गाम के चौधरी कि छोरी शहर ते पढ के वापिस आयी, ते चौधरी ने आस-पास के गाम के कई लोगों ते जीम्मन खातर गाम के तालाब के किनारे न्योता दिया.
घणे लोग आये. चौधरी ने एलान किया कि जो भी गाबरू जवान इस तलाब(जिसमें बडे बडे मगर्मछ भरे थे) ने पार कर देगा उस तेही मैं १ करोड रुपये या अपनी छोरी का हाथ दे दूंगा येह जीतन आले की मर्ज़ी पे होगा.
इतना कहना था कि सबने छपाक की ज़ोर दार अवाज़ सुनी और देखा कि रून्डा तावली तावली तैरता आवै सै. किसे तरिया रून्डा किनारे पहुचा. बाहर लिकडा तो लहू लुहान लत्ते पाट्टे पडे.
चौधरी बडा खुश होया अर बोल्या.. वह भाई रून्डा तु ते घणा ए बहादुर सै.. मन्ने तो सोची थी के काम कोइ कौनी कर पायेगा. बता तन्ने मेरी छोरी क हाथ चहिये कि १ करोड रुपिये?
रून्डा बोल्या.. चोधरी न मन्ने तेरी छोरी चहिये न पीशे...
मन्ने तो तु उस आदमी का नाम बता दे जिसने मेरे ताही धक्का दिया था