of the popular sayings for the Jats. Thanks to Deshwal uncle for sharing this.
    जिंदगी पथ है मंजिल की तरफ जाने का,
    जिंदगी नाम है तूफानों से टकराने का.
    मौत तो बस चैन से सो जाने की बदनामी है,
    जिंदगी गीत है मस्ती से सदा गाने का..

  13. #8

  14. #9
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
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    चौधरी रामसहाय - पंचायत के अनूठे, ऐतिहासिक पंच
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    Deswal Ji, Wonderful solution. Thanks for sharing.

  15. #10
    Wah ! Deshwal ji. Kya baat batai hay Apne.


  16. #11
    Aisa nahi socha karte, kuch tere jaise padhe likhe bhi to hai..., anpadh to waise hi is site par nahi aate honge...

    [QUOTE=ravinderjeet;247709]
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
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    चौधरी रामसहाय - पंचायत के अनूठे, ऐतिहासिक पंच
    deshwal ji baat ot aapne bahot badhiyaa bataa di ,er yaa kahaawat kukar chaali thi nu bhi bataa di ,dhanyaawaad,par aap ne issaa ni laagtaa ak aaj kaal anpadh jat khudaa jesaa er padhaalikhaa jat -------------- key kahu likhnaa naa chaandaa .bahot gandaa sabad hey.

  17. #12
    सौरम के चौ. रामसहाय की एक और परीक्षा ली गई थी जिसमें तीन वस्तुयें (1) भेड़िया (2) बकरी और (3) पाल्ला (झाड़ के सूखे पत्ते) लाई गईं थीं कि इनको एक नाव में एक ही वस्तु जमना पार ले जानी है । पीछे से बकरी को भेड़िया खा सकता है और पाल्ले को बकरी खा सकती है । शर्त यह थी कि तीनों को सुरक्षित एक-एक कर के जमना पार ले जाना है ।

    चौधरी रामसहाय ने इस समस्या को भी सुलझा दिया था । पहले वह अकेली बकरी को जमना पार छोड़ आया क्योंकि पीछे से भेड़िया पाल्ले को नहीं खा सकता । फिर खाली आकर दूसरी बार झाड़-पाल्ले को ले जाकर पार छोड़ दिया और बकरी को वापिस ले आया । इस बार बकरी को छोड़ अकेले भेड़िया को ले जाकर उस पार छोड़ दिया और अगली बार बकरी को भी ले गया ।

    दिल्ली दरबार में सर्वखाप पंचायत के प्रधान की बड़ी प्रशंसा हुई थी और तभी से विशाल हरयाणा में बकरी, भेड़िया और पाल्ले की कहानी चली आ रही है ।


    .
    तमसो मा ज्योतिर्गमय

  18. #13
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
    सौरम के चौ. रामसहाय की एक और परीक्षा ली गई थी जिसमें तीन वस्तुयें (1) भेड़िया (2) बकरी और (3) पाल्ला (झाड़ के सूखे पत्ते) लाई गईं थीं कि इनको एक नाव में एक ही वस्तु जमना पार ले जानी है । पीछे से बकरी को भेड़िया खा सकता है और पाल्ले को बकरी खा सकती है । शर्त यह थी कि तीनों को सुरक्षित एक-एक कर के जमना पार ले जाना है ।

    चौधरी रामसहाय ने इस समस्या को भी सुलझा दिया था । पहले वह अकेली बकरी को जमना पार छोड़ आया क्योंकि पीछे से भेड़िया पाल्ले को नहीं खा सकता । फिर खाली आकर दूसरी बार झाड़-पाल्ले को ले जाकर पार छोड़ दिया और बकरी को वापिस ले आया । इस बार बकरी को छोड़ अकेले भेड़िया को ले जाकर उस पार छोड़ दिया और अगली बार बकरी को भी ले गया ।

    दिल्ली दरबार में सर्वखाप पंचायत के प्रधान की बड़ी प्रशंसा हुई थी और तभी से विशाल हरयाणा में बकरी, भेड़िया और पाल्ले की कहानी चली आ रही है ।


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    सरजी, यूँ जान पड़ता है की चौधरी रामसहाय का यह फ़ॉर्मूला, केवल हरयाणा में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में विख्यात हो गया है | सी बिलो प्लीज़
    http://www.google.com/search?hl=en&s...l=&oq=&gs_rfai=

    ओन अ सीरियस नोट, इस समस्या को अल्कुइन की समस्या से जाना जाता है, जिसने आठवीं सदी में इसे छपा था
    http://www.maa.org/mathland/mathtrek_12_15_03.हटमल

  19. The Following User Says Thank You to kapdal For This Useful Post:

    Sure (November 3rd, 2012)

  20. #14
    Quote Originally Posted by dndeswal View Post
    सौरम के चौ. रामसहाय की एक और परीक्षा ली गई थी जिसमें तीन वस्तुयें (1) भेड़िया (2) बकरी और (3) पाल्ला (झाड़ के सूखे पत्ते) लाई गईं थीं कि इनको एक नाव में एक ही वस्तु जमना पार ले जानी है । पीछे से बकरी को भेड़िया खा सकता है और पाल्ले को बकरी खा सकती है । शर्त यह थी कि तीनों को सुरक्षित एक-एक कर के जमना पार ले जाना है ।

    चौधरी रामसहाय ने इस समस्या को भी सुलझा दिया था । पहले वह अकेली बकरी को जमना पार छोड़ आया क्योंकि पीछे से भेड़िया पाल्ले को नहीं खा सकता । फिर खाली आकर दूसरी बार झाड़-पाल्ले को ले जाकर पार छोड़ दिया और बकरी को वापिस ले आया । इस बार बकरी को छोड़ अकेले भेड़िया को ले जाकर उस पार छोड़ दिया और अगली बार बकरी को भी ले गया ।

    दिल्ली दरबार में सर्वखाप पंचायत के प्रधान की बड़ी प्रशंसा हुई थी और तभी से विशाल हरयाणा में बकरी, भेड़िया और पाल्ले की कहानी चली आ रही है ।


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    Thanks Deshwal Ji. Looks like such things are famous in all cultures as the below link suggest. This was also famous in africa.
    http://www.jstor.org/pss/2691506. The first written reference is from 9th century probably.

    The puzzle has been found in the various communities like the folklore of African-Americans, Cameroon, the Cape Verde Islands, Denmark, Ethiopia, Ghana, Italy, Russia, Romania, Scotland, the Sudan, Uganda, Zambia, and Zimbabwe.[2], pp. 26–27;[7]

    Probably these things got 'travelled' across borders by those travellors or warriors or migrants etc. May be thats y we and greek and many other called Chai as chai. Some claims the word was started by chinease.{Like the Prithvi Raj's story was never written (or may be written and we lost it and we have accepted a common version through the word of mouths)}. Who knows?

    Keep them coming!
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

  21. #15
    Hmmm.....seems like Chaudhary Ram Sahai was a well read man!!!
    Quote Originally Posted by kapil.dalal View Post
    सरजी, यूँ जान पड़ता है की चौधरी रामसहाय का यह फ़ॉर्मूला, केवल हरयाणा में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में विख्यात हो गया है | सी बिलो प्लीज़
    http://www.google.com/search?hl=en&s...l=&oq=&gs_rfai=

    ओन अ सीरियस नोट, इस समस्या को अल्कुइन की समस्या से जाना जाता है, जिसने आठवीं सदी में इसे छपा था
    http://www.maa.org/mathland/mathtrek_12_15_03.हटमल

  22. #16
    Pahley gunoodey they padhodey sayad kum they.




    Nothing is Impossible,
    Impossible takes a little longer than the Usual .










    http://narendersinghsangwan.wordpress.com
    http://diabetesmotherofall.wordpress.com
    http://maintainyourheart.wordpress.com
    http://waytopositivethinking.wordpress.com

  23. #17
    दस साल पहले (16 जून 2010 को) मैंने यह धागा शुरु किया था। यह कहानी जाटलैंड विकि के इस पेज पर भी मौजूद है - https://www.jatland.com/home/Anpadh_...at_Khuda_Jaisa


    इतने सालों में सूचना प्रौद्योगिकी का बहुत विस्तार हो चुका है। इस वेबसाइट से बहुत सारी सामग्री दूसरे लोगों ने अन्य वेबसाइट पर भी डाल दी है।


    इस दौरान यूट्यूब की लोकप्रियता भी खूब बढ़ चुकी है। इस धागे की कहानी किसी ने यूट्यूब पर डाल दी है - एक वीडियो के द्वारा। जो कुछ उसमें बताया गया है, वह इस धागे की भाषा की हूबहू नकल है। यह एक अच्छी बात है कि इस जाटलैंड विकि और फ़ोरम में मौजूद सूचनाओं का दूसरे लोग बखूबी प्रचार कर रहे हैं। यह अलग बात है कि वीडियो बनाने वाला कोई संदर्भ या reference नहीं देता कि उसने यह कहानी जाटलैंड साइट से पढकर यह वीडियो बनाया है । वीडियो नीचे देखिये -

    तमसो मा ज्योतिर्गमय

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