वी पि सिंह जी
वैसे मेरा वृंदा करत के बारे में बहुत ज्यादा नहीं, पर कम से कम इतना जरूर जानता था की उसने ऐसा बहुत बड़ा कोई काम नहीं किया जितना आपने उन्हें महिमा मंडित किया है !
कुछ मामलों में उनका दृष्टिकोण और काम अच्छा रहा होगा, लेकिन जरुरी नहीं की वो जो भी कहती करती हैं ब्रह्म वाकया है !
वृंदा करत से कहीं ज्यादा काम जगमाती सांगवान ने हरियाणा में किया होगा महिलाओं के लिए, लेकिन सगोत्र विवहा के मामले पर उनके नजरिये ने उन्हें भी विलेन बना दिया !
फिर भी मैंने उनके बारे में जानने की कोशिश की है, मुझे ऐसा नहीं लगता की बहुत बड़ा पद या बिज़नस का त्याग कर पब्लिक लाइफ में आयी हों, और आम आदमी के लिए कोई बहुत बड़ा त्याग किया हो ?
http://en.wikipedia.org/wiki/Brinda_Karat
बाबा अगर, शिलाजीत या अन्य ताक़त की दवाई बनाते हैं और उनका प्रचार करते हैं , तब इसमें बुराई क्या है ? क्या आम आदमी का हक नहीं की वह भी ताक़त की दवाई खाए !
आओ, मूल विषय पर आयें! आप माने या न माने, इस आन्दोलन के सूत्रधार बाबा हैं, उन्नोहने कभी नहीं कहा की वो खुद इलेक्शन लड़ना चाहते हैं, या प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं !
अगर इच्छा है भी, तब इसमें बुराई क्या है ? आपने तर्क दिया है की बाबा को रजनीति, शाशन और ब्रबंधन का अनुभव नहीं है, पर क्या जिन लोगों को अनुभव है, जो आज सत्ता में हैं या पहले थे , उनके अनुभव ने देश को सही दिशा दी ? देश की इस दुर्दशा के जिमेदार भी वो अनुभवी राजनेता हैं !
बाबा आम आदमी के लिए काम कर रहे हैं, केवल इसका प्रचार कर श्रेय नहीं ले रहे ! कम से कम मुझे जितना पता है, ग्रामीण जीवन में सुधार के लिए उन्होंने एक प्रिक्रिया शुरू की है !
इसके बारे में कुछ तथ्य जुटा, आप के साथ शेयर जरुर करूँगा !
खुश रहो !