मन्ने खेल आले तागे में आपने देशी खेल जिन्न ने खेल-खेल के हाम बड्डे होए किते जीकर कोन्या पाया | खेल भी किसे कौम /देश की पिछान हों सें | इस तागे में जो खेल हामने खेले सें वे पुरे नियम की गेल अर क्यूकर खेल्या जाया करे उसकी पूरी विधि की गेल छापूंगा | और कोए भी छापना चाहवे उनका सुवागत स ,पर जो भी छाप्पो तो पूरी जानकारी की गेल छाप्पो न्यू नहीं अक हाम भी एक इसा सा खेल खेल्या करदे इब्ब कोणी बेरा | जा में गाम में गया तो उड़े तें में फोटू भी ल्या कें ने छापूंगा खेल खेल्दे बालकां के | ना ते कोए भी लिंक दे के ने छाप सके स |तो पहला देशी जट्टू खेल प्रस्तुत स :-
लाभ्भ्क लितरा
खेल का नाम -- लाब्भ्ना का मतलब से प्राप्त करणा या टोहना ,लितरा =टूटे फूटे जूते चप्पल ने कह दिया करें |
खेल का सामान --- एक चार या पांच मीटर की जेवड़ी , एक खूंटा ,के :झाँखी का गज के:कोए रूंख जिह के जेवड़ी बाँधी जा सके , अर जो भी पायां में पहर रया हो वे लितरे|
खेल का परकार :- यु खेल एक तरफ़ा खेलहो स जिह में एक के काण दिया करें | अर बाकी उसके विरुद्ध खेल्या करें |
काण ------ कोए भी काण देवन आली कविता कह के ने काण दिया करदे ज्युकर --आदया पादया किः ने पादया चूं चां चुप | हर शब्द पे एक जणा बहार हो जांदा अर जो आखिर में बच जांदा उह ने फेर काण दी जाया करे |(काण =जिह ने बाकी सारे खिलाने हों ,जुकर लूकम-लुकाँ(आइस-बाईस )में एक जणा टोहया करे )
बखत --- यु खेल गर्मियां में किस्से रुंख तले या गाल में जित छांह हो उड़े खेल्या करदे |
नेम (नियम )-- जिह बालक के काण आज्या वो जेवड़ी का एक ओड खूंटे /रूंख /गज के बाँध देवेगा अर दुसरा छोर आप पकड़ के ने खड्या हो जा गा | घनखरे जेवड़ी ने माडा सा लपेटा दे राख्या करें ज्युकर पायां में ना उलझे अर विरोधी ने न्यू कोणी बेरा पाटे अक जेवड़ी कितनी लांबी ताहि जा गी | सारे जाणे चारुं ओड खड़े हो ज्यां गे अर लितरे ठावन की कोशिश करेंगे | जा एक भी चप्पल जूती किस्से के ठा जा तो उस चप्पल जुती ने भी बगा-बग़ा के चप्पलआँ के मार्या करें दूर तें जुकर और चप्पल जूती बाहर लिक्डावें, के खींड जावें ,अर जिह के जिन्नी ठा जा वो आपने धोरे राखेगा | जा चप्पल जूती मारदी हान बिचाले जा पड़े तो वा उड़े-ए पड़ी रह्वेगी इतने पहलम की ढाल उहने ठा ना लें |जेवड़ी आला बालक जो भी उह के लोवे लागेगा लितर ठावन खातर उस्से की गेल भाजेगा | बिना जेवड़ी छोडें जा वो किस्से के हाथ ला दे गा तो फेर काण उह के आज्या गी जिह के हाथ लाया स | ना ते जा आखरी चप्पल उठ जा ऐ जिब ताहि उहने किस्से के हाथ कोणी लाया ते फेर उहने आखरी चप्पल उठदे-ए धांही ताहीं भाजना स | अर जिह के जितने लितर हाथ में सें वो उह के बग़ा-बग़ा के मारेगा | धांही के हाथ लागे पाछे उह के नि मार सकदे अर हाथ में ले कें ने भी नि मार सकदे केवल बग़ा के ने मारने हों सें अर ना कोए उह की धांही ताहीं की भाजन की राह में अड़ के खडा हो सकदा अर ना सामी तें मार सकदा गेल तें-ए मारने हों सें |अर फेर उसने फेर जेवड़ी पकड़ के ने खड्या होना पडेगा दूसरी पारी खातर इतने वो बालक उस काण ने दुसरे ताहि हाथ ला के ने नि दे लेन्दा |