राणा जी ताश खेलणा जट्टां का खेल नहीं स ,पर यु इब्ब सत्यानाश करण लाग रया स गामां में | अर ऩा किहे ने शरम आंदी | पहलम ताश खेलनिए आदमी ने निखट्टू ,निकरमा कहया करदे अर या बात भुंडी मानी जाया करदी | ३-४ साल पहलम मेरे ५-६ मराठी दोस्त सामड(समर गोपाल पुर ) गए थे एक कुलीग के बियाह में यु गाम म्हारा गुहांड पड़े स | उह ने बता दी अक वो बलहारा का गाम स ,वे लागे हाथ म्हारे गाम में भी चक्कर मारण आगे | हाम ते उड़े रहंदे कोणी पर मेरे काका हर तें फेट के चाले गए | अर आड़े मुंबई में आके सारे हरयाणा आल्याँ का भोत मजाक उड़ाया | वे न्यू बोले अक जित जावे उड़े-ए लुगाई ते काम करदी दिखें अर लोग ताश खेल्दे | थारे लोग काम कोणी करया करें के ?
दूसरी घटना :- मेरे साढू की शिला टाकिज धोरे कोठि स ,इबके में गया ते दो दिन उह धोरे रुक गया | उड़े कई रिटायर्ड बुड्ढे ,(उनमे तें कोए भी आपणे आप ने बुड्ढा मानन ने तयार कोणी था ) कोए मनेजर ,कोए प्रिंसिपल ,कोए मेजोर तें रिटायर्ड हो कें आरे | तडके तड़क उठदे-ए वे सारे (१०-१२ जाणे) होक्का भर के गाल में (सड़क ) बैठ जांदे अर गेल्याँ ताश खेलन लाग जांदे | फेर जब घाम आ जांदा ते कदे कुर्सियां ने नून करदे अर कदे नून | में बोल्या "आप सब कितने साल तें आड़े रहवन लागरे ,जा आप ताश खेलन की थां जा अपणी सड़क पे तम रूंख लाओ ते ये कुर्सी ठाएँ-ठाए ऩा हान्ड़ना पड़े | सारे मेरे कानी मारणे झोटे की ढाल लखाए |