Rarely it happens that positive and socially uplifting decisions taken in a jat khap panchyats are highlighted. Off late there has been a hulla-bullo over 'few' decisions which were blown out of proportion by Jat/Non-Jat and others.
This thread will serve the purpose of cases, verdicts taken in a khap panchyat assinged and resolved matters. By now there is no such collection available here. Its a shame that we can't even tell someone that khap has contributed in resolving cases of uttermost importance. Reason is simple that we don't ve any such record.
Members are requested to contribute so that we atleast have a fine collecton of cases resolved.
I will be starting with such a case reported in local print media where Lakhlan khap was instrumental in resolving a matter of family bloodshed of years.
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बहल : पड़ोसी राजस्थान की सीमा पर पिछले एक दशक से रजिश में गूंजती बंदूक की गोलियों की गूंज अब हमेशा- हमेशा के लिए खामोश हो गई है और कल तक जो पक्ष एक-दूजे के खून के प्यासे थे वो सामाजिक परम्पराओं में बंध कर गले मिल गये है। इस रजिश में एक पक्ष ने जान का जोखिम भी उठा रखा है वहीं अनेक बार दोनों ओर से गोलियों से हमले भी हुए तथा हरियाणा व राजस्थान के पुलिस थानों में हत्या के प्रयासों के मामले भी दर्ज हुए है। इस रजिश में सुधीवास गाव के सगे चार भाइयों को आजीवन के कारावास की सजा भी जिला सत्र न्यायालय ने सुना रखी है फिर भी आज दोनों पक्षों ने एक स्वर अपना विरोध समाप्त कर सामाजिक परम्पराओं को मजबूती प्रदान करने के लिए मिसाल कायम की है। बहल खंड के गाव सुधीवास व राजस्थान के चुरू जिले की राजगढ़ तहसील के गाव खैरू बड़ी के दो परिवारों के बीच एक दशक से खूनी संघर्ष चला आ रहा था। इस संघर्ष में 14 नवम्बर 2003 की रात को खैरू बड़ी वासी सुमेर की मौत का इलजाम सुधीवास के सतवीर फौजी, मानसिंह, जागेराम तथा राजेश बंधुओं के नाम मृतक के भाई सतवीर व भतीजे सुनील ने बहल थाना में दर्ज मामले में हत्या करने का लगाया था। हत्या के आरोप में चारों भाइयों को कारावास भेज दिया गया। अभियोग चला व हत्या का आरोप साबित होने पर जिला सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी। इस बीच हाई कोर्ट चंडीगढ़ ने चारों भाइयों की जमानत मंजूर करते हुए मामले को सुनवाई के लिए विचाराधीन रख लिया। जमानत मिलने पर ये लोग बाहर आ गये और दोनों पक्षों के बीच खूनी संघर्ष प्रारम्भ हो गया। खैरू वासी भाई-भतिजों के खिलाफ बहल थाने में तीन मामले हत्या के प्रयासों के दर्ज हुए। वहीं खैरूवासी सतवीर,रणसिंह,सुनील,संदीप आदी ने राजगढ़ थाने में उपरोक्त चारों भाइयों सहित अन्यों पर भी हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करा दिया गया था। हाल ही में 18 नवम्बर की रात को होटल बालाजी पर बैठे मान सिंह की हत्या का विफल प्रयास हुआ, लिहाजा मानसिंह के बयान पर बहल पुलिस ने खैरूवासि बंधुओं पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया। इस बीच खैरू वासियों ने इस रजिश को खत्म करने के प्रयास आरम्भ कर दिये और दोनों पक्षों के नाते-रिस्तेदारों ने क्षेत्र की पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से फैसले के लिए दानों पक्षों के घर बैठ निपटाने की भूमिका तैयार की। इस भूमिका में राजस्थान हाई कोर्ट के सेवा निवृत जज हरीसिंह पूनिया,राजेन्द्र कालरी,आजाद सिंह खैरपुरा,पूर्व सरपंच सतपाल सिंह सुधीवास,सरपंच जिले सिंह,शशी बाक्सर,सोहन लाल मतानी,लाखलान खाप के प्रधान बलवीर सिंह मिट्ठी,कपिल शर्मा व भादर सैनी बहल के अथक प्रयासों ने इस रंजिश के अंकुरण को खत्म कर दिया। पहली पंचायत मृतक सुमेर फौजी के आगन में हुयी जिसमें सजायाफ्ता सभी भाइयों व गाव की पंचायत व खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने इस रजिश से पहले व बाद तथा भविष्य पर सवाल खड़े किये और इस संघर्ष में मारे गये सुमेर फौजी के बेटे व विधवा व सभी भाई शामिल थे ने पंचायत के प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया। तत्पश्चात दूसरी पंचायत सुधीवास गाव में मानसिंह के घर हुयी व पंचायत के प्रस्ताव पर सहर्ष स्वीकृति दे दी। दोनो पक्षों ने एक-दूजे के गले मिल रजिश को मात व गोलियों की गूंज को सदा सदा के लिए खामोश कर दिया। इस पंचायत में गणपत राम, शेरसिंह नम्बरदार, पूर्व चेयरमैन रतन सिंह गोकलपुरा, रामनिवास कोच, कै.सोहनलाल, पूर्व सरपंच रामस्वरूप ढ़ाणी खुड़ाणी व महाबीर बिराण, दरियासिंह खैरू, दाताराम पूनिया, जगराम, जयवीर फौजी, सुमेर, पप्पू, श्यामलाल शर्मा, पूर्णमल शर्मा, भगत होशियार सिंह वर्मा, नम्बरदार चंदगीराम धारवाणवास, जयनारायण पूनिया आदि भी शामिल थे। शामिल सभी पंच परमेश्वरों ने दोनो पक्षों को बधाई दी वहीं दोनों पक्षों ने मौजूद लोगों का आभार जताया।
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