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Thread: Do you know ?

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  1. #11
    Quote Originally Posted by lrburdak View Post
    Jathera
    History and study of the Jats. By Professor B.S Dhillon (p.113) explains about Jathera.

    Can somebody write a para on Jathera so as to add to Jatland Wiki.

    Why is Jathera tradition not found in Rajasthan Jats ?

    बुरडक जी ,हरयाणा में भी ये परम्परा हे | हम इससे धोक या भईयाँ कहते हैं | यहाँ पर जब दुहला घुड चढ़ी पर जाता हे या बरात चढ़ने से पहले दिया (धोक =दाहक=अग्नि )जलाता हे और अन्न का चढ़ावा चढ़ाता हे और विवाह के अगले दिन कूँआ ,जोहड़ ,और भईयाँ पर पति पत्नी को गाँव की औरतें गीत गाते हुए साथ ले जा कर धोक मरवाती हैं | ये असल में हमारी जल को और हमारे पूरवजों को पूजने की परम्परा का ही एक अंग हे | ज्यादातर जब पहली बार कोई पूर्वज जिस ने ये गाँव बसाया हो और उनोहने जहां पर आग जलाई हो उस्सी स्थान को भईयाँ बना दिया जाता था | इस भईयाँ पर धोक जाट ही लगाते हैं बाकी जातियों को हमने ये परम्परा निभाते नहीं देखा हे | अभी तक गाँव में ये परमपरा रही हे की घर में आग को बुझने नहीं दिया जाता था | आग को चूल्हे या हारे में राख के नीचे दबा कर रखा जाता था | और जिस के घर में आग बुझी रहती थी या अकसर बुझ जाती थी ऐसी घर वाली औरत को फूहड़ या गेर जिम्मेदार माना जाता था | हमारी ये आग पाणी और चीत्ण (चित्र ) बनाने पूजने की परम्परा भारत में इरान से आकर बसे पारसीओं से बहुत मिलती जुलती हे | जठेरे का शाब्दिक मतलब जेष्ठ या बड़ा होता हे | हरयाणा में बड़ेरे भी बोल देते हैं ,सिंध में वडेरे शबद का इस्तेमाल धनी या जमींदार के लिए प्रयोग किया जाता हे | मेने एक बार पढ़ा था की शिवलिंग वास्तव में जट्टों द्वरा आग को दबाये रखने का स्थान होता था और उस के चारों और एक नाली खोद दी जाती थी और एक ओर पाणी निकासी का पर्बंध कर दिया जाता था ताकि अगर आगे -पीछे कहीं से पाणी आ जाए तो वो उस आग को ना बुझा पाए | क्योंकि जाट अग्नि को पवित्र मानते थे और इस रूपमे उस को जलाए रखते थे | कालान्तर में उस्सी स्थान को भईयाँ ,धोक या जठेरे बोला जाने लगा | भाम्नों ने उस को शिवलिंग का रूप दे दिया और मंदिर बना कर पूजने लग गए , और अनेक झूठी कहानियां घड दी |
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

  2. The Following 10 Users Say Thank You to ravinderjeet For This Useful Post:

    DrRajpalSingh (September 19th, 2012), jchoudhary (September 20th, 2012), JSRana (September 12th, 2012), lrburdak (September 12th, 2012), narenderkharb (September 14th, 2012), op1955 (September 20th, 2012), raka (September 19th, 2012), satyenderdeswal (September 19th, 2012), ssgoyat (September 19th, 2012), vijaykajla1 (September 12th, 2012)

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