Results 1 to 2 of 2

Thread: इब डमरू ठा ठा के भाजो सो

  1. #1

    इब डमरू ठा ठा के भाजो सो

    बहुत पहला की बात से जब लोग्गा ने रेडियो का भी ज्ञान ना था |

    एक बे धारे का छोरा धारे ताई शहर में ते एक रेडियो ले आवे से अर समझा दे स के क्यूकर चालू होवेगा अर घरा चला जा से दूध-दाद पिन | इतने में धारे धार काड़अन बेठ जा से | रेडियो की आवाज सुनके भैंस दूध ना देती | इब धारे ने रेडियो बंद करना आवे नि था अर रेडियो ते कवे के चुप होजा | रेडियो कोए मानस ते था नि जो बंद होजा है कहते ए | आछि वार दुखी हो के रेडियो पे एक लठ टेक दे से करड़ा सा | लठ लागते कुदरती उ के सेल (battery /cell ) कड जा से अर उन ने गिरड़ता देख के धारे(पहला कदे सेल नि देखा था उ ने ) कह से के -"सालो पहला ते मानो नि थे अर इब डमरू ठा ठा के भाजो सो "

  2. The Following User Says Thank You to dahiyarocks For This Useful Post:

    kuldeephmh (October 23rd, 2011)

  3. #2
    हा हा हा हा...लट्ठ पड़े बाद तो रेडुए के साज से बिगड़ गे होने है..
    बढ़िया !
    इस ज़मीं आसमा से आगे हूँ.... वक़्त के कारवा से आगे हूँ ... मैं कहा हूँ ये खुदा जाने ..... कल जहा था वहा से आगे हूँ .....
    Never discourage anyone who continually makes progress, no matter how slow

Posting Permissions

  • You may not post new threads
  • You may not post replies
  • You may not post attachments
  • You may not edit your posts
  •