ये किस्सा मैं वैसे कही और दुसरे तागे मा पोस्ट कर चूका हूँ पर फेर मन्ना सोच्या के सब तक पहूचान खातर मन्ना टाइम पास माँ डालना पड़ेगा |
ये एक सत्य घटना है |
यो कल (3 Sep - 2011) का ही किस्सा है | सांझ ना मैं एक दुकान वाले मित्र के धोरा समान लेण गया,
उसके पास बैठ गया थोड़ी देर अर बातां करण लग गे, थोड़ी देर पीछा एक बंदा आया |
भाई वो दूकान के आगे एक दुसरे बन्दे गेला बड़ी बड़ी हाकन लाग गया | मैं ये हूँ अर मैं वोह हूं मैं यो करूँगा अर वोह करूँगा |
उसके हाथ मा डोलू (डोल) था, मैं अर मेरा दुकानदार मित्र सोचण लगे अक इसके डोलू मा दूध दाध होगा |
भाई इतना ही सोच्या था पीछे ते उसकी पत्नी आई, आते ही उसके हाथ मा ते डोलू खोस का बगा का मारया रोड़ पा |
डोलू का ढक्कन कही, कुंडा कही अर डोलू कही |
औरत चिंघाड़ का बोली जेरे रंडवे तेरे ते कही थी दूध ल्याण की, यहाँ बैठ के जीभ छेतन लग रया |
खड्या होले अर नहीं तेरे माँ भी ना आज मन्ना रोक सकती |
भाई बेचारा कहाँ अपनी बड़ी बड़ी फेक रहा था, इब ऐसा हो गया ज्णों टेस्ट लेंदे होए मास्टर अग्गा बालक, रोण आला |
घबरा का ओह तो डोलू कानी ना भाग्य इतने मा ट्राफिक की भीड़ ना मसल दिया डोलू, चिपका का रोड़ गेल मला दिया |
उना ठा का बेचारा चुपके ना चल दिए घर कानी |