इस लेख की सत्यता लिखित प्रमाणों के आधार पर हैं | मैंने इस लेख के अंत में बड़ा साफ़ लिखा हैं की पाठक इस पर विचार और मंथन करे | लेकिन अफ़सोस हैं की कुछ पाठको ने अति भावुक होकर बैगेर किसी विस्तार से चिंतन और मनन तथा जाट कौम के इतिहास पर बैगेर नजर डाले ही अपना फैसला लेना आरम्भ कर दिया जो अनुचित हैं | जाट कौम के इतिहास के साथ आज तक किस प्रकार का व्यवहार होता आ रहा हैं जिस पर पाठको को गंभीरता से विचार करना चाहिए |
.......पूर्व कमांडेंट हवा सिंह सांगवान