शक्कर भीजी
खेल का नाम --इह खेल का नाम एक कविता सी गाया करदे उह के कारण पड्या स और किते किस्से और नाँ तें भी खेल्दे होंगे |
खेल का सामान --- किम्मे भी नि |
खेल का परकार :-यु खेल एक तरफ़ा हो स अर दो-दो ज्नायाँ की टीम बन्या करे, एक टीम के काण आवेगी अर बाकी सारी टीम खेलेंगे |
काण ------इह में आइस -पाइस की ढाल ,आदया-पादद्या---------कह के ने काण दिया करें |
बखत --- यु खेल गर्मियां की रात में घणा खेल्या जाया करे |
नेम (नियम )-- इह खेल में कितने भी बालक खेल सके सें | सब एक दुसरे की गेल्याँ जोड़ी बणा लेंगे |जिह जोड़ी के काण आवेगी उह मां तें एक जण कोड़ा हो के ने किहे रूंख के साहरे अर क: किहे भींत के सहारे खड्या हो जा गा | जोड़ी मां तें दुसरा पकड़न खातर भाजेगा दूसरी टीम(जोड़ी ) की गेल्याँ |किस्से भी जोड़ी मां तें एक जणा बी पकड़ा गया तो उह जोड़ी के काण आ जा गी | जब वो किहे की गेल्याँ भाजे गा तो बाकी घोड़ी (काण आला छोरा जो घोड़ी बन्न के खड्या स )के उप्पर मझक लेवेंगे |जोड़ी आला छोरा आपनी घोड़ी के लव धोरे-के-ए हंडे जा गा ,आपणी घोड़ी ने लद्दन्न तें बचाण खातर | या तले छ्पी होड़ कविता घोड़ी के उप्पर बेठ्निया गावेगा अर ख़तम होंदी-ए उतर जावेगा ,ज्युकर दुसरा भी उह पे बैठ सके | कई उत बालक सहज सहज गाया करदे घणी वार बेठन के मारे ,पर जा दुसरे बाट में खड़े हों तो वे भी ताव्ले गा के ने उह ने तार देंगे , आप बेठन्न के मारे |जा घोड़ी हार (थक ) जा तो जो छोरा पकड़दा हंडे से जोड़ी आला वो घोड़ी बन जा गा |अर घोड़ी बन्या होड़ फेर पकड़न भाजेगा |
कविता :-
शक्कर भीजी
शक्कर भीजी
भिज्या गुड अर तेल
तेरा जोड़िया भाजता हंडे
भुंडी बणगी तेरी गेल
इतने काण ना उतरे थारी
तू घोड़ी बण म्हारी |