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  1. #381
    Naliasar (नलियासर) is an ancient archeological site in Phulera tahsil of Jaipur district in Rajasthan. Naliasar site is situated on Sambhar-Naraina Road, 4 km south of Sambhar Lake, in Jaipur District of Rajasthan. Naliasar Lake is in west of Phulera.

    नलियासर एक ऐतिहासिक स्थान है जो जयपुर से 83 किमी पश्चिम में सांभर झील से लगभग 3 मील पर स्थित है। नलियासर के एक टीले पर की गई खुदाई में ईसा पूर्व की तीसरी शताब्दी से लेकर 10वीं शताब्दी ई. के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस खुदाई से चौहान युग से पूर्व काल पर भी अच्छा प्रकाश पड़ा है। खुदाई से प्राप्त सामग्री में आहत मुद्राएँ, उत्तर इण्डोसासेनियन सिक्के, हुविष्क के सिक्के, इण्डोग्रीक सिक्के,यौधेयों के सिक्के प्रमुख हैं। गुप्तकालीन चाँदी के सिक्के, सोने तथा ताँबे की वस्तुएँ मिली हैं.

    नलियासर (सांभर) में कुषाण एवं गुप्तकालीन भवनों के अवशेष भी प्राप्त हुये हैं। इन भवनों के प्रारुप को देखने से स्पष्ट ज्ञात होता है कि ई.पू की द्वितीय शताब्दी से लेकर नौवीं शताब्दी तक किस प्रकार के घरों में लोग निवास किया करते थे। जयपुर पुरातत्त्व विभाग द्वारा की गई खुदाई से पूर्व भी सांभर में लगभग सौ वर्ष पूर्व खुदाई की गई थी, जो अनुमानत: ई.पू तीसरी शताब्दी की थी। इस प्रकार सांभर में ईसा पूर्व की तीसरी शताब्दी से लेकर चौहान युग तक यहाँ संस्कृति पनपी एवं विकसित हुई।

    Read more at https://www.jatland.com/home/Naliasar
    Laxman Burdak

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    rajpaldular (June 27th, 2019)

  3. #382
    Tanu Tomar is the UP board intermediate topper in 2019. Tanu is a resident of Badaut area of Western UP district of Baghpat. She got 97.8% by scoring 489 marks out of the 500 in the intermediate exams.

    Read more at Tanu Tomar‎‎
    Laxman Burdak

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    Prikshit (June 12th, 2019), rajpaldular (August 8th, 2019), Saharan1628 (June 27th, 2019)

  5. #383
    Sheela Jat (Bajia) from village Govindpura Basri, tahsil Shahpura, Jaipur, Rajasthan is the topper of Rajasthan Board's Class 10 exams-2019. She is daughter of Mohanlal Jat, who owns four buffaloes, sells milk, her mother is a housewife.

    Read more at Sheela Jat
    Laxman Burdak

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    rajpaldular (August 8th, 2019), Saharan1628 (June 27th, 2019)

  7. #384
    Dr. Jagjit Singh Rathi (20.5.1926-12.7.2019) from Bhaproda village, Jhajjar district in Haryana was a great scientist, serving in USA as Chairman of NASA University. He passed away recently. We pay respect and salute him for his services and good name brought to the community !!!

    Read more at Jagjit Singh Rathi‎‎
    Laxman Burdak

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    neel6318 (August 5th, 2019), rajpaldular (August 8th, 2019)

  9. #385
    One of our valued Wiki Moderator Dr Raj Pal Singh died on 14.03.2019

    We pay him tributes and salute him for his services rendered to our community.
    Last edited by lrburdak; August 6th, 2019 at 05:08 PM.
    Laxman Burdak

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    neel6318 (August 5th, 2019), rajpaldular (August 8th, 2019)

  11. #386
    Jat Ganga (जाटगंगा) or Neel Ganga (नीलगंगा) is the name of tributary of Ganges River near Gangotri in Uttarkashi district of Uttarakhand. The valley of the Jat-Ganga is claimed by China and controlled by India.

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    neel6318 (August 9th, 2019), rajpaldular (August 8th, 2019)

  13. #387
    Jatland Wiki has become a very rich source of Data base. Some of very rare and historical words are found in Jatland only. For example you search आलवाय on Google and you will see that it is only found in Jatland at first and second ranks.
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    rajpaldular (September 27th, 2019)

  15. #388
    जाट इतिहास को समझने के लिए इसे संपूर्णता में पढना जरूरी है। अधिकतर इतिहासकारों ने थोड़ा सा पढ़कर इनके उत्पत्ति के संबंध में व्याख्या दी गई हैं जो सही रूप नहीं दिखा पाते। जाट इतिहास को समझने के लिए एक कहानी है:

    एक गांव में चार अन्धे रहते थे। एक बार गांव में हाथी आ गया। अंधे भी हाथी के पास जाकर उसे टटोलने लगे, एक के हाथ में पूंछ आगई वह बोला यह तो सांप है। दसरे के हाथ में कान आया वह बोला नहीं यह तो छाज है। तीसरे के हाथ में पांव अाया तोवह बोला यह तो खम्बा है। चौथे का हाथ पेट पर पड़ा तो वह बोला, क्यूं झूठ बोलते हो यह तो तख्त है।


    इसी प्रकार जाट इतिहास को विभिन्न लोगों ने अलग-अलग ढंग से समझा तदनुसार इनके उत्पत्ति की व्याख्याएँ कर दी गई हैं।
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    rajpaldular (September 27th, 2019)

  17. #389

    जाट इतिहास को नष्ट करने के प्रयास

    हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इतिहास केवल विजेताओं का ही लिखा गया है। दो संस्कृतियों के द्वंद्व में पराजित संस्कृति को मिटने के लिए बाध्य किया जाता है। विजेता इतिहास की पुस्तकों को इस प्रकार लिखता है जिसमें उसका गुणगान हो, और विजित को अपमानित किया गया हो। हर नया विजेता सत्तासीन होते ही अपनी कीर्ति-कथा गढ़ने में जुट जाता है। इसके लिए वह बुद्धिजीवियों की मदद लेता है। उसका एकमात्र उद्देश्य होता है, पराजित समुदायों के दिलोदिमाग पर कब्जा कर लेना। इस तरीके से वह पराजित लोगों के इतिहास बोध को दूषित कर देता है। इस संदर्भ में जार्ज आरवेल ने कहा था कि ‘किसी समाज को नष्ट करने का सबसे कारगर तरीका है, उसके इतिहास बोध को दूषित और खारिज कर दिया जाए।’ जाट इतिहास को भी पूर्व में इसी तरह से नष्ट करने के प्रयास किए गए हैं।
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    rajpaldular (September 27th, 2019)

  19. #390
    अपना इतिहास जानना क्यों जरूरी है

    इतिहास मनुष्य समाज की उन्नति एवं पतन की सत्य कहानी होता है। उसे पढ़कर पिछली गलतियों से अपने को बचाना और अगले सुकार्यों के लिए प्रेरणा प्राप्त करना मनुष्य का कर्त्तव्य माना जाता है। इसी के आधार पर जन-समाजों का अस्तित्व सुरक्षित रह सकता है।


    उन्नति की इच्छुक प्रत्येक जाति को इतिहास की अत्यन्त आवश्यकता है। क्योंकि जनसमूह जितना प्राचीन गौरवपूर्ण गाथाओं को सुनकर प्रभावित होता है, उतना भविष्य के सुन्दर से सुन्दर आदर्श की कल्पना से नहीं होता। इतिहासशून्य जातियां न उठीं हैं और न उठ सकती हैं। पूर्वजों के महान् कारनामों से लाभ उठाना और आगे बढ़ते जाना इतिहास से ही सीखा जा सकता है। जिन लोगों ने देशनिर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान देना है और जिनकी रगों में आर्यों का शुद्ध रक्त प्रवाहित है उन सम्पूर्ण क्षत्रिय जातियों एवं भारतवासियों को एक मंच पर लाकर संगठित करना स्वाधीन देश की सुरक्षा के हित में परमावश्यक है।
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    neel6318 (November 19th, 2019), rajpaldular (September 27th, 2019)

  21. #391
    इतिहास का महत्त्व

    इतिहास समाज का दर्पण है। किसी देश अथवा जाति के उत्थान-पतन, मान-सम्मान, उन्नति-अवनति आदि की पूर्ण व्याख्या उसके इतिहास को पढ़ने से हमको भलीभांति विदित हो जाती है। जिस देश या जाति को नष्ट करना हो तो उसके साहित्य को नष्ट करने से वह शताब्दियों तक पनप नहीं सकेगी। हमारे देश भारत के सम्बन्ध में यही बात बिल्कुल सत्य सिद्ध हुई है। यह सर्वमान्य सिद्धान्त है कि जिस जाति का जितना ही गौरवपूर्ण इतिहास होगा वह जाति उतनी ही सजीव होगी। इसी कारण विजेता जाति पराजित जाति के इतिहास को या तो बिल्कुल नष्ट करने का प्रयत्न करती है जैसा कि भारत के मुगल, पठान शासकों ने किया था अथवा ऐसे ढंग से लिख देती है जिससे उस जाति को अपने पूर्वजों पर गौरव करने का उत्साह न रहे।


    जर्मनी के महान् विद्वान् प्रोफेसर मैक्समूलर भी लिखते हैं - “A nation that forgets the glory of its past, loses the mainstay of its national character.” अर्थात् जो जाति अपने प्राचीन यश (गौरव) को भूल जाती है वह अपनी जातीयता के आधार स्तम्भ को खो बैठती है।


    एक निर्जीव जाति के लिए इतिहास से बढ़कर दूसरी शक्ति जीवित करने वाली नहीं है। इतिहास में शस्त्र से भी भारी शक्ति है जिससे सूखी हड्डियों में भी रक्त की धारा बहने लग जाती है।
    Laxman Burdak

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    neel6318 (November 19th, 2019), rajpaldular (September 27th, 2019)

  23. #392
    लोक देवता तेजाजी (29.1.1074 - 28.8.1103) की आज पुण्यतिथि है। तेजाजी मुख्यत: राजस्थान के लेकिन उतने ही उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और कुछ हद तक पंजाब के भी लोक-नायक हैं.तेजाजी का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में खरनाल गाँव में माघ शुक्ला, चौदस वार गुरुवार संवत ग्यारह सौ तीस, तदनुसार 29 जनवरी, 1074, को धुलिया गोत्र के जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता चौधरी ताहरजी (थिरराज) राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गाँव के मुखिया थे। तेजाजी के नाना का नाम दुलन सोढी (ज्याणी) था। उनकी माता का नाम रामकुंवरी था। तेजाजी का ननिहाल त्यौद गाँव (किशनगढ़) में था।



    तेजाजी के पूर्वज मूलतः नागवंश की मालवा शाखा के श्वेतनाग के वंशज थे। भैरूराम भाट डेगाना की पौथी के अनुसार ये नागवंश की चौहान खांप (शाखा) की उपशाखा खींची नख के धौलिया गोत्र के जाट थे। श्वेतनाग (धौलानाग) के नाम पर धौल्या गोत्र बना। धवलपाल इनके पूर्वज थे।


    तेजाजी के छठी पीढ़ी पहले के पूर्वज उदयराज का जायलों के साथ युद्ध हो गया, जिसमें उदयराज की जीत तथा जायलों की हार हुई। युद्ध से उपजे इस बैर के कारण जायल वाले आज भी तेजाजी के प्रति दुर्भावना रखते हैं। फिर वे जायल से जोधपुर-नागौर की सीमा स्थित धौली डेह (करणु के पास) में जाकर बस गए। धौलिया गोत्र के कारण उस डेह (पानी का आश्रय) का नाम धौली डेह पड़ा। यह घटना विक्रम संवत 1021 (964 ई.) के पहले की है। विक्रम संवत 1021 (964 ई.) में उदयराज ने खरनाल पर अधिकार कर लिया और इसे अपनी राजधानी बनाया। 24 गांवों के खरनाल गणराज्य का क्षेत्रफल काफी विस्तृत था। तब खरनाल का नाम करनाल था, जो उच्चारण भेद के कारण खरनाल हो गया। तेजाजी का जन्म चौहान शासक गोविन्दराज या गोविंददेव तृतीय के समय में हुआ था।
    तब मुसलमानों की दाखल के कारण गोविंद देव तृतीय ने अपनी राजधानी नागौर से सांभर स्थानांतरित करली थी और नागौर का क्षेत्र तनावग्रस्त सा हो गया था। इसी समय 1074 – 1085 ई. के बीच तेजाजी के पिता ताहड़देव की मृत्यु हो चुकी थी। तेजाजी के पिता 24 गाँव के समूह खरनाल गणराज्य के गणपति थे।


    तेजाजी का ससुराल पनेर भी एक गणराज्य था जिस पर झाँझर गोत्र के जाट राव रायमल मुहता का शासन था। मेहता या मुहता उनकी पदवी थी। उस समय पनेर काफी बड़ा नगर था, जो शहर पनेर नाम से विख्यात था।प नेर से डेढ़ किमी दूर दक्षिण पूर्व दिशा में रंगबाड़ी में लाछा गुजरी अपने पति परिवार के साथ रहती थी। लाछा के पास बड़ी संख्या में गौ धन था। समाज में लाछा की बड़ी मान्यता थी। लाछा का पति नंदू गुजर एक सीधा साधा इंसान था।
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    rajpaldular (September 27th, 2019)

  25. #393

    तेजाजी की वचन बद्धता

    तेजा के जन्म के तीन माह बाद विक्रम संवत 1131 (1074 ई.) की बुद्ध पूर्णिमा (पीपल पूनम) के दिन पनेर गणराज्य के गणपति रायमल जी मुहता (मेहता) के घर एक कन्या ने जन्म लिया। पूर्णिमा के प अक्षर को लेकर कन्या का नाम रखा गया पद्मा। परंतु बोलचाल की भाषा में पेमल दे नाम प्रसिद्ध हुआ। तब तेजा 9 माह के थे और पेमल 6 माह की थी। तेजा के काका आसकरण और पेमल के पिता रायलल जी मुहता ने आपसी घनिष्ठता को रिसते में बदलने का प्रस्ताव रखा तो ताहड़ जी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।


    तेजाजी अब गणराज्य चलाने में दादा बोहितराज की सहायता करने लगे। खरनाल में तेजाजी को नए साथी मिल गए। इनमें से समान विचारवालों में से मुख्य थे – पांचू मेघवाल, खेता कुम्हार और जेतराज जाट।


    तेजाजी महान कृषि वैज्ञानिक थे। इसलिए उन्हें कृषि उपकारक देवता माना जाता है। तेजाजी की सम्पूर्ण कृषि विधि प्राकृतिक पद्धति तथा गौ विज्ञान पर आधारित थी। वे खेती बाड़ी से संबन्धित हर तथ्य की जानकारी रखते थे। खेती में लगने वाले कीट-पतंगों को भगाने के लिए उनके द्वारा अहिंसात्मक अद्भुत विधिया बताई गई थी।


    लाछां गुजरी की गायों का अपहरण मीणों द्वारा कर लिया गया। गायें छुड़ाने के लिए मीणों से तेजाजी का युद्ध हुआ. तेजाजी ने भाला, धनुष, तीर लेकर लीलण पर चढ़ कर चोरों का पीछा किया. सुरसुरा से 15-16 किमी दूर मंडावरिया की पहाडियों में मीणा दिखाई दिए। तेजाजी ने मीणों को ललकारा। तेजाजी ने बाणों से हमला किया। घनघोर लड़ाई छिड़ गई। तेजाजी मीणों के बीच पहुंचे। तेजाजी ने मुख्य शस्त्र बीजल सार भाला संभाला। भाले के एक-एक वार से सात-सात का कलेजा एक साथ छलनी होने लगा। यह अपने किस्म की अनोखी और अभूतपूर्व लड़ाई थी। एक तरफ 350 यौद्धा तो सामने केवल अकेले तेजाजी। भाले से मार-मार कर तेजा ने मीणों के छक्के छुड़ा दिये।मेर-मीणों में से बहुत संख्या में मारे गए तथा बचे लोग प्राण बचाकर भाग खड़े हुये। इस लड़ाई में तेजा के साथ केवल घोड़ी लीलण थी। लीलण ने भी अपनी टापों से मीणों के चिथड़े बिखेर दिये।

    काबरिया पहाड़ी से 2 किमी दूर दक्षिण पूर्व दिशा में घनघोर जंगल के बीच नाड़ा की पाल पर खेजड़ी वृक्ष के नीचे बासाग नाग की बाम्बी पर पहुँच कर नागदेव का आव्हान करते हैं। बासग राज अपनी बाम्बी से बाहर आते हैं और बोलते हैं कि तेजा मैं तेरे वचन निभाने के प्रण से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम जीते मैं हारा। तेजाजी ने अपना भाला जमीन पर लगाया। लीलण ने एक पैर ऊपर उठाया। नाग देव ने लीलण के पैर के लपेटा लगाते हुये ऊपर आकर भाला का सहारा लिया। तेजाजी ने अपनी जीभ बाहर निकाली। नागदेव ने बिना घायल बचे एक मात्र अंग जीभ पर डस लिया।नाग देव ने आशीर्वाद दिया कि तेजा मैं तुझे वरदान देता हूँ कि तूँ कलियुग का कुलदेवता बनेगा। भाद्रपद शुक्ल दशमी शनिवार विक्रम संवत 1160 (तदनुसार 28 अगस्त 1103) के तीसरे प्रहर के समय उनका स्वर्गवास हुआ था।


    तेजाजी ने अपने वचन को निभाने के लिए प्राण दिये। यह हमारा सौभाग्य है कि वे जाट जाति में पैदा हुये. उन्होने जाट जाति का नाम ऊँचा किया और देवत्व प्राप्त किया। हम आज उन्हें शीश झुकाकर स्मरण करते हैं।
    Laxman Burdak

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    rajpaldular (September 27th, 2019)

  27. #394
    तेजाजी का दर्शन और उनके सिद्धान्त


    1. सदा सत्य बोलना


    2. अपने कहे वचन का पालन करना


    3. पर्यावरण से प्रेम करना, खेजड़ी वृक्ष को नहीं काटना


    4. कृषि की उन्नति करना


    5. जीवों के प्रति दया का भाव रखना, परोपकारी पशुओं विशेष रूप से गाय की रक्षा करना


    6.बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना


    7. स्थानीय रूप से उपलब्ध प्रकृतिक संसाधनों का उपयोग स्वास्थ्य के लिए करना


    8. वाणी का संयम करना, दया एवं क्षमा को धारण करना


    9.चोरी, निंदा, झूठ तथा वाद–विवाद का त्याग करना


    10.अंध विश्वास, छुआ-छूत का त्याग करना


    11. नारी की समानता और समता में विश्वास रखना


    12. ईश्वर में आस्था और विश्वास रखना
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    neel6318 (November 19th, 2019), rajpaldular (September 27th, 2019)

  29. #395
    Shrishti Jakhar - From village Dehman, Fatehabad tahsil and district in Haryana. She is first woman tanker in US Army.

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    Laxman Burdak

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    neel6318 (November 19th, 2019), rajpaldular (September 27th, 2019)

  31. #396
    Puram Mal Jat (Dharan) (r.1529-1542) was a ruler of Chanderi in Madhya Pradesh. He defeated Babur's Mughal Army at Chanderi in 1529 and occupied the Chanderi Fort. Shershah Suri attacked the Chanderi fort in 1942 but could not capture the fort in direct war but killed Puram Mal Jat under a conspiracy.

    Read more at Puram Mal Jat‎‎
    Laxman Burdak

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    neel6318 (November 19th, 2019)

  33. #397
    Bhor Saidan (भौरसयैदा) is a village in Pehowa tahsil of Kurukshetra district in Haryana Bhor Saidan village was named after Kaurava hero Bhurisrava of Mahabharta, son of Somadutta the king of Vaishali.

    भूरिसर (p.676): कुरुक्षेत्र में स्थित ज्योतिसर से 5 मील दूर पश्चिम में पहेवा (प्राचीन पृथुदक) जाने वाले मार्ग पर स्थित है. कहा जाता है कि कौरवों के वीर सेनानी भूरिश्रवा की मृत्यु इसी स्थान पर हुई थी. महाभारत द्रोणपर्व 143,54 में सात्यकि द्वारा भूरिश्रवा का खड्क से सिर काट दिया जाने का वर्णन है--'प्रायोपविष्टाय रणे पार्थेन छिन्नवाहवे, सात्यकि: कौरवेयाय खड्गेनापहरच्छिर:'.

    Read more at https://www.jatland.com/home/Bhor_Saidan
    Laxman Burdak

  34. #398
    पटियाला नाम कैसे पड़ा

    पटियाला, पंजाब, (AS, p.521): पटियाला नाम इसके आलासिंह नाम के सरदार की पट्टी (जागीर) में स्थित होने के कारण हुआ था. पटियाला, जींद और नाभा- ये तीन स्थान फूल सिंह नामक एक सरदार को अंग्रेजों की सहायता करने के बदले में दिए गए थे. आला सिंह इसी फूल सिंह का पुत्र था. फूल सिंह ने मृत्यु से पहले पटियाला को आला सिंह की जागीर में नियत कर दिया था. आला की पट्टी या पट्टी आला से बिगड़ कर ही पटियाला नाम बन गया.

    अधिक जानकारी के लिए पढ़िए - https://www.jatland.com/home/Patiala
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  35. #399
    Amin (अमीन) Village is located at a distance of about 8 kilometers from Kurukshetra in Thanesar tahsil of Kurukshetra district of Haryana. It gets name from Arjuna's son Abhimanyu.

    अमीन (हरयाणा) (AS, p.33): अमीन पंजाब राज्य के थानेसर से लगभग 5 मील दिल्ली-अम्बाला रेलमार्ग पर कुरुक्षेत्र प्रदेश में स्थित है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना इसी स्थान पर की थी, और अभिमन्यु ने इसी को तोड़ते समय वीरगति प्राप्त की थी। अभिमन्यु-वध का वर्णन महाभारत द्रोण पर्व (49) में इस प्रकार से आया है- उत्तिष्ठमानं सौभद्रं गदया मूर्ध्न्यताडयत्, गदावेगेन महता व्यायामेन च मोहित:। विचेता न्यवतद् भूमौ सौभद्र: परवीरहा, एवं विनिहतों: राजन्नेको बहुभिराहवे। (महाभारत द्रोण पर्व 49, 13-14) अमीन शब्द को अभिमन्यु के नाम से संबंधित कहा जाता है। अमीन ग्राम के निकट ही 'कर्णवेध' नामक एक खाई है। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर कर्ण को अर्जुन ने मारा था। जयद्रथ के मारे जाने का स्थान 'जयधर' भी अमीन गाँव के निकट ही है।

    Read more at Amin Kurukshetra
    Laxman Burdak

  36. #400
    Jandhera (जंधेरा) is a village in Thanesar tehsil of Kurukshetra district in Haryana. It is also called Jayadhara and is probably the place where Jayadratha of Mahabharata was killed.

    जयधर (हरयाणा) (AS, p.356): कुरुक्षेत्र प्रदेश में अमीन (=अभिमन्यु) ग्राम के निकट ही 'जयधर' नामक स्थान है जहाँ किंवदंती के अनुसार जयद्रथ को मारा गया था। महाभारत द्रोण पर्व 146,122 में जयद्रथ के वध का विवरण इस प्रकार है--'सतु गांडीव-निर्मुक्त: शर:श्येन इवाशुग:,छित्वा शिर: सिंधुपते-रूत्पपात विहायसम्'

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    Laxman Burdak

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