गुलगुले
समय :- ये चोमाश्यां में खाए जाया करें| इह का एक कारण ते यु स अक ये ताशिर के गरम हो स ,दुसरा ये सरसम के तेल में तले जावें सें ज्यां तें चोमास्याँ में खाज खुजली अर कई ढाल की फंगस तें भी शरीर का बचाव हो स शराषम का तेल बरतन के कारण |
सामग्री :- गिहूँआँ का चुन ,सरषम का तेल , गुड|
मात्रा :- एक पांच माणसआँ के कुन्बे की खातर लगभग ५०० ग्राम गिहूँआँ का चुन ,तलन खातर अनुमान का शरषम का तेल , अर दो-तीन पेड़ी गुड की |
बणाने की विधि :- पहलम कढाई चढ़ा ल्यो अर तेल ताता कर ल्यो |गेल की गेल गुड की चाशनी बना ल्यो अर गिहूँआँ का चुन में चाशनी गेर के ने आच्छी ढ़ाल घोळ ल्यो | फेर कढाई में पाणी के छिंडे मार के ने देख ल्यो चटर-पटर होणी चाहिए ,मतलब तेल खूब ताता होणा चाहिए या उबल्णा चाहिए ना ते गुल्गुल्याँ में सुवाद नि आवेगा अर तेल घणा पी ज्यांगे |जब गुलगुले गहरे भूरे हो ज्यां जब काढ ल्यो | ये कई दिन ताहीं खाए जा सकें सें बास्सी कोणी होया करें |