Results 1 to 5 of 5

Thread: जाट होने पर गर्व करो-- भूलों नहीं (एक सोच)

  1. #1

    जाट होने पर गर्व करो-- भूलों नहीं (एक सोच)


    जाट खिलाड़ी भूल गए हैं कि वो जाट है


    जाट आज खेल के मैदान में छाए हुए है.. क्रिकेट की पिच से लेकर बॉक्सिंग की रिंग तक .. कुश्ती के अखाड़ा से लेकर बैडमिंटन के कोर्ट में ये जाट खिलाड़ी न सिर्फ भारत का झंड़ा ऊंचा कर रहे है.. बल्कि जाटों को खुद पर गर्व करने का एक और मौका दे रहे है। सबसे पहले क्रिकेट की बात की जाए तो सही होगा ..क्योकी भले ही और खेल देश को गौरव दिलाते हो। लेकिन आज भी क्रिकेट की लोकप्रियता के आगे कोई खेल नहीं टिकता। लेकिन क्या एक स्टार सिर्फ स्टार होता है और अपने लोगो के प्रति उसका प्यार और समर्थन खत्म हो जाता है। मैं इस बात को लेकर परेशान हूं और एक जाट होने के नाते मैं ये समझना भी चाहता हूं.. कि आखिर किसी आदमी के लिए अपनी जड़ों की क्या अहमियत होती है।
    हवाग टीम इंडिया की सबसे मजबूत बल्लेबाज़ होने के साथ-साथ वर्ल्ड क्रिकेट में सबसे विस्फोटक बल्लेबाज़ है। प्रवीण कुमार अभी अपने करियर को आगे बढ़ाने में लगे है। लेकिन इन दोनों खिलाड़ियों में जाट के नजरिए से देखा जाए तो वीरू भाई आज बहुत प्रोफोशेनल हो चुके है। इस ब्लॉग को लिखने की प्रेरणा भी मुझे इन दो खिलाड़ियों के व्यवहार से मिली। वहीं दिल्ली के प्रदीप सांगवान आज भी जाट कहे जाने पर बहुत अच्छा महसूस करते है। कुछ ऐसे ही रणजी खिलाड़ी अभी तक तो ...इस बात को मानने में कोई शर्म महसूस नहीं करते कि वो जाट है।
    बॉक्सिंग स्टार विजेंद्र के रवैय्ये की भी तारिफ करनी होगी।
    ममता ख़रब महिला हॉकी टीम की कप्तान होने के बाद भी अपनी जड़ों से जमी हुई है।
    साइना नेहवाल अभी स्टार बनने की ओर हैं और उनसे अब तक के व्यवहार से मैं किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका हूं. कि साइना अभी भी जाट कहलवाने पर गर्व महसूस करती है या नहीं।
    कुछ ऐसा ही हाल मीडिया में जाट पत्रकारों का भी है। यहां लोग खुद को स्टार समझ अपने पुराने इतिहास को जल्द से जल्द भूला देना चाहते है।
    ये सवाल उठाने का मेरा मतबल सिर्फ इतना है.... कि आप चाहे जिस ऊचाई तक पहुंच जाए लेकिन जहां से आपने अपनी उठान भरी तो उसे कभी न भूले।

    अगर आप लोग मेरी बात से सहमत हो तो अपने सूझाव जरूर भेंजे नहीं तो नासमझ समझ कर समझाने की कोशिश करे।
    लेकिन मैं अपनी जड़ों को अभी तक नहीं भूला हूं और आगे भी याद रखना चाहूंगा।

    vinod lamba
    sports correspondent

    लाम्बा जी के द्वारा चलाया गया ये thread अब बंद हो चूका है
    thread ध्यान देने लायक व महत्वपूर्ण है, परन्तु कुछ खास प्रतिक्रिया न आने की वजह से मै इसे फिर से जिन्दा कर रहा हूँ

  2. The Following 2 Users Say Thank You to thukrela For This Useful Post:

    sukhbirhooda (November 5th, 2011)

  3. #2
    Quote Originally Posted by thukrela View Post

    जाट खिलाड़ी भूल गए हैं कि वो जाट है


    जाट आज खेल के मैदान में छाए हुए है.. क्रिकेट की पिच से लेकर बॉक्सिंग की रिंग तक .. कुश्ती के अखाड़ा से लेकर बैडमिंटन के कोर्ट में ये जाट खिलाड़ी न सिर्फ भारत का झंड़ा ऊंचा कर रहे है.. बल्कि जाटों को खुद पर गर्व करने का एक और मौका दे रहे है। सबसे पहले क्रिकेट की बात की जाए तो सही होगा ..क्योकी भले ही और खेल देश को गौरव दिलाते हो। लेकिन आज भी क्रिकेट की लोकप्रियता के आगे कोई खेल नहीं टिकता। लेकिन क्या एक स्टार सिर्फ स्टार होता है और अपने लोगो के प्रति उसका प्यार और समर्थन खत्म हो जाता है। मैं इस बात को लेकर परेशान हूं और एक जाट होने के नाते मैं ये समझना भी चाहता हूं.. कि आखिर किसी आदमी के लिए अपनी जड़ों की क्या अहमियत होती है।
    हवाग टीम इंडिया की सबसे मजबूत बल्लेबाज़ होने के साथ-साथ वर्ल्ड क्रिकेट में सबसे विस्फोटक बल्लेबाज़ है। प्रवीण कुमार अभी अपने करियर को आगे बढ़ाने में लगे है। लेकिन इन दोनों खिलाड़ियों में जाट के नजरिए से देखा जाए तो वीरू भाई आज बहुत प्रोफोशेनल हो चुके है। इस ब्लॉग को लिखने की प्रेरणा भी मुझे इन दो खिलाड़ियों के व्यवहार से मिली।
    ठुकरेला साब एक बार इस विडियो को देख कर बताएँ, वीरू के बारे में आप का क्या कहना है l:o
    Only a biker knows why a dog sticks his head out of a car window.

  4. The Following User Says Thank You to vijaykajla1 For This Useful Post:

    sukhbirhooda (November 5th, 2011)

  5. #3
    विजय भाई विडियो बोहोत बड़ी है, और हमारे हॉस्टल मे wi-fi की सुविधा नहीं है
    कॉलेज के एक ब्लाक जाकर कैसे तैसे नेट चलाते है,Facebook चला पाए बस इतनी ही स्पीड अति है
    विडियो देखने के लिए मुझे रत को बोहोत देर से आना पड़ेगा जब कोई ना हो, तब शायद buffer हो जाये


    मौका मिलते ही जरुर देखूंगा, बहर हाल वीरू भाई से जुडी इक याद सुनाता हूँ


    चार साल पहले भारत पाकिस्तान का मैच ग्वालियर मे हुआ था.
    मै कुछ 14 साल का था. मैच से इक दिन पहले practice session के वक़्त भी stadium मे अची भीड़ होती है
    परन्तु ground पर आना प्रतिबंदित रहता है
    पिता श्री के police officer होने के नाते हमें security तोड़ अन्दर जाने का मौका मिल गया
    ऊची-ऊची पोहोच वाले शहर के और भी नामी गिरामी लोग वहां मौजूद थे


    पाकिस्तानी खिलाडियों से मिलने की छूट थी, परन्तु भारतीय खिलाडियों के पास फटकने भी नहीं दिया जा रहा था
    पाकिस्तानी खिलाडी पहले practice कर चले गए थे
    सभी को भारतीय खिलाडियों का इंतजार था
    pavilion की सीढियों से आगे चल कर जो रास्ता था, उसके दोनों तरफ लकड़ी की छोटी boundary थी
    लोग दोनों तरफ इंतज़ार मे लोग जमा थे, हम भी थे.
    अचानक 4-5 खिलाडी उतर के आये,सहवाग भी थे उनमे
    सभी अपने अपने पसंदीदा खिलाडी का नाम चिल्लाने लगे, हम भी चिल्ला रहे थे
    पर खिलाडी बिना notice के आगे बढ़ते चले गए
    तभी हमने पीछे से गुअहार लगाई ''जाट भाई!''
    वीरू ब्रदर ने पीछे मुड कर देखा
    इस पर मेरे चेहरे पे छायी रोनक को देख के ही वे समज गए कि मै था, व मुझे देख मुस्कुरा कर चले गए.
    बस फिर क्या, चौधरी साब ख़ुशी से फूल गए


    परन्तु इक बात तो है विजय भाई, खिलाडी अक्सर अपनी जाती व समज के बारे मे कुछ कहने से कतराते हैं
    इसका कारण ये भी है कि लोग उन्हें Nazi कि उपाधि देने मे देर नहीं करते

  6. The Following 3 Users Say Thank You to thukrela For This Useful Post:

    Saharan1628 (November 22nd, 2011), sukhbirhooda (November 5th, 2011), vijaykajla1 (October 21st, 2011)

  7. #4
    Quote Originally Posted by thukrela View Post
    विजय भाई विडियो बोहोत बड़ी है, और हमारे हॉस्टल मे wi-fi की सुविधा नहीं है
    कॉलेज के एक ब्लाक जाकर कैसे तैसे नेट चलाते है,Facebook चला पाए बस इतनी ही स्पीड अति है
    विडियो देखने के लिए मुझे रत को बोहोत देर से आना पड़ेगा जब कोई ना हो, तब शायद buffer हो जाये


    मौका मिलते ही जरुर देखूंगा, बहर हाल वीरू भाई से जुडी इक याद सुनाता हूँ


    चार साल पहले भारत पाकिस्तान का मैच ग्वालियर मे हुआ था.
    मै कुछ 14 साल का था. मैच से इक दिन पहले practice session के वक़्त भी stadium मे अची भीड़ होती है
    परन्तु ground पर आना प्रतिबंदित रहता है
    पिता श्री के police officer होने के नाते हमें security तोड़ अन्दर जाने का मौका मिल गया
    ऊची-ऊची पोहोच वाले शहर के और भी नामी गिरामी लोग वहां मौजूद थे


    पाकिस्तानी खिलाडियों से मिलने की छूट थी, परन्तु भारतीय खिलाडियों के पास फटकने भी नहीं दिया जा रहा था
    पाकिस्तानी खिलाडी पहले practice कर चले गए थे
    सभी को भारतीय खिलाडियों का इंतजार था
    pavilion की सीढियों से आगे चल कर जो रास्ता था, उसके दोनों तरफ लकड़ी की छोटी boundary थी
    लोग दोनों तरफ इंतज़ार मे लोग जमा थे, हम भी थे.
    अचानक 4-5 खिलाडी उतर के आये,सहवाग भी थे उनमे
    सभी अपने अपने पसंदीदा खिलाडी का नाम चिल्लाने लगे, हम भी चिल्ला रहे थे
    पर खिलाडी बिना notice के आगे बढ़ते चले गए
    तभी हमने पीछे से गुअहार लगाई ''जाट भाई!''
    वीरू ब्रदर ने पीछे मुड कर देखा
    इस पर मेरे चेहरे पे छायी रोनक को देख के ही वे समज गए कि मै था, व मुझे देख मुस्कुरा कर चले गए.
    बस फिर क्या, चौधरी साब ख़ुशी से फूल गए


    परन्तु इक बात तो है विजय भाई, खिलाडी अक्सर अपनी जाती व समज के बारे मे कुछ कहने से कतराते हैं
    इसका कारण ये भी है कि लोग उन्हें Nazi कि उपाधि देने मे देर नहीं करते
    भाई ऊपर वाले वीडियो में वीरू ने साफ़ कहा है की मुझे गर्व है की मैं जाट हूँ ! मौका लगे तो एक बार जरुर देखना !
    Last edited by vijaykajla1; October 21st, 2011 at 12:00 AM.
    Only a biker knows why a dog sticks his head out of a car window.

  8. The Following 3 Users Say Thank You to vijaykajla1 For This Useful Post:

    cooljat (October 21st, 2011), Saharan1628 (November 22nd, 2011), sukhbirhooda (November 5th, 2011)

  9. #5
    feel proud to be a jat......................

Posting Permissions

  • You may not post new threads
  • You may not post replies
  • You may not post attachments
  • You may not edit your posts
  •