I support a Greater Bharat and not member of any political outfit... I support everyone who Support Bharat...
BTW BJP is in process to revive itself for political relevance... I find them better alternative than any other today we have... and as I mentioned ealier they need to improve a lot and get rid of stupid things they did in past and eliminate corruption (though they dont have as much as congress do) from their organisation.. if they do so we dont need a third front... beacuse waiting for third front is more expensive then voting for BJP with NaMo as PM candidate as this will keep power in dirty hands of Gandi family which is worst for Bharat.. you already know what harm this family has done and what they can do in future .. so I do not need to metion.. Anyays thanks for supporting me.. but I am still too young and learning from life...
क्रांति तभी सफल होती है जब बहुमत को उसकी आवश्यकता हो - आचार्य चाणक्य
VPji, Yedurappa sirf apne vote bank ki vjah te jmya baithya se. us akele ke support me 120 vidhayak hia (kyuki wo ek jati vishesh par shashakt pakad banaye hue hai jo ki bahul maatra me maujood hai karnataka me).
Else he does not deserve to be chief minister of Krnatka in any way.
jo uske sir pe danda rakhe se "Reddy bandhu", wo bhi jma dhaanp ke tucche se. BJP ne muskil se ya, ude ke kisne mukhyamantri bna ke rakhe.
Or jo inka vikalp hai karnataka me Devegoda ya unke putr Kumarswamy ka, wo inte bhi gaye-gujre se. Devegoda ne sivay apne "HassaN' halke ke kise or jagah rodi bhi na tikwayi thi! Er company aalya dhore chik-chik ke malayi chaat gya tha!
singhvp (July 18th, 2011)
anilsangwan (July 19th, 2011), malikdeepak1 (July 19th, 2011)
भाई अनिल, एक चुटकला याद आया ...... किसे के घरां ब्याह का जश्न मन रह्या था .... एक औरत दूसरी तैं कहन लागी ....री पीढ़ा दिए, वा पहली बोली के करेगी, दूसरी बोली गीत गाऊँगी. पहली औरत बोली मैं के तेरे खसम नै रोउंगी, मैं भी तो गीत गाऊंगी!!!
तो भाई हम भी greater भारत नै ऐ support करैं सै, और greater पाकिस्तान नै क्यों करांगे, आर सारी पार्टियां भी यो हे नारा देवें सें .
anilsangwan (July 19th, 2011)
anilsangwan (July 19th, 2011), singhvp (July 20th, 2011)
Baaki, ek thread mein railam pail kar ke Anil Rathee ne aur VP Sir ne, ek dam jhaddi laga di, Ek hi thread mein lagatar sabse jayaada post maarne ka award jaata hai Anil ko aur VP sir ko ek hi thread mein Anil ki har post ka jawaab dene ka award jaata hai..
Vikas Gulia
JAT- Just Adore Them
"जाट गन्ना न दे, भेली दे दे"
anilsangwan (July 19th, 2011), singhvp (July 19th, 2011)
anilsangwan (July 19th, 2011)
जो माणस नरेंदर मोदी के प्रबंधन , नेत्रत्व ,व्यक्तित्व ,कर्मठता में भी गलती काढ दे स वो तो फेर जट्टों का ही नहीं ,भारत का ही नहीं बल्कि विश्व नेत्रत्व के लायक हे और होना भी चाहिए | वि.पि. जी आप रोज कुल्लाबाद्दी खावो सो कदे इह कानी ,कदे उह कानी पहलम तो आप एक थां ठहर जाओ अर फेर रोज नए दो बन्द्याँ का नाँ पर्स्तुत करण की बजाय आपना नाँ आग : ने कर दयो | जाट्टां के नाँ पे हाम आपना मत आपने दे दयांगे | और किम्मे हो ना हो आप में राजनीती करण का माद्दा तो स-
:rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
पगड़ी संभाल जट्टा |
मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |
anilsangwan (July 19th, 2011), kuldeeppunia25 (July 19th, 2011), rohittewatia (July 19th, 2011)
thats what I hate here... all good discussion end up in personal comments... please focus on the subject...
क्रांति तभी सफल होती है जब बहुमत को उसकी आवश्यकता हो - आचार्य चाणक्य
Fateh (July 20th, 2011), ravinderjeet (July 20th, 2011), rohittewatia (July 19th, 2011), singhvp (July 19th, 2011), vicky84 (July 20th, 2011)
भाई राविंदर जीत कोई आदमी ऐसा नहीं होता जिसमे कोई कमी ना हो I पहली बात तो यह है कि मोदी को मैंने कम से कम दो बार अच्छा administrator बताया है, बल्कि वाजपेयी से भी अच्छा बताया है I मैंने यह कहा है कि मोदी जिस पार्टी से संबद्द है मैं उसका समर्थन नही करता और मैं अपने स्टैंड पर कायम हूँ I हर आदमी राजनैतिक विचार रखने के लिए स्वतन्त्र है I मैंने यह भी कहा था कि मोदी एक अच्छे administrator हैं परन्तु गलत पार्टी में हैं I इसमें कलाबाजी कहाँ है जरा मुझे समझाए I अगर आप चाहते हैं कि हर टोपिक पर majority opinion या OP की हाँ में हाँ मिलाना जरूरी है तो मुझे इस नियम का इल्म नहीं है I अगर जाटलैंड पर बने रहने के लिए ऐसा करना अनिवार्य है तो फिर बहस का कोई मज़ा नहीं, खेल एकतरफा हो जायेगा I मेरे हिसाब से विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से ही नए विचारों की उत्पत्ति होती है I हम यहाँ पर अगर एक गैर राजनैतिक observer की हैसियत से अपना विश्लेषण प्रस्तुत करें तो बहस अधिक सार्थक और स्वस्थ होगी I परन्तु दुर्भाग्य से हर कोई अपने-अपने राजनैतिक दुराग्रहों का शिकार होकर एक दूसरे का जानी दुश्मन बना हुआ है और विरोध का स्वर कुचलने के लिए हर मर्यादा का उल्लंघन करके एक दूसरे को हतोत्साहित करने के लिए कोई कौर कसर नहीं छोड़ रहा I कभी कभी तो लगता है यह सब समय और उर्जा की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं I प्रधानमंत्री चाहे XYZ बने, आप बने या मोदी बने सब बेमानी है , जब तक एक ठोस agenda और ईमानदारी राजैतिक दलों के पास नहीं होगी, तब तक कुछ बदलने वाला नहीं है i प्रजातंत्र में अकेला प्रधानमत्री निरंकुश शाशक नहीं होता बल्कि पार्टी और कैबिनेट की सामूहिक भूमिका होती है और सारे महत्वपूर्ण फैसले कैबिनेट की सहमति के बिना नहीं होते I इसलिए उस पार्टी का घोषणापत्र और संभावी मंत्रियों का चरित्र भी महत्वपूर्ण होते हैं, होने वाले प्रधानमंत्री के अतिरिक्त, और इन सब चीजों का सामूहिक मूल्यांकन करके ही राजनैतिक मत बनाना विवेकपूर्ण होता है न कि जोश में आकर भावनाओं के उन्माद में बहकर.
Last edited by singhvp; July 19th, 2011 at 09:14 PM.
deepgill (July 19th, 2011), Fateh (July 20th, 2011), kuldeeppunia25 (July 20th, 2011), malikdeepak1 (July 20th, 2011), ravinderjeet (July 19th, 2011), rohittewatia (July 20th, 2011), tasvir7 (July 20th, 2011), vicky84 (July 20th, 2011)
आप की या डाक (पोस्ट ) सही ढाल संतुलित स | आप जुकर न्यू कहो सो अक आप साम्यवाद के समरथक रहे सो | समर्थक रहन में कोए खराबी नहीं स क्यूंकि समर्थक रहन का मतलब विचारों में समानता होना स | में भी किस्से बखत पे साम्यवादी साहित्य पढया करदा | पर दो चार साल में में न्यू समझ ग्या था अक या चीज कती भी परेकटीकल कोणी | अर कुछ साल पाछे साम्यवाद के सब तें बड्डे गढ़ , सोवियत संघ का पतन भी हो ग्या था |बी,जे.पि में, में खुद इतणी गलती काढ दयूं अक आप ने आज ताहि सोची भी ना होगी ,अक इन् ने इतने बड्डे-बड्डे काण्ड करे सें | ये भी जट्टां के कोए कम दुश्मन ना सें | पर कम तें कम भारत के दुश्मन कोणी | भारतीयता के दुश्मन कोणी | कांग्रेस अर साम्यवादी दल भारत के देशद्रोही सें | भारत की जनता के दुश्मन सें | भारत के दुशमन सें | भारतीय संस्क्रती ,भाषा और समाज के दुश्मन सें | कांग्रेस आज भी अंग्रेजोंको रिप्रेजेंट करती हे, मन से ,कर्म से | साम्यवादी दल आज भी चीन को रिप्रेजेंट करते हैं ,मन से , कर्म से | १९६२ ने भूल गे केरा जब सारा देश एक ओड़ ने था अर साम्यवादी चीन का समर्थन करण लाग रे थे | अर जिस थाली में खावें थे उससे ने फोडन लाग रे थे |जहां -जहां पर साम्यवादी रहे हैं ,वहां -वहां गरीबी पैर पसारे बेठी रही ,रहेगी |
आप समय की धारा के विरोध में एक ठूंठ के रूप में अड़े हुए हैं , आज नहीं तो कल आप को अपने विचार बदलने पड़ेंगे | बदल लेंगे तो समय की धारा के साथ बह कर कहीं पहुंच जायेंगे ,अड़े रहेंगे तो आप के उप्पर अडंगे के रूप में गलेट ( इब्ब मन्ने इह की अंग्रेजी अर हिंदी कोणी आंदी ) कठठआ हो ज्यागा | अर फेर धारा का प्रवाह सब क्याएं ने पाड ले जा गा | मर्जी आप की | विचारां की स्वतंत्रता सब कानी स |
:rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
पगड़ी संभाल जट्टा |
मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |
anil_rathee (July 20th, 2011), Fateh (July 20th, 2011), kuldeeppunia25 (July 20th, 2011), malikdeepak1 (July 20th, 2011), singhvp (July 20th, 2011), spdeshwal (July 20th, 2011), vicky84 (July 20th, 2011), vikasgulia (July 20th, 2011)
भाई रविंदरजीत वो गाना आपने सुना होगा "हर चीज़ नहीं मरकज़ पर सदा, एक रोज़ इधर एक रोज़ उधर" I उसी प्रकार भारतवर्ष जैसे विविधताओं वाले देश में राजनैतिक समीकरण बनते बिगड़ते रहते हैं और हम जैसे मतदाताओं को भी समय एवं परिस्थिति अनुसार अपनी राय बदलनी पड़ जाती है और यह व्यवहारिक भी है I पहली बात तो यह है कि शब्द "मैं " इस वार्तालाप में गौण है I आपने मेरा जिक्र कर दिया तो मुझे अपना स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है I ऐसा नही है कि मैं एक सूखे टूंट की तरह एक जगह खड़ा हूँ , मैं अपनी approach में काफी लचीलापन रखता हूँ परन्तु एक हद तक I लेकिन एक overall leaning जो है वह है समाज के गरीब और शोषित वर्ग के प्रति इसे आप क्या संज्ञा देते हैं यह आपकी समझ है . हमें लकीर का फ़कीर बिलकुल नहीं होना चाहिए I समय एवं परिस्थिती का तकाजा हो तो कभी कभी ऐसे मतदाता को भी वोट देना पड़ जाता है जिसके विचार आप से मेल नहीं खाते क्योंकि lesser evil का सिद्दांत जीवन में अनिवार्य है I सयाने लोग कहते हैं की बड़े दुश्मन को मारने की लिए छोटे दुश्मन के साथ समझोता करना पड़ सकता है I इसे अंग्रेजी में tactical line कहते हैं जो सभी राजनैतिक पार्टियां अपनाती हैं I आप की भाषा में इसे शायद कलाबाजी कहते हैं, परन्तु यह जरूरी है, नहीं तो ठाडा दुश्मन आपने या मन्ने बेरा न कित मरवा के दबवा देगा और घर आले गुमशुदा की रिपोर्ट लिखवाते रह ज्यांगे I इसलिए मैं भी बदमाश से बदमाश और शरीफ से शरीफ राजनेताओं से अपना तालमेल बिठाने में कोई संकोच महसूस नहीं करता क्योंकि रानजीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता I
बाकी मोदी साहब और राहुल की तुलना के विषय में पहले ही काफी चर्चा हो चुकी है, घना गह्टा जोडन का कोए फायदा नहीं, टोपिक का जमा तूड़ा बन चुका I
वैसे हमें व्यक्तिगत टिप्पणियाँ टालने का यथासंभव प्रयत्न करना चाहिए I व्यक्तिगत जीवन में कौन गांधीवादी, मोदीवादी , नक्सलवादी , साम्यवादी या कोई अन्य वादी है इसकी यहाँ इस विषय पर कोई प्रासंगिकता नहीं नज़र आती, शायद I These are just metaphors. Let us stay on the topic.
Last edited by singhvp; July 20th, 2011 at 08:39 AM.
Fateh (July 20th, 2011), malikdeepak1 (July 20th, 2011), ravinderjeet (July 20th, 2011), rohittewatia (July 20th, 2011), vicky84 (July 20th, 2011)
Request to all including me, to avoide personal biases, hatered, politics, abusive/insulting language, hitting below the belt and show off, if we want to make use of this forum for unity, well being and education of the community also to help each other, learn from each other and enjoy each others association, to save our culture, get help in the progress of the community. The forum should be used to make friends rather than fighting on every post, we must love/respect each other.
Last edited by Fateh; July 20th, 2011 at 10:18 AM.
anilsangwan (July 20th, 2011), kapdal (July 20th, 2011), ravinderjeet (July 20th, 2011), singhvp (July 20th, 2011), vicky84 (July 20th, 2011)
ना भाई, गलेट इब ताएँ ना पड्न दी, इब के पड़ेंगी I वैसे भी हमने कौनसा इलेक्शन लड़ना सै I मैं तो नदी के किनारे ठूंठ हो रह्या सूं इब बेरा न कद तेज़ धार मैं बह ज्यांगा I इसलिए इब कोए परवाह नहीं I वैसे अंग्रेजी मैं इसने weeds भी कह दिया करैं, यानि घास फूस आर डाली पानी में बह के कट्ठी हो के गुल्जट सी पड जाया करै ठूंठ के आर बार I इसे ठूंठ तो इब भैन्स्वाल में भी कोन्या रहे I आजकल सबनै कलाबाजी आवै सै I
वि.पि जी , बात न्यू स अक विचारां की भिन्नता ना होगी तो यु तागा भी कोणी चाले | नाड़ झुका के तो भेड़ बकरी चाल्या करें | आप न्यू ना सोचियो अक आप का विरोध करण लाग रे सें ,ना , यु तो विचारां का विरोध स | बाकी गरीब का इतना भी ख़याल ना करना चाहिए अक वो काम बंद कर कें मुफ्त खोर बन ज्या | आपना हक़ खोषण के चक्कर में दुसर्यां का हक़ मारण लाग्ज्या | सर "वीड्स" का तो मन्ने भी बेरा स इह का मतलब खरपतवार हो स | पर जब इह की "गलेट" बन्ज्या स उह की अंग्रेजी बताओ |
:rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
पगड़ी संभाल जट्टा |
मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |
kuldeeppunia25 (July 20th, 2011), singhvp (July 20th, 2011)