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Thread: Jaat Ka Dharam Kya Hai ?

  1. #101
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    चूंकि अब ये साबित हो चुका है कि सिख धर्म पूरी तरह से गैर-जाट खत्री पंजाबियों द्वारा स्थापित किया गया धर्म है और सभी 10 के 10 सिख गुरु गैर-जाट खत्री पंजाबी थे, इसलिए जो भी जाट सिख धर्म को मानता है वो एक तरह से खत्री पंजाबियों की जय-जयकार कर रहा है. ऐसे में यदि कोई जाट सिख खत्री पंजाबियों में बैठता है तो उसे मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ सकती है. यदि उसे खत्री पंजाबी अपना गुलाम कह देंगे तो फिर उस जाट सिख के पास क्या जवाब होगा? क्या जाट दूसरों की गुलामी करने के लिए है? सिख बनकर वो एक तरह से खत्री पंजाबियों के नीचे आ गया है...
    सभी सिख जाटों को चाहिए कि वे खत्री पंजाबियों की गुलामी बंद करें और यदि खुद को हिंदू कहलाना न चाहें तो कोई बात नहीं...वे हनुमान को अपना गुरु मानना शुरू कर दें. हनुमान का न कोई जन्मस्थान बता सकता है और न ही धर्म...इस प्रकार हनुमान को मानने वाले जाटों को कोई भी मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं कर सकेगा...हनुमान को तो वैसे भी एक जाट ही माना जाता है, इसलिए जाटों को हनुमान को अपना इष्ट मानने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए...
    तो आ जाओ खुद को सिख मानने वाले बच्चो...जोर से नारा लगाओ...
    जय बजरंग बली...जय हनुमान...
    भाई उपेंदर सिंह लगता है आपने पूरी की पूरी पोस्टिंग नहीं पढ़ी इस तागे की | मैं आप की बात की बड़ी कद्र इसलिए करूँगा की जाट को आप सबसे उप्पर रख कर सोच रहे हो | फेर अगर आप हनुमान को पूज रहे हो, किसी पंडित ने यो कह दिया अक तेरे को क्या पता कैसे हनुमान को कैसे खुश किया जाता है | क्या कहोगे, ये ही बात इस सारी की सारी पोस्टिंग में Discuss करी गयी है की, हिन्दू धर्म के कुछ खास ठेकेदार हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म को अपने हिसाब से बना रखा है और टाइम आने पर और भी बदलाव कर देंगे, आज जो हिन्दू धर्म के बारे में पढ़ते हैं वो कुछ टाइम बात कुछ और हो जाएगी | पुरे हिंदुस्तान में हिन्दुओं के अलग-अलग देवता, अलग-अलग त्यौहार तथा अलग-अलग रीती-रिवाज़ हैं, जिनके बारे खुद हिन्दुओं को भी नहीं पता |


    फेर सारी ज़िन्दगी हनुमान को पूजते रहना, मरते टाइम फेर कोई पंडित बुलाना पड़ेगा, करिया कर्म कर्म करने के लिए | हिन्दू धर्म में किसी जाट को को हवन के मंत्र पढता देखा है कभी, जाट को इजाजत ही नहीं है | हिन्दू धर्म के अध्यात्मिक और ज्ञान के भंडार की चाबी कुछ खाश ठेकेदारो की हाथ है, जिसे मन मर्ज़ी से चलाया जाता है | अपने फायदे अनुसार भंडार को बदल लिया जाता है |


    जाट का मतलब हैं, पूर्णत: आज़ाद इंसान | जाट आज़ाद है किसी भी धर्म को अपनाने में | धर्म के नाम पर इंसान की भावना उभर कर सामने आती है, इसलिए हम संकीर्ण हो गए है, जाट के बीच धर्म का फासला आ गया है जो एक अच्छा सकेंत नहीं है |


    हनुमान तो खुद एक काल्पनिक देवता हैं, उनके अस्तित्व का कोई सबूत नहीं है | सारी ज़िन्दगी हनुमान को मानने आत्मिक ज्ञान नहीं हो सकता, वोह तो एक पूरण धर्म से हो सकता है | और आप को किस ने कह दिया हनुमान जाट है, ये तो एक मजाकिया बात लगती है |


    दूसरी तरफ धर्म अपनाने से मतलब ये है की जाटों को कोई हराम की संतान न कहे जैसे की सरदार भगत सिंह को कहा जाता है उसे Atheist कहा जाता है |


    अब बात करते हैं जाट सरदारों की, 80% जाट सिख हैं, हर एक सिख क्रन्तिकारी, योधा, पुजारी और संत (जरनैल सिंह भिंडरावाला) जैसे लोग जाट ही है, पंजाबी खत्री तो जाट सिखों के पिछलगू हैं, वोह अपने आपको जाटों के साथ सुरक्षित महसूस करते हैं | सिख धर्म में जाट को किसी पंडित या खत्री की इजाज़त लेने की जरुरत नहीं है | सिख धर्म के अंदर आध्यात्मिकता का चरम ज्ञान गुरु नानक साहिब ने दिया था, जबकि अपने हक की रक्षा करना और योधा बनना गुरु गोबिंद सिंह ने सिखाया था | जो एक जाट के लिए सोने पे सुहागे की तरह है |


    और सबसे आखरी और सबसे बड़ी बात जाटों को धर्म के नाम पर एक दुसरे जाट भाई की बुराई नहीं करनी चाहिए, जाट चाहे कोई भी, उसको ये मत बोलो वो तो सरदार है, या वो तो हिन्दू है या वो मुल्ला है | जाटों कुछ भी बनो पर जाट धर्म की कद्र करो | जो जाट होकर दुसरे धर्म के जाट को नीचा दिखाता है वो जाट नहीं बल्कि किसी विशेष धर्म का पर्चारक है |

    जाट जिंदाबाद !!!
    Last edited by AhlawatSardar; August 19th, 2011 at 09:54 PM.
    ੴ एक तो जाट उप्पर ते सरदार

  2. The Following 8 Users Say Thank You to AhlawatSardar For This Useful Post:

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  3. #102
    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    भाई उपेंदर सिंह लगता है आपने पूरी की पूरी पोस्टिंग नहीं पढ़ी इस तागे की | मैं आप की बात की बड़ी कद्र इसलिए करूँगा की जाट को आप सबसे उप्पर रख कर सोच रहे हो |
    भाई इस थ्रेड में मेरे से ज्यादा पोस्ट तो शायद ही किसी ने डाली हो...मेरी इस थ्रेड पर पूरी नजर है शुरू से...
    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post

    फेर अगर आप हनुमान को पूज रहे हो, किसी पंडित ने यो कह दिया अक तेरे को क्या पता कैसे हनुमान को कैसे खुश किया जाता है | क्या कहोगे,
    भाई, आप बहुत अच्छा लिखते हो और कोई काबिल आदमी मालूम पड़ते हो, इसलिए कम से कम मेरे को गोल-मोल बातों में उलझाने की कोशिश मत करना...कोई भी पंडित किसी को कुछ नहीं कहता कि कैसे हनुमान को खुश किया जाता है...बात बस इतनी सी होनी चाहिए कि मैं जाट हूं और हनुमान मेरा इष्ट है...
    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    ये ही बात इस सारी की सारी पोस्टिंग में discuss करी गयी है की, हिन्दू धर्म के कुछ खास ठेकेदार हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म को अपने हिसाब से बना रखा है और टाइम आने पर और भी बदलाव कर देंगे, आज जो हिन्दू धर्म के बारे में पढ़ते हैं वो कुछ टाइम बात कुछ और हो जाएगी | पुरे हिंदुस्तान में हिन्दुओं के अलग-अलग देवता, अलग-अलग त्यौहार तथा अलग-अलग रीती-रिवाज़ हैं, जिनके बारे खुद हिन्दुओं को भी नहीं पता |
    भाई हिंदू धर्म का कोई ठेकेदार नहीं है और न ही किसी ने भी इसे अपने हिसाब से बना रखा है...यदि आप ऐसा समझते हैं तो फिर अपनी बात को सिद्ध करो...हां ये जरूर है कि पूरे हिंदुस्तान में क्षेत्रीय विभिन्नता के अनुसार अलग-अलग देवता और अलग-अलग त्यौहार तथा अलग-अलग रीति-रिवाज हैं, जो कि एक बहुत अच्छी बात है...मराठों ने मुख्य रूप से गणेश को अपना लिया, बंगाल ने दुर्गा, काली को अपना लिया...अब कोई भी उत्तर प्रदेश का व्यक्ति उन्हें यह कहकर परेशान नहीं कर सकेगा कि तुम तो हमारे यहां पैदा हुए भगवानों को मानते हो...इस प्रकार वे हिंदू भी हैं और स्वतंत्र भी हैं...

    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    फेर सारी ज़िन्दगी हनुमान को पूजते रहना, मरते टाइम फेर कोई पंडित बुलाना पड़ेगा, करिया कर्म कर्म करने के लिए | हिन्दू धर्म में किसी जाट को को हवन के मंत्र पढता देखा हैकभी, जाट को इजाजत ही नहीं है | हिन्दू धर्म के अध्यात्मिक और ज्ञान के भंडार की चाबी कुछ खाश ठेकेदारो की हाथ है, जिसे मन मर्ज़ी से चलाया जाता है | अपने फायदे अनुसार भंडार को बदल लिया जाता है |

    यहां भी आपने गोल-मोल बात की है...कोई किसी भी धर्म का हो क्रिया-कर्म के लिए तो किसी न किसी को बुलाना ही पड़ता है...जाट खूब हवन करवाते हैं और उनके हाथ में लाल सतुआ भी बंधा रहता है...बहुत से नहीं भी करवाते...अपनी-अपनी श्रद्धा है...हवन के मंत्र तो छोड़ो, जाट तो विवाह के मंत्र भी पढ़ डालते हैं...

    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    जाट का मतलब हैं, पूर्णत: आज़ाद इंसान | जाट आज़ाद है किसी भी धर्म को अपनाने में | धर्म के नाम पर इंसान की भावना उभर कर सामने आती है, इसलिए हम संकीर्ण हो गए है, जाट के बीच धर्म का फासला आ गया है जो एक अच्छा सकेंत नहीं है |


    भाई किसी भी धर्म को अपनाने के लिए तो कोई भी आजाद है...यदि धर्म की बात आती है तो फिर गैर-हिंदू जाट पूर्णतः आजाद नहीं है. वो यदि सिख है तो उसे गुरु नानक और बाकी गैर-जाट सिख गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए और यदि मुस्लिम धर्म को अपनाया हुआ है तो फिर मुहम्मद साहब के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए...समस्या की बात तो तब है कि धर्म का लाभ भी लेते रहो और उसी धर्म को गाली भी बकते रहो...धर्म के कुछ मायने हैं, तभी तो वो किसी कौम को बांटने तक की क्षमता रखता है...

    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    हनुमान तो खुद एक काल्पनिक देवता हैं, उनके अस्तित्व का कोई सबूत नहीं है | सारी ज़िन्दगी हनुमान को मानने आत्मिक ज्ञान नहीं हो सकता, वोह तो एक पूरण धर्म से हो सकता है | और आप को किस ने कह दिया हनुमान जाट है, ये तो एक मजाकिया बात लगती है |


    भाई देवता तो सारे ही ऐसे हैं कि जिनके अस्तित्व का कोई सबूत नहीं है...आप दे सकते हो गुरु नानक के होने का कोई सबूत...कोई विडियो, कोई असली फोटो...मैं कहता हूं कि गुरु नानक कभी हुए ही नहीं...बस ऐसे ही एक काल्पनिक चरित्र गढ़ दिया गया तो इस बात के कोई मायने हैं क्या...हम गुरु नानक के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं, लेकिन स्वयं गुरु नानक श्रीराम और अन्य हिंदू भगवानों की आराधना किया करते थे, वो चीज हमें फ़ालतू की बात लगती है...

    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    दूसरी तरफ धर्म अपनाने से मतलब ये है की जाटों को कोई हराम की संतान न कहे जैसे की सरदार भगत सिंह को कहा जाता है उसे atheist कहा जाता है |

    हां तो बिलकुल कोई भी धर्म न अपनाने पर उन्हें हराम की संतान कहा जा सकता है...दुनिया को तो कमी निकालकर दूसरे को अपने से तुच्छ साबित करने का बस मौका चाहिए...

    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    अब बात करते हैं जाट सरदारों की, 80% जाट सिख हैं, हर एक सिख क्रन्तिकारी, योधा, पुजारी और संत (जरनैल सिंह भिंडरावाला) जैसे लोग जाट ही है, पंजाबी खत्री तो जाट सिखों के पिछलगू हैं, वोह अपने आपको जाटों के साथ सुरक्षित महसूस करते हैं | सिख धर्म में जाट को किसी पंडित या खत्री की इजाज़त लेने की जरुरत नहीं है | सिख धर्म के अंदर आध्यात्मिकता का चरम ज्ञान गुरु नानक साहिब ने दिया था, जबकि अपने हक की रक्षा करना और योधा बनना गुरु गोबिंद सिंह ने सिखाया था | जो एक जाट के लिए सोने पे सुहागे की तरह है |


    भाई जाटों को भोला-भाला इसीलिए कहा जाता है...सिख धर्म बनाया गैर-जाट ने, चलाया गैर-जाटों ने और उसे अपनाकर खुश हो रहे हैं कुछ जाट...आपकी ये बातें पढ़े-लिखे लोगों में तो चल जाएगी, लेकिन जो हमारे भाई कम पढ़े-लिखे हैं, किसान हैं, ट्रक ड्राइवर हैं उन्हें जब कोई ऐसा कहेगा कि अरे जट्ट तू बोलता है तेरा गुरु तो एक खत्री है तो वो कहां सिर मारेगा? और ऐसा होता है भाई, मैंने तो ऐसा देखा है होते हुए...जट्टों का
    ना आते ही खत्री आपस में ठहाका लगाकर हंसते हैं...

    Quote Originally Posted by ahlawatsardar View Post
    और सबसे आखरी और सबसे बड़ी बात जाटों को धर्म के नाम पर एक दुसरे जाट भाई की बुराई नहीं करनी चाहिए, जाट चाहे कोई भी, उसको ये मत बोलो वो तो सरदार है, या वो तो हिन्दू है या वो मुल्ला है | जाटों कुछ भी बनो पर जाट धर्म की कद्र करो | जो जाट होकर दुसरे धर्म के जाट को नीचा दिखाता है वो जाट नहीं बल्कि किसी विशेष धर्म का पर्चारक है |

    जाट जिंदाबाद !!!


    अब ये बात तो भाई औरों से कहो...मैंने तो ये थ्रेड शुरू किया नहीं...बाकी 'जाट' को एक धर्म कहना तो एक नादानी ही है, क्योंकि जाटों के न तो अपने नाम हैं और न ही कोई संस्थापक...बिना गुरु के कैसे किसी जाति/रेस को धर्म कह दें...ऐसे में जो भी जाट जिस धर्म को मान रहा है उसके प्रति उसे कृतज्ञ होना चाहिए...जाट का धर्म वो होना चाहिए जिसे अपनाकर वो तरक्की कर रहा है, उसका जीवन बढ़िया हो रहा है...उस नजरिए से देखें तो हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले जाट लगभग सभी क्षेत्रों में मुस्लिम और सिख धर्म में आस्था रखने वाले जाटों से कहीं आगे खड़े नजर आते हैं...तो फिर ये क्यूं न कहें कि हमारे मुस्लिम और सिख जाट भाइयों को भी हिंदू धर्म में आने के लिए कहो, ताकि जाट एक हो सकें और तरक्की कर सकें...

  4. #103
    Quote Originally Posted by raka View Post
    तथाकथित हिन्दू धर्म की सिफारिश करने वालो से मेरा आग्रह हैं की जाटों ने हिन्दू कहलाकर आजतक क्या हासिल किया हैं ? हमारे प्राचीन सभी जाट वीर योद्धाओ अर्थात राजाओ को भारतीय इतिहास में शुद्र क्यों कहा गया ? हिन्दू धर्म के ग्रंथो में अर्थात पद्मपुराण व भविष्यपुराण में जाटों को वर्णशंकर तथा शुद्र क्यों लिखा गया हैं ? ब्राह्मण राजा चच ने अपने चचनामे में जाटों को चंडाल जाति तक लिखा हैं | जाटों के इतिहास को बरबाद करने के लिए किस धर्म के लोग जिम्मेवार हैं ? सिक्ख इतिहास ने जाट सिक्ख वीरो को अपने इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान दिया हैं तो फिर हिन्दू जाटों का इतिहास कहा हैं ? क्या इस बर्बादी के जिम्मेवार हिन्दू धर्म के ठेकेदार नहीं हैं ? इन सब बातों पर हमे गहराई से विचार करना होगा यह केवल भावनाओ में बहने का मसला नहीं हैं | इसीलिए जाट भाइयों से प्राथना करता हु की इस विषय पर मंथन करके खुले दिमाग से अपने विचार अवश्य प्रकट करे |

    .......पूर्व कमांडेंट हवा सिंह सांगवान
    raka ji ye JATs ko shudra kahan kehte hain krapya roshni daaliye.. mere khyal se to chaudhary kehte hain.. jo ki ek gaaon / region ke head ki designation hai... but still i am fully convinced that JAT ko neecha dikhani ki koshish sab ne ki hai ... but still ye strong JAT tha jisne sab ke sapne nakam kiye and we are still waving our our flag high in the sky

  5. #104
    Quote Originally Posted by Raaksangu View Post
    raka ji ye JATs ko shudra kahan kehte hain krapya roshni daaliye.. mere khyal se to chaudhary kehte hain.. jo ki ek gaaon / region ke head ki designation hai... but still i am fully convinced that JAT ko neecha dikhani ki koshish sab ne ki hai ... but still ye strong JAT tha jisne sab ke sapne nakam kiye and we are still waving our our flag high in the sky
    आपको इसी थ्रेड में सारे तर्क मिल जायेंगे थोड़ा गौर से पढना |
    जैसे .........
    हिन्दू धर्म के ग्रंथो में अर्थात पद्मपुराण व भविष्यपुराण में जाटों को वर्णशंकर तथा शुद्र क्यों लिखा गया हैं ? ब्राह्मण राजा चच ने अपने चचनामे में जाटों को चंडाल जाति तक लिखा हैं|
    जबकि सत्यार्थ प्रकाश के चौथे सम्मुलास के पेज नंबर 74 के एक श्लोक में कहा हैं कि ऐसा केवल शुद्र वर्ण ही कर सकता हैं |
    इन किताबी तर्को को भी छोड़ कर यदि आप देहात में देखंगे तो आपको अपने आप समझ आ जायेगा की जाट के साथ ये अपने आप को ऊँची जाति कहने वाले लोग कैसा व्यवहार करते हैं | कोई भी ब्राह्मण बनिया सुनार आदि जाट को अपना हुक्का नहीं देगा | आपने गौर किया हो तो जब ब्राह्मण जाट के घर आता हैं तो चाय पानी के लिए अलग से बरतन मांगता हैं | ब्राह्मण का छोटा बालक भी दादा कहलायेगा | ऐसे कई तर्क हैं जो आपको आज के समाज में भी देखने को मिल जायेंगे |
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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  7. #105
    सूरा साहब, ये कौन सी दुनिया में हैं आप, किसने बोला आपको कि ब्राह्मण अपना हुक्का नहीं देते हैं। ये बीते समय की, इतिहास की बात हो सकती है, आज की नहीं। आप आइये मैं आपको दिखाता हूँ कि ब्राह्मण हमारे साथ हुक्का पीने में अपने को गौरान्वित महसूस कैसे करते हैं। मुझे आपकी बात सुनकर आश्चर्य हुआ। हालांकि मेरी आयु भी 35 की है और मैंने पूरी जिंदगी में ऐसा वाकया न तो देखा है न ही सुना है। अगर आप के साथ ऐसा है तो .............. आप खुद ही समझ सकते हैं वैसे आप बताएं कि आप कहाँ से हैं। ]

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    ravinderjeet (August 20th, 2011)

  9. #106
    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    आपको इसी थ्रेड में सारे तर्क मिल जायेंगे थोड़ा गौर से पढना |
    जैसे .........
    हिन्दू धर्म के ग्रंथो में अर्थात पद्मपुराण व भविष्यपुराण में जाटों को वर्णशंकर तथा शुद्र क्यों लिखा गया हैं ? ब्राह्मण राजा चच ने अपने चचनामे में जाटों को चंडाल जाति तक लिखा हैं|
    जबकि सत्यार्थ प्रकाश के चौथे सम्मुलास के पेज नंबर 74 के एक श्लोक में कहा हैं कि ऐसा केवल शुद्र वर्ण ही कर सकता हैं |
    इन किताबी तर्को को भी छोड़ कर यदि आप देहात में देखंगे तो आपको अपने आप समझ आ जायेगा की जाट के साथ ये अपने आप को ऊँची जाति कहने वाले लोग कैसा व्यवहार करते हैं | कोई भी ब्राह्मण बनिया सुनार आदि जाट को अपना हुक्का नहीं देगा | आपने गौर किया हो तो जब ब्राह्मण जाट के घर आता हैं तो चाय पानी के लिए अलग से बरतन मांगता हैं | ब्राह्मण का छोटा बालक भी दादा कहलायेगा | ऐसे कई तर्क हैं जो आपको आज के समाज में भी देखने को मिल जायेंगे |
    Ye Hi hai KUCH Jatton ka dharam .... apni kom ko GIRANA aur ek doosre ki JAD katna.
    "upon knowing truth, the foolish become wise, and the wise become silent".

  10. #107
    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    आपको इसी थ्रेड में सारे तर्क मिल जायेंगे थोड़ा गौर से पढना |
    जैसे .........
    हिन्दू धर्म के ग्रंथो में अर्थात पद्मपुराण व भविष्यपुराण में जाटों को वर्णशंकर तथा शुद्र क्यों लिखा गया हैं ? ब्राह्मण राजा चच ने अपने चचनामे में जाटों को चंडाल जाति तक लिखा हैं|
    जबकि सत्यार्थ प्रकाश के चौथे सम्मुलास के पेज नंबर 74 के एक श्लोक में कहा हैं कि ऐसा केवल शुद्र वर्ण ही कर सकता हैं |
    इन किताबी तर्को को भी छोड़ कर यदि आप देहात में देखंगे तो आपको अपने आप समझ आ जायेगा की जाट के साथ ये अपने आप को ऊँची जाति कहने वाले लोग कैसा व्यवहार करते हैं | कोई भी ब्राह्मण बनिया सुनार आदि जाट को अपना हुक्का नहीं देगा | आपने गौर किया हो तो जब ब्राह्मण जाट के घर आता हैं तो चाय पानी के लिए अलग से बरतन मांगता हैं | ब्राह्मण का छोटा बालक भी दादा कहलायेगा | ऐसे कई तर्क हैं जो आपको आज के समाज में भी देखने को मिल जायेंगे |
    Prabhu! vaise aap kahan ke jaat hain........ jara apne CREDENTIALS tu bataiye. KAHIN AISA TU NAHIN AAP KUCH AUR HI HAIN.
    "upon knowing truth, the foolish become wise, and the wise become silent".

  11. #108
    और यार हनुमान को मानने से भी तो आप किसी पंडित के देवता की आराधना कर रहे हो | सारे हिन्दू केवल जाट नहीं है, और फिर हनुमान को तो गुज्जर भी मानते है , यादव भी मानते है, बिहारी भी मानते है | तो इसका मतलब है आप इस सब के सब की जय जयकार कर रहे हो |


    दूसरी बात ये तो आपकी भूल है, मुझे नहीं पता की मुसलमान जाट कितने तरक्की पर हैं, पर सरदार जाट तो हर क्षेत्र में न. १ हैं | और तो और आप हिन्दू धर्म के महान जाटों जी संख्या देख लो और सरदार जाटों की देख लो, सरदार जाट ही आगे हैं | सरदार जाटों ने विदेशों में जाकर भी अपने झंडे गाड़े हैं | पंजाब कृषि प्रधान राज्य है जहाँ तो बस जाटों का ही दबदबा है, फिर हरयाणा में भी अम्बाला, करनाल, सिरसा, यमुनागर, कुरुक्षेत्र, पंचकुला में तो जाट सरदार, हिन्दू जाटों से अधिक हैं और सब के सब समृद्ध भी हैं | ये नहीं है के हरयाणा के जाट सरदार पिछड़े हुए हैं, अगर आप ने कभी ये जिले भर्मण न करे हो तो जरुर करो और देखो, सचाई अपने आप पता चल जाएगी |

    आप की बात बड़ी, जरुर देखा होगा, तो इस से ये लगता है की जाटों को शिक्षा बड़ी जरुरत है | सबसे बड़ी बात यह है की किसी विशेष धर्म से जुड़ कर जाट भी संकीर्ण हो गए है, आप कोशिश कर रहे हो की सब हिन्दू हो जाओ मेरे जैसे कोशिश कर रहे है की सिख बन जाओ | न आप मेरी बात मानोगे न मैं आपकी मानुगा |


    इसके साथ ही जाट जाति को विश्व भर में पंजीकृत कराया जाये जिसमे उसके कुछ खास गुण और समानताये राखी जायें, ताकि वक़्त आपने पर जाट जाट के काम आ सके और जाट जाति का अस्तित्व बच सके |


    इसका एक ही हल है अगर कोई हिन्दू जाट को, जाति के आधार पर बुरा बोलता है या जाट सिख को कोई खत्री ये बोलेगा की तेरा गुरु एक खत्री है उसको पूजता है मतलब हमारी जय जयकार करता है (जैसा हमारे साथ तो आज तक ऐसा नहीं हुआ) | तो उठो कब काम आएगा एक भाई दुसरे के, आर दिखा दो कैसे अपनी बात मनवाने के लिए हरयाने के जाट पंजाब तक और पंजाब के जाट हरयाने में खलबली मचा सकते हैं | क्यों एक भाई के बारे में बुरा सुनते हो | इकठे हो कर उसको मिटा दो | अन्ना की तरह का आन्दोलन चलाओ, पता भी चले दुनिया को के जाट अभी सक्रीय है |


    भाई आप हनुमान को मानते रहो, मैं नानक को मानता रहूँगा | इब किसी जाट को गोरी पसंद है किसी को देसी छोरी पसंद है | जब आप जाट एकता की बात करोगे तो सब के सब जाट इकठे हो जायेंगे |
    ੴ एक तो जाट उप्पर ते सरदार

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    Fateh (August 21st, 2011), narvir (July 2nd, 2012), RavinderSura (August 20th, 2011), ssgoyat (August 22nd, 2011), thukrela (August 21st, 2011)

  13. #109
    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    आपको इसी थ्रेड में सारे तर्क मिल जायेंगे थोड़ा गौर से पढना |
    जैसे .........
    हिन्दू धर्म के ग्रंथो में अर्थात पद्मपुराण व भविष्यपुराण में जाटों को वर्णशंकर तथा शुद्र क्यों लिखा गया हैं ? ब्राह्मण राजा चच ने अपने चचनामे में जाटों को चंडाल जाति तक लिखा हैं|
    जबकि सत्यार्थ प्रकाश के चौथे सम्मुलास के पेज नंबर 74 के एक श्लोक में कहा हैं कि ऐसा केवल शुद्र वर्ण ही कर सकता हैं |
    इन किताबी तर्को को भी छोड़ कर यदि आप देहात में देखंगे तो आपको अपने आप समझ आ जायेगा की जाट के साथ ये अपने आप को ऊँची जाति कहने वाले लोग कैसा व्यवहार करते हैं | कोई भी ब्राह्मण बनिया सुनार आदि जाट को अपना हुक्का नहीं देगा | आपने गौर किया हो तो जब ब्राह्मण जाट के घर आता हैं तो चाय पानी के लिए अलग से बरतन मांगता हैं | ब्राह्मण का छोटा बालक भी दादा कहलायेगा | ऐसे कई तर्क हैं जो आपको आज के समाज में भी देखने को मिल जायेंगे |

    Brother, you are 100% correct

  14. The Following User Says Thank You to Fateh For This Useful Post:

    AhlawatSardar (August 20th, 2011)

  15. #110
    Quote Originally Posted by Bisky View Post
    सूरा साहब, ये कौन सी दुनिया में हैं आप, किसने बोला आपको कि ब्राह्मण अपना हुक्का नहीं देते हैं। ये बीते समय की, इतिहास की बात हो सकती है, आज की नहीं। आप आइये मैं आपको दिखाता हूँ कि ब्राह्मण हमारे साथ हुक्का पीने में अपने को गौरान्वित महसूस कैसे करते हैं। मुझे आपकी बात सुनकर आश्चर्य हुआ। हालांकि मेरी आयु भी 35 की है और मैंने पूरी जिंदगी में ऐसा वाकया न तो देखा है न ही सुना है। अगर आप के साथ ऐसा है तो .............. आप खुद ही समझ सकते हैं वैसे आप बताएं कि आप कहाँ से हैं। ]
    MR Bura is very correct, he is living in practical, actual, real and true world, his observation is correct, you may be lucky not to see the reality, May I request you to ask your father, about the point in question, you may change your openion

  16. The Following User Says Thank You to Fateh For This Useful Post:

    singhvp (August 21st, 2011)

  17. #111
    Quote Originally Posted by RanBEAR View Post
    Prabhu! vaise aap kahan ke jaat hain........ jara apne CREDENTIALS tu bataiye. KAHIN AISA TU NAHIN AAP KUCH AUR HI HAIN.
    He is not only real jat but he has painted a real picture, dear, remember three fingures are pointing towards you

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    AhlawatSardar (August 20th, 2011), singhvp (August 21st, 2011), vijaykajla1 (August 20th, 2011)

  19. #112
    Quote Originally Posted by narenderkharb View Post
    quote Jagmohan....... .................................................. ...........................Jat Dharam...






    Great Post Brother,


    I usally avoid these discussions as some Dharmic person comes and starts arguing without any supporting evidence and discussion turns ugly sooner or later.However I could not resist congratulating You as you sound so close to truth.


    Commndt. Hawa Singh Sangwan ji discussed this article with me before posting it and I suggested same that our religion should simply be called as as Jat religion and we should not suggest some other alternative ,however he disagreed and gave his reasons ,I gave mine and we agreed to disagree on this.

    This topic must be discussed much more seriously and one must substantiate one's view with some kind of evidence Historical or scientific .(ie to say that man or some creature with monkey like tails existed and interacted with humans is fit for Humor sections rather such serious discussions.)
    Please refer your tele conversation of yesterday, Narender, please read my views on the subject at current affairs post Bhai Bahan, than we will discuss. we are serious, because the topic is very serious. By the way, please let us know the source where Brahamans are found closure to jats genitically, as you mentioned yesterday

  20. #113
    कति जाट सु और तोशाम का सु जाट मोहल्ले में घर स | आप लोगो ने फिर समाज को अभी देखा ही नहीं | समाज को देखना पहचानना हो तो देहात में जाओ शहर में समाज नहीं बसता | शहर में तो भानमती का कुनबा बस्ता हैं | मैंने जो यह लिखा हैं यह मेरे साथ ही नहीं बीता यह सभी जाटों के साथ बीतता हैं कभी गौर करना | अगर यह इतिहास की बात हैं तो अब कोणसा ज़माना बदल गया सब न्यू का न्यू स | और इस कौम को गिराने का काम मैं नहीं कर रहा यह तो आप जैसे लोगो की मेहरबानी हैं जो सोए हुए हैं | आप जैसे लोगो के कारण ही यह दूसरी जाति वाले ऐसा व्यवहार करते हैं और हम लोग इनकी बात हलके में ले लेते हैं | बाकी यहाँ बहस करने से कुछ हासिल नहीं होगा पहले खुद अपनी नजर से समाज को देखो अगर आपको नहीं दिखाई दे तो मेरे पास आ जाना मैं दिखा दूंगा |
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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  22. #114
    Quote Originally Posted by Bisky View Post
    सूरा साहब, ये कौन सी दुनिया में हैं आप, किसने बोला आपको कि ब्राह्मण अपना हुक्का नहीं देते हैं। ये बीते समय की, इतिहास की बात हो सकती है, आज की नहीं। आप आइये मैं आपको दिखाता हूँ कि ब्राह्मण हमारे साथ हुक्का पीने में अपने को गौरान्वित महसूस कैसे करते हैं। मुझे आपकी बात सुनकर आश्चर्य हुआ। हालांकि मेरी आयु भी 35 की है और मैंने पूरी जिंदगी में ऐसा वाकया न तो देखा है न ही सुना है। अगर आप के साथ ऐसा है तो .............. आप खुद ही समझ सकते हैं वैसे आप बताएं कि आप कहाँ से हैं। ]
    भाई किस भ्रम में जी रहे हो , मुझे आपकी बात सुनकर ताज्जुब हुआ हैं की आपने 35 साल सोते हुए काट दिए
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  23. #115
    Bisky;275271]सूरा साहब, ये कौन सी दुनिया में हैं आप, किसने बोला आपको कि ब्राह्मण अपना हुक्का नहीं देते हैं। ये बीते समय की, इतिहास की बात हो सकती है, आज की नहीं। आप आइये मैं आपको दिखाता हूँ कि ब्राह्मण हमारे साथ हुक्का पीने में अपने को गौरान्वित महसूस कैसे करते हैं। मुझे आपकी बात सुनकर आश्चर्य हुआ। हालांकि मेरी आयु भी 35 की है और मैंने पूरी जिंदगी में ऐसा वाकया न तो देखा है न ही सुना है। अगर आप के साथ ऐसा है तो .............. आप खुद ही समझ सकते हैं वैसे आप बताएं कि आप कहाँ से हैं।
    written by RanBEAR....Prabhu! vaise aap kahan ke jaat hain........ jara apne CREDENTIALS tu bataiye. KAHIN AISA TU NAHIN AAP KUCH AUR HI HAIN. E]


    रविंदर ने जो कुछ कहा उसमे काफी सच्चाई है I यह सही है की कुछ गावों में कुछ किसान ब्राहमण जाटों के साथ हुक्का-पानी पी लेते हैं परन्तु अधिकांश ब्राहमन अभी भी जाटों के साथ छुआ-छात का रवैया अपनाते हैं I खुद मैंने भी अपने गाँव में यह देखा है बचपन में I अगर कोई भाई किसी बात का सही वर्णन करता है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसकी मंशा जाटों को नीचा दिखाने की है I सच्चाई को बाहर आने दो और self denial से बाहर निकलो I एक दूसरे पर इसको लेकर शक करना और छींटा-कशी करना सिवाए बेवकूफी के कुछ नहीं I इसलिए कृपया एक दूसरे से जाति प्रमाण पत्र मांगना बंद करो I
    Last edited by singhvp; August 21st, 2011 at 08:27 AM.

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  25. #116
    रविंदर सुरा जी , प्रदीप बल्हारा की बात से में सहमत हूँ ,जो आप ने लिखा हे वो आपके यहाँ और राजस्थान में होता होगा ,संभव हे | पर हमारे गाँव गुहांड ,रिस्तेदारिओं में हमने कभी देखा सूना नहीं | हमारे यहाँ तो भामन ,राजपूत जट्टों के साथ खा पी कर और हुक्का पी कर गोर्वंतित महशुश करते हैं | मेने कितने ही इन् जाती वालो को अपने आप को जाट बताते हुए देखा सूना हे | कितने ही भाम्नों और राजपूतों और दूसरी जाती वालों को ये कहते सूना हे की काश हम भी जाट होते , भाई तुम लोगों का मुकाबला नहीं किसी बात में | पंजाब के जट्टों के बारे में दुसरे पंजाबियों से ही सुना हे की इनसे बढ़कर दुनिया में और कोई नहीं | मेरे एक उमरदराज दोस्त हैं शामली (यु.पि.)के वो कहते हैं की ठाकुरों को उन्होंने कभी अपनी खाट पे भी नहीं बेठने दिया ,सामने नीचे बिठाते थे | कुल मिला कर बात ये हे की जहां जट्टों ने अपने आप को उस उंचाई पर रखा और वेसे कर्म किये की दूसरों की उनको हिम्मत नहीं छू तक लेने की वहां उन् का सम्मान हुआ और जहां पर उन्होंने (जट्टों ने ) आपने आप को दूसरों के हवाले कर दिया वहां-वहां उनको निचे गिरा दिया गया | आत्म सम्मान खरीदा नहीं जाता खुद में पैदा होना चाहिए | वो कौम ख़तम हो जाती हे , जिस्से लड़ना नहीं आता | हमारे लोगों में इतिहास की जानकारी नहीं हे, और ना वे जानकारी रखना चाहते , अधिकतर लोग इस विषय में उदासीन हैं , और ये कह देते हैं की हमें क्या करना हे ,इतहास की जानकारी रख कर ,पेट भर रहा हे ना | अपने इतिहास की १०० रूपये की किताब खरीद कर नहीं पढेंगे ,और दारु पर हर महीने २-३ हजार खर्च कर देंगे | फिर भी कुल मिला कर मेने आज तक यही देखा हे की जट्टों से लोग डरते भी हैं और सम्मान भी करते हैं |----------सद्भावनाओं सहित |
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

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  27. #117
    भाईसाहब मैं राजस्थान की नहीं आपके हरियाणा की बात कर रहा हु | रोहतक जींद सोनीपत में भी ऐसा देखा हैं मैंने कोई एक गाँव की दासतान पर यह नहीं लिखा | अच्छी बात हैं के आप लोगो को यह देखने को नहीं मिला या आप लोगो ने देखकर इसे मजाक में टाल दिया होगा | पंजाब के जट्टो की बात छोड़ो मैं सिर्फ हिन्दू जाट की बात कर रहा हु | वो अलग बात हैं की जाटों ने अपनी मेहनत हौसले के दम पर इनसे लोहा मनवा रखा हैं | रही दूसरी जाति वालो की अपने आप को जाट कहने की बात तो वो सिर्फ जाट के सामने जाट को खुश करने के लिए कहते हैं | लठ आई ने बोले स ये पीठ पीछे किम्मे और बोले स , दोगले बनकर जाट को ठग रहे हैं और ठगते आये हैं | आपके शामली वाले मित्र के जैसा एक आधा अपवाद हो सकता हैं बाकि हकीक़त अलग हैं आपको भी पता हैं | सभी बुजुर्ग अच्छी तरह से वाकिफ हैं हिन्दू धर्म में जाट की इज्जत से | जिस दिन हिन्दू धर्म के ठेकेदारों ने जाट को नीचा दिखाने के लिए यज्ञ से क्षत्रिय पैदा करने का ढोंग रचा था उसी दिन से जाट राजस्थान से पलायन करना शुरू कर गए थे | हिन्दू धर्म ने तो उसी यज्ञ के बाद से जाट जाति को नीची जाति का प्रमाण पत्र दे दिया था | हम सभी का निकास राजस्थान से हैं कोई वैसे तंग आ कर छोड़ आया तो कोई जंग हार कर |
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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  29. #118
    भाई म्हारे गाम में आ जाना हूका का तो बेरा नहीं पर बामन ने जट्टां के झूठे ग्लास में पेग मरते जरूर दिखा दूंगा हर बनिया पानी बरता दिखा दूंगा.
    मेने तो जट्टां टी भामना का मजाक उड़ाते जयादा देखा हे.

    शयद आप लोगां ने बेरा ही नहीं शुद्र होता क्या हे. न तो उसती अपने साथ बिठाया करते लोग हर अलग बर्तन दिया करते हर उस बर्तन की उसते ही साफ़ करवाया करते.


    और मेने जाटों को भी ऐसा करते देखा हे हाँ पर वे जाट भी पुराना ज़माने के थे इब मर खप लिए. शुद्र की जिंदगी एक दिन जीके तो देखो


    हो सकता हे जो आप लोग कह रहे हो वो किसी ज़माने में होता हो पर इब इन बातां का के फायदा. हाँ जट्टों को अन्पड जरूर कहा जाता हे. वो तो

    में भी मानु हूँ. बोलन की अकल घाट इ होया करे हे जाट ने. बाकि भाई आजकल बहोत पड़े लिखे बढ़िया वयव्हार वाले जाट होण लगे, बहार लिकडन लाग गे वो व बात में भी धीरे धीरे सुधर आजेगा.

    मेने तो नु लगे हे आप अपने पुरे इतिहास का दोषी हिन्दू धरम और भामन को धरने की कोसिस कर रहे हे ताकि जट्टों की नाकामी छुपी रहे. भाई जिसमे हिम्मत और लगन हो उसको

    कोई नहीं रोक सकता. हम अपन इतिहास तो नहीं बदल सकते पर अपना आज और आने वाला कल जरूर बदल सकते हे. धरम बदलने से किस्मत बदलती तो मेने भी कभी का धरम बदल लिया होता. ये तो भाई करम से बदलेगी

    इब हाम नया धरम मांगा हाँ थोड़े दिन में नया देश मांगा गे. जिद ये कश्मीरी आपका देश मांगे हे जिद तो आप लोग इनने गद्दार कहन लाग जाओ हो
    Last edited by VirJ; August 21st, 2011 at 12:53 PM. Reason: -------
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

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    Fateh (August 21st, 2011), narvir (July 2nd, 2012), ravinderjeet (August 21st, 2011), upendersingh (August 22nd, 2011)

  31. #119
    I never heared any body calling jat a sudra, also brahamans sharing HOOKA with jats, rajputs etc, but now in these days may be possible, even in Army we shared cig with brahaman officers but reality is what mr sura has expressed not only in rajesthan but allover India, Not that brahamans are great and they forced the system on jats, only but it is historical truth that they enjoyed number one place in the society for thousands of years, even some places king couldnot punish the brahaman. In 1996 a khanp panchayat of kharb and khatari inluding bavani(52) of sonipat took place near sonipat, many thousand jats were present, they almost choosen a brahaman to preside over the SABHA, thank God on my request and support from few educated brothers, we could put an elderly jat to preside. It is also fact that for our place in the society, more than brahamans, we are responsible, lack of education and unity were the main reasons.
    I am happy that now in these days situation is changing due to many reasons but knowing the reality even of past, is always good for improvement. Let us accept the reality and work for the improvement.

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    narvir (July 2nd, 2012), ravinderjeet (August 21st, 2011), vijaykajla1 (August 21st, 2011)

  33. #120
    Bharaman arr Jaat ki to nyu sai bhai...

    Jibb Amavass ho to Bharaman nai bula lo arr jima dyo..Kheer khuwa do..Koye hawan kirtan karana ho to mantar padhan khatir bharaman bula lo..aur nyu to munnai bhi nahi suni ke wo alag bartan ka istemal karte hain jab koi jaat unke ghar jata hai to..baaki yadi aisa kahin hota hai ya pehle hota tha to bahut hi durbhagya hai humara ki hum in bharamaon mei itna vishvaas karte hain..

  34. The Following User Says Thank You to vicky84 For This Useful Post:

    thukrela (August 22nd, 2011)

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