होनहार बिरवान के होत चिकने पात। इस कहावत को 14 वर्ष के एक दसवीं कक्षा के छात्र ने सही कर दिखाया है। कचरे से सामान इकट्ठा कर मात्र 100 रुपये खर्च कर हवा से बिजली पैदा कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया है। यह कर दिखाया है यमुनानगर के करतारपुर डेरा के एक गरीब परिवार में रहने वाला दीपक सैनी ने। दीपक ने गांव अलाहर के जनता आदर्श सत्यदेव सीनियर सेकेंडरी स्कूल में इस बार नौवीं की परीक्षा पास की है। दीपक ने बताया कि स्कूल में गत फरवरी के अंतिम सप्ताह में कंप्यूटर एजुकेशन विषय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें एक छात्र खिलौना कार लेकर आया था, जिसमें चाबी देने पर लाइट जलती थी। तभी उसने यह जानने की ठानी की लाइट कैसे जल रही है। वह इस संबंध में कई दिन तक सोचता रहा। एक दिन घर में आडियो सिस्टम की मोटर को घुमा कर उस पर एक छोटा इंडीकेटर जलाकर देखा जो वह जल गया। इसी से आइडिया लेकर उसने बिजली बनाने की सोची। दीपक ने बताया कि घर में उसके पास पुरानी मोटर का खोल पड़ा था। उसमें एक पाइप लगाया। घर में पड़े तांबे से इसके चक्कर बांधे और छत पर रख दिया। मोटर के एक तरफ गत्ते से पंख बनाकर लगाए और तेज गति से घुमा दिया। मोटर के दूसरे कोने पर इंडीकेटर लगाए, जो जल उठे। दीपक ने बताया कि मोटर के अंदर चुंबक लगाया गया है। मोटर घुमने पर तांबा चुंबकीय रेखाओं को काटता है, जिससे बिजली पैदा होती है। इस बारे में उसने अपने अध्यापक मोहित धीमान को बताया। उन्होंने इस पर खुशी जताते हुए स्कूल के चेयरमैन मुकेश शास्त्री को अवगत कराया। चेयरमैन ने दीपक का हौसला बढ़ाया और उन्हें आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। इसमें सुधार करते हुए दीपक ने मोटर में तांबे से 2200-2200 के तीन चक्कर लगाए जो छह से बारह वोल्ट तक बिजली पैदा करते हैं। दीपक ने बताया कि मोटर जितनी तेज चलेगी, हवा से उतनी ज्यादा बिजली पैदा होगी। उसने एक झोंपड़ी बनाई है जिसमें 12 इंडीकेटर लगाए हैं। इसे बनाने में डेढ़ महीना लगा। यह झोंपड़ी बनाने में उसके साथ अरुण राणा, सुमित शर्मा, विशाल राणा, अंकित शर्मा ने सहायता की। दीपक अब इस दिशा में काम कर रहा है कि हवा नहीं चलने पर भी मोटर घुमती रहे। दीपक का कहना है कि अगर उसकी खोज आगे बढ़ती है तो वह सबसे पहले स्कूल का बिजली कनेक्शन कटवा कर यहां एक संयंत्र लगाएगा।