मात पिता हों जन्म देन के नहीं, नहीं कर्म के साथी !
आज पहली बार एक संगीत में पारंगत, अति सुरीली, बुलंद हरयाणवी आवाज सुनी !
सत्ते, कथुरवाल, एक महान हरयाणवी कलाकार , हालांकि इस दुनियां में नहीं हैं !
उनके जीवन काल में कभी अवसर नहीं मिला उस महान गायक को सुनने का,
पर विज्ञानं के इस अधभुत करिश्मे, इन्टरनेट, की एक अनमोल विधि के चलते आज भी उस मधुर आवाज से रूबरू हो कृतज्ञ हो गया !
आशा है आप सब को भी अच्छा लगेगा!
सत्यपाल
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