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Thread: ye kya ho rahaa he

  1. #1

    ye kya ho rahaa he

    WHAT I SAW TODAY
    मै पूछना चाहता हूँ सभी मजहब के ठेकेदारों से, शाशन चलाने वाले लोगों से और सभी भारतीय बन्धुओं से क्या आप इस माँ का दूध नही पिये क्या सारी जिन्दगी अपनी ही माँ का दूध पिये हो
    क्या जब मां काम करने योग्य नही रहती तो उसका भी गला इसी तरह से कटवाऩे को तैयार हो जाते हो अगर ऩही तो इस माँ के साथ ये अत्याचार क्योँ ?
    ये निर्दोष पशु के खाल एवं माँस और हड्डी तक मात्र चन्द पैसों के लिये बेच रहे हैँ समझ नही आता कि ऊपर वाला इनके लिये कौन सा दोजख बऩा रहा है अगर अब भी ना चेते तो पूरे देश में इनका नामो-निशान मिट जायेगा और सरकार तो जैसे अपनी माँ की खाल से प्राप्त चन्द पैसों की खातिर आँख बन्द कर चुकी है अब ये लड़ाई लड़नी पड़ेगी आम आदमी को । जब तक एकजुट हो कर आगे ऩही आओगे तब तक ये लोभी नही सुधरेंगे
    आओ सब मिल कर इस तस्वीर को सभी ग्रुप में शेयर करते हैँ ताकि इस समस्या को समाधान हेतु मिल कर विकल्प ढूँढा जाये
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

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    AbhikRana (July 7th, 2012), amankadian (July 2nd, 2012), anilrana (July 8th, 2012), balraaj (July 9th, 2012), Dagar25 (July 4th, 2012), deependra (February 28th, 2012), karambir11 (October 20th, 2011), Moar (February 27th, 2012), narvir (July 2nd, 2012), rajpaldular (October 18th, 2011), sanjeev1984 (July 2nd, 2012), skarmveer (February 28th, 2012), sukhbirhooda (October 18th, 2011), sunillore (July 7th, 2012), Sure (February 28th, 2012), thukrela (November 19th, 2011), vijaykajla1 (October 18th, 2011), vishalsunsunwal (October 18th, 2011)

  3. #2
    bahut hee dukhad hai....gau mataa hai hamari....jab tak congress hai....sab kuch hota rahega Bharat me.....

    ab to ek hee samadhan hai ki

    'CONGRESS BHARAT CHHORO'
    India and Israel (Hindus & Jews) are true friends in this World. Both are Long Live and yes also both have survived and surviving under adverse conditions.

  4. #3
    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post
    WHAT I SAW TODAY
    मै पूछना चाहता हूँ सभी मजहब के ठेकेदारों से, शाशन चलाने वाले लोगों से और सभी भारतीय बन्धुओं से क्या आप इस माँ का दूध नही पिये क्या सारी जिन्दगी अपनी ही माँ का दूध पिये हो
    क्या जब मां काम करने योग्य नही रहती तो उसका भी गला इसी तरह से कटवाऩे को तैयार हो जाते हो अगर ऩही तो इस माँ के साथ ये अत्याचार क्योँ ?
    ये निर्दोष पशु के खाल एवं माँस और हड्डी तक मात्र चन्द पैसों के लिये बेच रहे हैँ समझ नही आता कि ऊपर वाला इनके लिये कौन सा दोजख बऩा रहा है अगर अब भी ना चेते तो पूरे देश में इनका नामो-निशान मिट जायेगा और सरकार तो जैसे अपनी माँ की खाल से प्राप्त चन्द पैसों की खातिर आँख बन्द कर चुकी है अब ये लड़ाई लड़नी पड़ेगी आम आदमी को । जब तक एकजुट हो कर आगे ऩही आओगे तब तक ये लोभी नही सुधरेंगे
    आओ सब मिल कर इस तस्वीर को सभी ग्रुप में शेयर करते हैँ ताकि इस समस्या को समाधान हेतु मिल कर विकल्प ढूँढा जाये
    Ravinder ji Parso raat ko Lakhanmazra gaon ke logo ne 2 truck pakde gaay ke bhare hue and unhe police ke hawaale kar diyaa pit paat ke and police walo ne unhe chod diya truck samet kal subah isi ke virodh me Lakhanmazra ke logo ne jaam laga diya aur saare raste jaam kar diye waha ke....
    जाट के दो ठिकाने 1 ठेका 1 थाने.:rock

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  6. #4
    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post
    No reason to get panicky. These images by this "Rajesh Gupta" does not seem "real" photos. He seems to have superimposed one image on other, or has played with photo editing/animation tools. It can be argued that these images and blog posts can be best left "un-commented" and they would peacefully die their own death.

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    bazardparveen (February 28th, 2012), cooljat (October 18th, 2011), kapdal (October 18th, 2011), vishalsunsunwal (October 18th, 2011)

  8. #5
    Arvind ji ,if some body is playing with the sentiment of Hindu's with fake pictures ,then it is very bad, these type of mails may lead to trigger the riots, if real then it is a shame for Hindu (Vedic) world.
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

  9. The Following User Says Thank You to ravinderjeet For This Useful Post:

    vishalsunsunwal (October 18th, 2011)

  10. #6
    Quote Originally Posted by Rajkamal View Post
    Ravinder ji Parso raat ko Lakhanmazra gaon ke logo ne 2 truck pakde gaay ke bhare hue and unhe police ke hawaale kar diyaa pit paat ke and police walo ne unhe chod diya truck samet kal subah isi ke virodh me Lakhanmazra ke logo ne jaam laga diya aur saare raste jaam kar diye waha ke....
    फेर ते पुलिस आल्याँ के ठोकने चाहिए थे गेर के ने ,इस्स्याँ ने ते थाणे में-ए गेर के ने फूंक दे |
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
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    kuldeeppunia25 (February 28th, 2012), Moar (February 27th, 2012), narvir (July 2nd, 2012), rohittewatia (January 6th, 2012), vishalsunsunwal (October 18th, 2011)

  12. #7
    Its very sad. We should protest and start a war against all this crap.

    I want to ask a simple question to all Non-Vegis, "Can you kill an animal yourself and cook it ?"

    If your answer is 'NO'. Be a vegetarian from Today.
    Regards

    Shiv K. Chaudhary
    --------------------------------------------------------------
    The ultimate measure of a man is not where he stands in moments of comfort, but where he stands at times of challenge and controversy. .

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    Dagar25 (July 4th, 2012), Moar (July 2nd, 2012), narvir (July 2nd, 2012), sukhbirhooda (October 18th, 2011), sunillore (July 7th, 2012), vishalsunsunwal (October 18th, 2011)

  14. #8
    पहले एक रानि गाए नाम की नसल होती थी जो जंगलो में सुनि घुमती थी खेती का नुक्सान करती थी | आजकल वे गाये कहीं भी नजर नहीं आती निसान तो दूर उनका नाम भी मिट गया , सबसे पहले लोगो ने उनको ख़त्म किया | फिर बारी आई नील गाए ( रोंज) की जो अब खात्मे के कागार पे हैं | अब बारी आ गई हैं हमारी इस बेचारी गऊ माता की | वो गाए तो जंगली थी कोई काम की ना थी पर जो बुरी हमारी बेचारी इस गऊ माता में बनी वैसे तो किसी में नहीं बनी | इस बेचारी का यो हाल कर दिया के न तो या घर की रही न घाट की | अब ना तो इसे मरने देते हैं और ना जीने | अब जंगल में रहेगी तो खेतो में ही चरेगी वहा इसे चरने नहीं देते | मुझे याद हैं 8 -10 साल पहले जब मैं गाँव में रहता था तो हमारे गाँव में एक रुखाला छोड़ रखा था जो दिन में आवारा पशु लाकर फाटक में रोकता था और इन पशुओ में सिर्फ गाए ही आवारा थी | फिर रात में हम उन आवारा पशुओ ( गाए ) को एक ट्रक में चढ़ा कर कहीं दूर दुसरे गाँव में छोड़ आते थे | जब सवेरे देखते तो इतने ही पशु और आये मिलते गाँव में क्योंकि यही कार्यवाही दुसरे गाँव वाले करते होंगे वो अपने आवारा पशु हमारे यहाँ छोड़ जाते | इन आवारा पशुओ में सिर्फ गऊ माता ही होती हैं आवारा | घर में गऊ बांदेंगे नहीं और जंगल में छोड़ी तो खेत का नुक्सान सहन नहीं होता तो अब बेचारी या गऊ माता जाये तो कहा जाए ? घर में अमरीकन गाए बांदना पसंद करेंगे क्योकि वो 25 -30 किलो दूध देती हैं और या बेचारी माता हद मार के 3 -4 शेर | वो बिकती हैं 25 -30 हजार की या माता 5 -6 हजार की | आज के युग में पैसा पीर हो गया हैं तो फिर इस टोटे को घर में कौन रखे ? सबसे ज्यादा इस गऊ माता की आवाज ये शहर वाले उठाते हैं जिन्होंने कभी पशु रखे ही नहीं आज उनको इस माता की चिंता सता रही हैं | जब केंद्र में भाजपा की सरकार थी तो आडवानी साहब ने संसद में गऊ माता का प्रश्न उठाया तो मुलायम सिंह यादव ने कहा था के हमारे घरो में आज भी गाए बंदी मिल जायेंगी पर आज जो लोग यह सवाल कर रहे हैं उनके घरो में एक भी गाए बंदी दिखा दो ?
    गऊशाला में गऊ छोड़ने जाओ तो गौशाला वाले पहले उसका खर्चा मांगते हैं अगर नहीं तो उस माता के लिए वहा जगह नहीं हैं | पता नहीं इन गौशाला वालो का क्या करते हैं हर साल गाँवों से गौशाला के नाम से अनाज और तुड़ा माग कर ले जाते हैं और शहरो में बैठे सेठ लोग भी पैसा भेजते हैं , गौशाला में गाए का दूध घी भी बिकता होगा सो अलग | जो गऊ माता बेचारी आजके इस महंगाई के दौर में अपने दूध घी से अपना खर्चा नहीं चला पा रही उसका ये आमजन कैसे भोज उठाये अब | आज बेचारी या गऊ माता मोमजामे खाकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं |
    आजकल शहर के लोगो ने तो ngo बनाकर खाने का तरीका खोज रखा हैं तो वहीँ गाँव वालो ने गौशाला के नाम से खाने का तरीका खोज लिया | इस गौशाला के नाम से चंदा इकठ्ठा करने का जिम्मा जाटों ने उठा रखा हैं और चंदा खाने का उस गौशाला में बैठे मुनीम जो एक पंडित मिलेगा उसने उठा रखा हैं |
    या तो बेचारी इस गऊ को मरने दो या फिर जो लोग इसके लिए आवाज उठा रहे हैं सबसे पहले इस माता को अपने घर में बांदे फिर इसको बचाने की बात करे |
    आज जो ऐसी करतूत इस गऊ माता के साथ हो रही हैं उसके जिम्मेवार हिन्दू ही हैं कोई और नहीं |
    गऊ माता के लिए गौशाला खोल दी बेचारी का घर छुट गया और अब आनेवाले समय में अपने बुजुर्गो के लिए हर गाँव में एक एक वृद आश्रम खोलकर उनकी भी तैयारी कर दी हैं |
    Last edited by raka; October 18th, 2011 at 05:57 PM.
    " जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
    जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से
    |"

    " इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
    डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
    ...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण

  15. The Following 13 Users Say Thank You to raka For This Useful Post:

    Arvindc (October 18th, 2011), dndeswal (July 2nd, 2012), kuldeeppunia25 (February 28th, 2012), narvir (July 2nd, 2012), ndalal (July 2nd, 2012), ravinderjeet (October 18th, 2011), rohittewatia (January 6th, 2012), ssgoyat (July 7th, 2012), sukhbirhooda (October 18th, 2011), sunillore (July 7th, 2012), vicky84 (July 2nd, 2012), vijaykajla1 (October 18th, 2011), vishalsunsunwal (October 18th, 2011)

  16. #9
    थोड़े दिनाँ में बलध अर गाँ के ते फोटूआँ में दिखेंगी अर के फेर चिड़िया घर में |
    :rockwhen you found a key to success,some ideot change the lock,*******BREAK THE DOOR.
    हक़ मांगने से नहीं मिलता , छिना जाता हे |
    अहिंसा कमजोरों का हथियार हे |
    पगड़ी संभाल जट्टा |
    मौत नु आंगालियाँ पे नचांदे , ते आपां जाट कुहांदे |

  17. The Following User Says Thank You to ravinderjeet For This Useful Post:

    vishalsunsunwal (February 28th, 2012)

  18. #10
    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post
    [/COLOR]
    inhumane treatment of animals.
    Attention seekers and attention getters are two different class of people.

  19. The Following 5 Users Say Thank You to urmiladuhan For This Useful Post:

    amankadian (July 2nd, 2012), DrRajpalSingh (December 22nd, 2011), Moar (February 27th, 2012), narvir (July 2nd, 2012), sukhbirhooda (March 2nd, 2012)

  20. #11
    Quote Originally Posted by ravinderjeet View Post
    थोड़े दिनाँ में बलध अर गाँ के ते फोटूआँ में दिखेंगी अर के फेर चिड़िया घर में |
    रविंदर जी मध्य प्रदेश ने तो अपनी दृढ संकल्प से गो वंश वध प्रतिषेध विधेयक को राष्ट्रपति से मंज़ूरी ले ली है |
    क्या इस तरह के कदम दूसरी राज्य सरकारों को भी नहीं उठाने चाहियें ?..

    http://www.bbc.co.uk/hindi/rolling_n...ghter_rn.shtml

    मध्यप्रदेश सरकार के गौ-वंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2010 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।

    संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद प्रदेश में गौ-वंश वध के अभियुक्त को अपने ख़िलाफ़ लगने वाले आरोपों को गलत प्रमाणित करना होगा.
    इस कानून के लागू होने के बाद मध्य प्रदेश में जिसके भी घर में गौ मांस पाया जाएगा उसे नून्यतम 5000 रुपए जुर्माना हो सकता है. जुर्माने के अलावा दोषी व्यक्ती को कम से कम तीन साल और अधिकतम सात साल की जेल की सज़ा हो सकती है.
    राज्य के पशुपालन मंत्री अजय बिश्नोई के अनुसार राज्य में गाय को बचाने के लिए पूर्व में बनाये गए कानून कमज़ोर थे और उनसे गौ वंश की रक्षा नहीं हो पा रही थी.
    Remember, we all stumble, every one of us.
    That's why it's a comfort to go hand in hand.
    :D

  21. The Following 10 Users Say Thank You to JSRana For This Useful Post:

    AbhikRana (July 7th, 2012), balraaj (July 9th, 2012), deshi-jat (January 3rd, 2012), Moar (February 27th, 2012), narvir (July 2nd, 2012), rohittewatia (January 6th, 2012), sukhbirhooda (March 2nd, 2012), sunillore (July 7th, 2012), vijaykajla1 (January 3rd, 2012), vishalsunsunwal (February 28th, 2012)

  22. #12

  23. The Following User Says Thank You to DrRajpalSingh For This Useful Post:

    sukhbirhooda (March 2nd, 2012)

  24. #13
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

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    AbhikRana (July 7th, 2012), balraaj (July 9th, 2012), DrRajpalSingh (July 2nd, 2012), JSRana (July 2nd, 2012), ravinderjeet (July 4th, 2012)

  26. #14
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  27. The Following 5 Users Say Thank You to RavinderSura For This Useful Post:

    AbhikRana (July 7th, 2012), balraaj (July 9th, 2012), JSRana (July 2nd, 2012), ravinderjeet (July 4th, 2012), vicky84 (July 2nd, 2012)

  28. #15
    भाई सूरा साहब भारत में अंधविश्वास को कोई सीमा नहीं है |
    Remember, we all stumble, every one of us.
    That's why it's a comfort to go hand in hand.
    :D

  29. The Following User Says Thank You to JSRana For This Useful Post:

    balraaj (July 9th, 2012)

  30. #16
    Quote Originally Posted by RavinderSura View Post
    Is pakhandvad ko samapat karne ke liya ek aur Swami Dayanand Sarsawati ke aane ki intzar harek ko hai. Kya Koi aaz ka samaj sudhark is disha mein kaam karane ko tyar hai!

  31. The Following 3 Users Say Thank You to DrRajpalSingh For This Useful Post:

    balraaj (July 9th, 2012), JSRana (July 2nd, 2012), sunillore (July 7th, 2012)

  32. #17
    South mei bakron ki bali di jaati hai.. pakhandwaad ki koi seema nahi hai. Baaki sidhi si baat hai.. Bharat Sarkar soyi hui hai..usme jo sarkaari mulazim hai,, we muft ki roti todte hain..aur desh ko chuna lagate hain.. Inko kaam karne ka tarika nahi aata.. Sarkari tantra mei ek bahut baade badlaav ke bina ye saab aise hi chalta rahega. Awara janwaron ki durgati aise hi hogi.
    Last edited by vicky84; July 2nd, 2012 at 05:28 PM.

  33. #18
    डा साहब जी,

    काम करने वाले तो बहुत है हमारे देश में,ज्ञान की भी कोई कमी नहीं है,होंसला और हिम्मत भी है!
    मगर एक समस्या बहुत बड़ी है हमारे देश में जिसकी वजह से कोई भी अच्छा काम उतना बड़े पैमाने पे नहीं हो पाता जितना की किसी बदलाव के लिए उसे होना चाहिए!
    वो समस्या है आम आदमी की मानसिकता !
    मै ये बात अपने खुद के वास्तविक अनुभवों के आधार पे कह रहा हु जो मैंने महसूस किये है कई बार !

    मै कोशिश करता हु आप लोगो को समझाने की....
    जैसे की आप कोई भी काम अच्छा जिसमे आपका व्यक्तिगत कोई भी फायदा न हो,आप का समय,पैसा और आपके पुरे साधन आप उस काम में
    लगा रहे हों, आप दिलो जान से उसमे लगे हों तब ये समस्या आपके आगे आती है !
    आप काम बड़े पैमाने पे करते हों तो जाहिर सी बात है बड़ी तादाद में लोगो का साथ चाहिए मै विश्वास के साथ कह सकता हूँ की अगर सौ लोग आपके साथ होंगे तो एक हजार लोग आपके खिलाफ खड़े मिलेंगे आप को और वो वो लोग होंगे जिन्हें खुद तो कुछ करना नहीं है अच्छा काम और दुसरो को भी करने नहीं देना है !
    वो लोग बहोत ही अच्छी अच्छी बाते निकाल कर लायेंगे,और ऐसी बाते लायेंगे जिनका कोई मतलब और कोई जवाब आप के पास नहीं होगा !
    ये लोग पीछे लग जाते है उस आदमी के जो भी कुछ अच्छा करना चाहेगा.
    सबसे पहले इनकी कोशिश रहेगी ये ढूँढना की इसमें इस आदमी का कहा पे जरा सा भी फायदा है और जब कोई भी फायदा समझ नहीं आएगा तो कहेंगे पब्लिकसिटी के लिए कर रहा है,ज्यादा समाजसेवक बन रहा है,कोई कहेगा
    बहोत देखे है इसे नेता,कोए कहेगा यो हिन्दू वादी है,कोए कहेगा आर अस अस का पर्चार करे है,कोए कह देगा जातिवाद फेला रहा है!
    और गलती से भी कोई राजनेतिक पार्टी के नेता ने किते जीकर कर दिया उस काम का तो फेर तो इनके मजे आ जा स !
    और गलती से अगर थोड़े बहोत आपके संपर्क हों किसे पार्टी से तो और भी मजा आ जा है !
    इतने बढ़िया बढ़िया किस्से आर कहानी सुनावेगे बैठ के सुबह श्याम बढ़िया टेम पास होज्यगा !
    ये असली मानसिकता है हमारे देश के लोगो की जो सबसे बुरी चीज है!
    बहोत से लोग बाट देखे है किते थोड़ी सी कमी पाज्या इस अन्ना में तो देखा इसने भी.इनको कोई इस बात से मतलब नहीं है की यो आदमी कितने अच्छे काम कर रहा है जो आदमी आज अन्ना के बारे में कुछ भी नहीं बोलता पावेगा, ज कमी थ्या जा माडी सी भी तो वो आदमी सब ते आगे पावेगा गाली बकन म !
    कुल मिला कर जो सोच है आम आदमी की पोजिटिव नहीं,नेगेटिवे सोच है!
    किरण बेदी को ही देख लो अगर आप लोग गहरे से देखेंगे उनके काम तो पाता चलेगा बहोत ही महान काम कर रही है वो.मगर कितने लोग इसको मानते है चर्चा कर के देख लो उसके कामो की हजार कमी काढ देंगे उसमे भी!
    र भाई अगर उसने हजार काम आछे करे स आर वा एसी डब्बे में सफ़र की बाजए जनरल डिब्बे म बेठ की किते जा स आर उन रापिया न किसे सेठ,कम्पनी या संस्था से ले की किसे भले काम म लगावे स तो बहोत बड़ा जुर्म कर दिया उसने ?
    घने आदमी तो इसे प् ज्यागे जो किसे भी कीमत पे माफ़ कोणी करे किरण बेदी न इस काम खातर !
    ये ऐसे ही लोगो का काम था नु देख्या इब इसमें कमी काढो और किते न पाई तो उसके खर्चे का हिसाब काढ लो !
    सच्चा आदमी हमेशा जवाबदार होता है इसलिए उससे सवाल पूछे जाते है!
    ये नेता लोग कोण सा बुरा कर्म नहीं करते ?
    इनके खर्चे बुझ की देखो न कदे!
    इनसे बूझो सवाल,इनकी कमियों का सब न बेर स खोजं की जरूत बी कोनी,करो चर्चा बैठ के!
    केजरीवाल कोए काम करना चावे तो उसकी कमी टोह लो,आछी बोलन तो दो ऐ न किसे न बी,घेटूवा दाब दो बोल्निये का !
    या सोच ह आजकल हर आदमी की !
    किसे क परेशानी केजरीवाल त कोनी तो उसके गेल रह स उनते स,
    किसे क परेशानी स आक यो बी नेता बन जा गा आर फेर म्हारी मान कोनिगा !

    ये लोग किसी अपने फायदे के लिए काम नहीं कर रहे है हमे सभी चीजे भूल कर इनका जो मकसद ह उसे देखना चाहिए !
    इनका मकसद नेक ह तो अगर इनमे कोई बुरे भी ह तो भी हमें इनका साथ देना चाहिए न की इनकी टांग खीचनी चाहिए !
    जब तक हमारी मानसिकता में बदलाव नहीं होगा तब तक कुछ नहीं होने वाला,ये सबसे जरुरी है !

    पहले समय कुछ और था,हमारी मानसिकता कुछ और थी,उस समय जो महापुरुस हुए उनको लोगो ने माना,उनकी बातो पे गोर किया,समझा और समर्थन दिया इसलिए वो सुधार कर पाए !
    आज का समय तो ऐसा ह अगर भगवान् भी आ के कुछ समझाना चाहे तो लोग उसमे भी घनिये कमी काढ की भजा दे !

    मै अभी इतना ज्यादा साफ नहीं लिख पाता हूँ अपनी बात को,
    इसलिए आशा करता हूँ मै जो कहना चाहता हूँ वो थोडा बहोत तो समझ आया ही होगा आप लोगो को !

    धन्यवाद्
    Action is the foundational key to all success.
    Narvir Sangwan

  34. #19
    Quote Originally Posted by narvir View Post
    डा साहब जी,

    काम करने वाले तो बहुत है हमारे देश में,ज्ञान की भी कोई कमी नहीं है,होंसला और हिम्मत भी है!
    मगर एक समस्या बहुत बड़ी है हमारे देश में जिसकी वजह से कोई भी अच्छा काम उतना बड़े पैमाने पे नहीं हो पाता जितना की किसी बदलाव के लिए उसे होना चाहिए!
    वो समस्या है आम आदमी की मानसिकता !
    मै ये बात अपने खुद के वास्तविक अनुभवों के आधार पे कह रहा हु जो मैंने महसूस किये है कई बार !

    मै कोशिश करता हु आप लोगो को समझाने की....
    जैसे की आप कोई भी काम अच्छा जिसमे आपका व्यक्तिगत कोई भी फायदा न हो,आप का समय,पैसा और आपके पुरे साधन आप उस काम में
    लगा रहे हों, आप दिलो जान से उसमे लगे हों तब ये समस्या आपके आगे आती है !
    आप काम बड़े पैमाने पे करते हों तो जाहिर सी बात है बड़ी तादाद में लोगो का साथ चाहिए मै विश्वास के साथ कह सकता हूँ की अगर सौ लोग आपके साथ होंगे तो एक हजार लोग आपके खिलाफ खड़े मिलेंगे आप को और वो वो लोग होंगे जिन्हें खुद तो कुछ करना नहीं है अच्छा काम और दुसरो को भी करने नहीं देना है !
    वो लोग बहोत ही अच्छी अच्छी बाते निकाल कर लायेंगे,और ऐसी बाते लायेंगे जिनका कोई मतलब और कोई जवाब आप के पास नहीं होगा !
    ये लोग पीछे लग जाते है उस आदमी के जो भी कुछ अच्छा करना चाहेगा.
    सबसे पहले इनकी कोशिश रहेगी ये ढूँढना की इसमें इस आदमी का कहा पे जरा सा भी फायदा है और जब कोई भी फायदा समझ नहीं आएगा तो कहेंगे पब्लिकसिटी के लिए कर रहा है,ज्यादा समाजसेवक बन रहा है,कोई कहेगा
    बहोत देखे है इसे नेता,कोए कहेगा यो हिन्दू वादी है,कोए कहेगा आर अस अस का पर्चार करे है,कोए कह देगा जातिवाद फेला रहा है!
    और गलती से भी कोई राजनेतिक पार्टी के नेता ने किते जीकर कर दिया उस काम का तो फेर तो इनके मजे आ जा स !
    और गलती से अगर थोड़े बहोत आपके संपर्क हों किसे पार्टी से तो और भी मजा आ जा है !
    इतने बढ़िया बढ़िया किस्से आर कहानी सुनावेगे बैठ के सुबह श्याम बढ़िया टेम पास होज्यगा !
    ये असली मानसिकता है हमारे देश के लोगो की जो सबसे बुरी चीज है!
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    ----------
    ये लोग किसी अपने फायदे के लिए काम नहीं कर रहे है हमे सभी चीजे भूल कर इनका जो मकसद ह उसे देखना चाहिए !
    इनका मकसद नेक ह तो अगर इनमे कोई बुरे भी ह तो भी हमें इनका साथ देना चाहिए न की इनकी टांग खीचनी चाहिए !
    जब तक हमारी मानसिकता में बदलाव नहीं होगा तब तक कुछ नहीं होने वाला,ये सबसे जरुरी है !

    पहले समय कुछ और था,हमारी मानसिकता कुछ और थी,उस समय जो महापुरुस हुए उनको लोगो ने माना,उनकी बातो पे गोर किया,समझा और समर्थन दिया इसलिए वो सुधार कर पाए !
    आज का समय तो ऐसा ह अगर भगवान् भी आ के कुछ समझाना चाहे तो लोग उसमे भी घनिये कमी काढ की भजा दे !

    मै अभी इतना ज्यादा साफ नहीं लिख पाता हूँ अपनी बात को,
    इसलिए आशा करता हूँ मै जो कहना चाहता हूँ वो थोडा बहोत तो समझ आया ही होगा आप लोगो को !

    धन्यवाद्
    Dost aapne bilkul theek samajhane kee koshish kee hai;

    lekin jis alochanavadi pravriti ko aap adhunik maan rahe ho yahan mein kahana chahunga kee Mahapurushon ko sadev aur harek jagah aisee mushibaton ka samana karna para hai.

    Jo karamyogi viprit pristhiyon ko par kar gaye vahi to mahapurush bane hain chahe phir voh Socrates ho Ya Swami Dayanand, Christ ho ya Prophet!!!

  35. The Following User Says Thank You to DrRajpalSingh For This Useful Post:

    sunillore (July 7th, 2012)

  36. #20
    Quote Originally Posted by raka View Post
    पहले एक रानि गाए नाम की नसल होती थी जो जंगलो में सुनि घुमती थी खेती का नुक्सान करती थी | आजकल वे गाये कहीं भी नजर नहीं आती निसान तो दूर उनका नाम भी मिट गया , सबसे पहले लोगो ने उनको ख़त्म किया | फिर बारी आई नील गाए ( रोंज) की जो अब खात्मे के कागार पे हैं | अब बारी आ गई हैं हमारी इस बेचारी गऊ माता की | वो गाए तो जंगली थी कोई काम की ना थी पर जो बुरी हमारी बेचारी इस गऊ माता में बनी वैसे तो किसी में नहीं बनी | इस बेचारी का यो हाल कर दिया के न तो या घर की रही न घाट की | अब ना तो इसे मरने देते हैं और ना जीने | अब जंगल में रहेगी तो खेतो में ही चरेगी वहा इसे चरने नहीं देते | मुझे याद हैं 8 -10 साल पहले जब मैं गाँव में रहता था तो हमारे गाँव में एक रुखाला छोड़ रखा था जो दिन में आवारा पशु लाकर फाटक में रोकता था और इन पशुओ में सिर्फ गाए ही आवारा थी | फिर रात में हम उन आवारा पशुओ ( गाए ) को एक ट्रक में चढ़ा कर कहीं दूर दुसरे गाँव में छोड़ आते थे | जब सवेरे देखते तो इतने ही पशु और आये मिलते गाँव में क्योंकि यही कार्यवाही दुसरे गाँव वाले करते होंगे वो अपने आवारा पशु हमारे यहाँ छोड़ जाते | इन आवारा पशुओ में सिर्फ गऊ माता ही होती हैं आवारा | घर में गऊ बांदेंगे नहीं और जंगल में छोड़ी तो खेत का नुक्सान सहन नहीं होता तो अब बेचारी या गऊ माता जाये तो कहा जाए ? घर में अमरीकन गाए बांदना पसंद करेंगे क्योकि वो 25 -30 किलो दूध देती हैं और या बेचारी माता हद मार के 3 -4 शेर | वो बिकती हैं 25 -30 हजार की या माता 5 -6 हजार की | आज के युग में पैसा पीर हो गया हैं तो फिर इस टोटे को घर में कौन रखे ? सबसे ज्यादा इस गऊ माता की आवाज ये शहर वाले उठाते हैं जिन्होंने कभी पशु रखे ही नहीं आज उनको इस माता की चिंता सता रही हैं | जब केंद्र में भाजपा की सरकार थी तो आडवानी साहब ने संसद में गऊ माता का प्रश्न उठाया तो मुलायम सिंह यादव ने कहा था के हमारे घरो में आज भी गाए बंदी मिल जायेंगी पर आज जो लोग यह सवाल कर रहे हैं उनके घरो में एक भी गाए बंदी दिखा दो ?
    गऊशाला में गऊ छोड़ने जाओ तो गौशाला वाले पहले उसका खर्चा मांगते हैं अगर नहीं तो उस माता के लिए वहा जगह नहीं हैं | पता नहीं इन गौशाला वालो का क्या करते हैं हर साल गाँवों से गौशाला के नाम से अनाज और तुड़ा माग कर ले जाते हैं और शहरो में बैठे सेठ लोग भी पैसा भेजते हैं , गौशाला में गाए का दूध घी भी बिकता होगा सो अलग | जो गऊ माता बेचारी आजके इस महंगाई के दौर में अपने दूध घी से अपना खर्चा नहीं चला पा रही उसका ये आमजन कैसे भोज उठाये अब | आज बेचारी या गऊ माता मोमजामे खाकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं |
    आजकल शहर के लोगो ने तो ngo बनाकर खाने का तरीका खोज रखा हैं तो वहीँ गाँव वालो ने गौशाला के नाम से खाने का तरीका खोज लिया | इस गौशाला के नाम से चंदा इकठ्ठा करने का जिम्मा जाटों ने उठा रखा हैं और चंदा खाने का उस गौशाला में बैठे मुनीम जो एक पंडित मिलेगा उसने उठा रखा हैं |
    या तो बेचारी इस गऊ को मरने दो या फिर जो लोग इसके लिए आवाज उठा रहे हैं सबसे पहले इस माता को अपने घर में बांदे फिर इसको बचाने की बात करे |
    आज जो ऐसी करतूत इस गऊ माता के साथ हो रही हैं उसके जिम्मेवार हिन्दू ही हैं कोई और नहीं |
    गऊ माता के लिए गौशाला खोल दी बेचारी का घर छुट गया और अब आनेवाले समय में अपने बुजुर्गो के लिए हर गाँव में एक एक वृद आश्रम खोलकर उनकी भी तैयारी कर दी हैं |


    Chottte bhai


    Think which become obvious in future

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